
दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के एक गांव में हर रात एक लड़की रहस्यमय तरीके से लापता हो जाती थी? इस घटना ने पूरे गांव को हैरानी और डर के माहौल में डाल दिया था। आइए, इस रहस्य के पीछे की कहानी जानें।
दोस्तों, एक सच्ची घटना की शुरुआत करते हैं। यह कहानी छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के एक छोटे से गांव की है। पहले यह गांव पूरी तरह शांत और खुशहाल था, लेकिन पिछले कुछ महीनों में यहां का माहौल डरावना बन गया था। हर रात कोई न कोई लड़की रहस्यमय तरीके से लापता हो जाती। शुरुआत में लोगों ने इसे महज एक संयोग समझा, लेकिन जब गायब होने वाली लड़कियों की संख्या बढ़ने लगी, तो पूरे गांव में सनसनी फैल गई।
गांव के बुजुर्गों का मानना था कि यह किसी दुष्ट आत्मा का प्रकोप है, जबकि कुछ समझदार लोगों को शक था कि इसके पीछे कोई गहरी साजिश छिपी हुई है। गांव के मुखिया विजय शर्मा इस मामले को लेकर बेहद चिंतित थे। उन्होंने कई बार पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन स्थानीय पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
फिर एक दिन गांव की 16 वर्षीय लड़की मीरा अचानक गायब हो गई, जिससे पूरे गांव में हड़कंप मच गया। उसकी मां, सुनीता देवी, रोते हुए मुखिया के घर पहुंची और दुखभरी आवाज में बोली, “मुखिया जी, मेरी बेटी को ढूंढिए। वह कभी इतनी देर तक बाहर नहीं रहती।” मुखिया विजय शर्मा ने तुरंत पास के थाने में फोन किया, लेकिन हमेशा की तरह पुलिस ने इसे एक साधारण मामला कहकर टालने की कोशिश की।
हालांकि, इस बार हालात बदलने वाले थे। इस केस की खबर जब एसपी अनिल टप्पो तक पहुंची, तो उन्होंने इसे गंभीरता से लिया। एसपी टप्पो एक ईमानदार और निडर अधिकारी थे। उन्होंने खुद गांव जाकर मामले की गहराई से जांच करने का फैसला किया।
अगले ही दिन एसपी अनिल टप्पो अपनी टीम के साथ गांव पहुंचे। गांव के लोगों ने उन्हें घेर लिया और अपनी-अपनी दर्द भरी कहानियां सुनाने लगे। एक महिला बिलखते हुए बोली, “साहब, मेरी बेटी तीन हफ्ते पहले गायब हो गई थी, लेकिन आज तक उसका कोई पता नहीं चला।” वहीं दूसरी ओर एक और महिला ने कहा, “साहब, मेरी बहन पिछले महीने से लापता है, लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया।” एक बुजुर्ग व्यक्ति ने आंसू पोंछते हुए कहा, “साहब, मेरी पोती भी गायब है।”
अनिल टप्पो ने सभी की बातें गंभीरता से सुनीं और गांव में घूमकर विभिन्न जगहों का निरीक्षण किया। उन्होंने महसूस किया कि यह कोई साधारण मामला नहीं था। गांव में घूमते हुए उनकी नजर एक वृद्ध व्यक्ति पर पड़ी, जो चुपचाप बैठा सब कुछ देख रहा था। उसका नाम पारस बाबा था, जो गांव के सबसे पुराने निवासी थे।
अनिल टप्पो ने उनसे पूछा, “बाबा, क्या आपको इस मामले में कुछ शक है?” पारस बाबा ने इधर-उधर देखा और फिर धीमी आवाज में बोले, “साहब, रात के समय जंगल की ओर से अजीब-अजीब आवाजें आती हैं। मैंने कई बार देखा है कि सफेद रंग की एक जीप गांव के बाहर रुकती है और फिर अचानक गायब हो जाती है। लेकिन लोग डर के मारे उस ओर जाने की हिम्मत नहीं करते।”
पारस बाबा की बात सुनकर एसपी अनिल टप्पो चौक गए। उन्होंने रात होते ही अपनी टीम के साथ जंगल में जाने का फैसला किया। गांव के कुछ लोग भी उनके साथ चलने को तैयार हो गए।
रात का समय था, चारों तरफ घना अंधकार पसरा हुआ था। सन्नाटा इतना गहरा था कि पत्तों की सरसराहट भी साफ सुनाई दे रही थी। जैसे ही एसपी अनिल टप्पो और उनकी टीम गांव के बाहरी इलाके में पहुंचे, अचानक झाड़ियों के पीछे से एक लड़की की चीख सुनाई दी। “बचाओ!”
अनिल टप्पो ने बिना देर किए अपनी पिस्तौल निकाली और उस दिशा में दौड़ पड़े। उनकी टीम भी पूरी सतर्कता के साथ उनके पीछे हो ली। जब वे वहां पहुंचे, तो सामने का दृश्य देखकर सभी के होश उड़ गए। झाड़ियों के पास एक लड़की जमीन पर पड़ी थी। उसका शरीर मिट्टी में लिपटा हुआ था और वह बेसुध दिख रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे उसे यहां जबरन फेंका गया हो।
अनिल टप्पो ने तुरंत अपनी टीम को सतर्क किया और लड़की की हालत का जायजा लेने के लिए आगे बढ़े। उसके हाथ-पैर बंधे हुए थे और मुंह पर टेप चिपका था। उसके चेहरे पर डर और खौफ साफ झलक रहा था। एसपी ने अपने एक सिपाही को लड़की के पास जाने का इशारा किया।
जैसे ही सिपाही ने लड़की को उठाने की कोशिश की, पास की झाड़ियों से अचानक गोली चलने की आवाज आई। किसी ने उन पर बंदूक से निशाना साधा। अनिल टप्पो ने तुरंत जवाबी कार्रवाई करते हुए झाड़ियों की ओर फायर किया। कुछ सेकंड तक दोनों ओर से गोलियां चलती रहीं। फिर झाड़ियों से किसी के भागने की आवाज आई।
“कोमल, संजय, उसे पकड़ो!” अनिल टप्पो ने जोर से आदेश दिया। सिपाही तुरंत अपराधी के पीछे दौड़े, लेकिन घने अंधेरे के कारण वह भागने में कामयाब हो गया।
अनिल टप्पो ने फुर्ती से लड़की के हाथ-पैर खोले और उसके मुंह से टेप हटाया। वह बुरी तरह डरी हुई थी, उसके शरीर में कंपकंपी हो रही थी। “डरने की जरूरत नहीं, तुम अब सुरक्षित हो,” अनिल टप्पो ने उसे भरोसा दिलाया।
लड़की हांफते हुए बोली, “साहब, प्लीज मुझे बचा लीजिए। वो लोग बहुत खतरनाक हैं।”
“कौन लोग? तुमने उन्हें देखा?” एसपी अनिल टप्पो ने पूछा।
लड़की ने रोते हुए सिर हिलाया, “हां साहब, लेकिन मैं उनके चेहरे नहीं देख पाई। मुझे बस इतना याद है कि वे लोग मुझे जीप में डालकर जंगल में ले आए।”
लड़की अचानक सहम गई, जैसे उसे कुछ भयानक याद आ गया हो।
“और क्या?” अनिल टप्पो ने धैर्य से पूछा।
लड़की कांपती आवाज में बोली, “वो लोग हमें यहां किसी बड़े आदमी के लिए लाते हैं। वो… वो हमें एक पुराने कोठे में ले गए थे। वहां पहले से ही और भी कई लड़कियां थीं।”
यह सुनकर अनिल टप्पो की आंखें चौड़ी हो गईं। उन्होंने तुरंत पूछा, “तुम्हें उस कोठे का रास्ता याद है?”
लड़की ने सिर हिलाया, “हां साहब। लेकिन वहां जाना खतरनाक है। अगर उन दरिंदों को पता चल गया कि हम वहां जा रहे हैं, तो वे हमें मार डालेंगे।”
अनिल टप्पो की आंखों में दृढ़ संकल्प झलकने लगा। उन्होंने गंभीर लहजे में कहा, “इस बार शिकारी हम होंगे और शिकार वो।”
एसपी अनिल टप्पो ने तुरंत अपनी टीम के वरिष्ठ अधिकारियों को फोन किया और अगले दिन के लिए एक गुप्त ऑपरेशन की योजना बनाई। सुबह होते ही, अनिल टप्पो गांव पहुंचे और ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि इस बार अपराधियों को निश्चित रूप से सजा दी जाएगी। तभी, एक बुजुर्ग महिला घबराई हालत में दौड़ती हुई आई और बोली, “साहब, रात में एक और लड़की गायब हो गई है।”
गांव में एक और लड़की के लापता होने की खबर से हड़कंप मच गया। कुछ ही समय में लोग थाने के बाहर जमा होने लगे और पुलिस पर दबाव बनाने लगे। एक बुजुर्ग किसान गुस्से में बोला, “साहब, अगर हमारी बेटियां सुरक्षित नहीं हैं तो हमें जीने या मरने से क्या फर्क पड़ता है?” वहीं, एक नौजवान ने जोर से चिल्लाते हुए कहा, “अगर पुलिस कुछ नहीं कर सकती तो हमें बता दीजिए, हम खुद बंदूक उठा लेंगे।”
गांव वालों का गुस्सा वाजिब था। उनकी बेटियां लगातार गायब हो रही थीं और अब तक किसी भी अपराधी को पकड़ा नहीं गया था। भीड़ को शांत करते हुए एसपी अनिल टप्पो ने ऊंची आवाज में कहा, “मैं वादा करता हूं, इस बार अपराधी बच नहीं पाएंगे। हम जल्द ही उन तक पहुंचेंगे। लेकिन आपको धैर्य रखना होगा।”
एसपी ने गांव में कुछ सिपाहियों को सादी वर्दी में तैनात किया ताकि कोई संदिग्ध गतिविधि सामने आए तो तुरंत रिपोर्ट की जा सके। गायब हुई नई लड़की का नाम माधुरी था, जिसकी उम्र सिर्फ 15 साल थी। उसकी मां रोते हुए बोली, “साहब, रात को वह खाना खाकर सोई थी। सुबह देखा तो उसका बिस्तर खाली था और दरवाजा अंदर से बंद था।”
यह सुनकर एसपी अनिल टप्पो चौंक गए। इसका मतलब था कि कोई अंदर से ही दरवाजा खोल सकता था। उन्होंने तुरंत घर का मुआयना किया। कमरे की खिड़की टूटी हुई थी और फर्श पर जूतों के निशान साफ नजर आ रहे थे। अनिल टप्पो ने गौर से निशानों को देखा और अपनी टीम से कहा, “ये निशान हमें दरिंदों तक पहुंचा सकते हैं। हमें इनका सावधानी से पीछा करना होगा।”
तभी सिपाही रोहन, जो गांव में सादी वर्दी में गश्त कर रहा था, भागते हुए आया और बोला, “साहब, गांव के बाहर वाले रास्ते पर रात को एक सफेद जीप खड़ी थी। जब मैंने पास जाने की कोशिश की, तो वह तेज गति से जंगल की ओर भाग गई।”
अनिल टप्पो को तुरंत भोला बाबा की बात याद आ गई, जिन्होंने पहले ही उस रहस्यमय सफेद जीप का जिक्र किया था। गंभीर स्वर में उन्होंने कहा, “अब हमें पूरा यकीन हो चुका है कि लड़कियों को ले जाने के लिए यही जीप इस्तेमाल हो रही है।” अनिल टप्पो के दिमाग में एक नई योजना बनने लगी। उन्होंने तय किया कि पुलिस की एक टीम गांव के बाहरी इलाके के जंगल के पास छिपकर निगरानी करेगी। योजना के अनुसार, गांव की एक महिला पुलिस अधिकारी सीमा को गायब होती लड़कियों में से एक बनने का नाटक करना था। अगर अपराधी उसे उठाने आए, तो पुलिस उनका पीछा कर उन्हें रंगे हाथ पकड़ लेगी।
रात होते ही एसपी अनिल टप्पो और उनकी टीम पूरी तरह सतर्क हो गई। सीमा को गांव की एक आम लड़की की तरह तैयार किया गया और उसे गांव के बाहरी इलाके में भेजा गया। घंटों इंतजार के बाद, आधी रात को दूर से एक सफेद जीप धीरे-धीरे गांव के पास आती दिखाई दी। सभी पुलिसकर्मी अपनी-अपनी जगह छिप गए और पूरी तरह तैयार रहे। जीप करीब आई और उसमें से दो आदमी उतरे। वे इधर-उधर देखने लगे और फिर धीरे-धीरे लड़की के पास पहुंचे।
अनिल टप्पो ने अपनी टीम को इशारा किया, “अभी नहीं, उन्हें थोड़ा और नजदीक आने दो।” जैसे ही अपराधी सीमा को जबरदस्ती उठाने लगे, अनिल टप्पो गरजते हुए बोले, “पुलिस! कोई भागने की कोशिश मत करना।” लेकिन अपराधी चौक गए और भागने की कोशिश करने लगे। तभी पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दी। एक अपराधी घायल होकर गिर पड़ा, जबकि दूसरा जीप लेकर भागने की कोशिश करने लगा। अनिल टप्पो ने तुरंत अपनी गाड़ी से उसका पीछा किया। कुछ ही देर में उन्होंने उसे भी पकड़ लिया।
अब दोनों अपराधी पुलिस की गिरफ्त में थे। उनकी गिरफ्तारी के बाद, पुलिस का अगला कदम उनसे सच्चाई उगलवाना था।
अनिल टप्पो ने अपराधियों को थाने में लाकर पूछताछ शुरू की। उन्होंने सख्त लहजे में पूछा, “बता, तुम कौन हो और इन लड़कियों को कहां ले जाते थे?” पहले अपराधी, जो घायल था और दर्द से कराह रहा था, घबराते हुए बोला, “साहब, हम सिर्फ ड्राइवर हैं। हमारा काम सिर्फ लड़कियों को जंगल तक पहुंचाना है।”
अनिल टप्पो की आंखों में गुस्से की लहर दौड़ गई। उन्होंने सख्त आवाज में पूछा, “कौन देता है तुम्हें यह आदेश?” दूसरा अपराधी, जो अब तक चुप था, डरते हुए बोला, “साहब, हमें कुछ नहीं पता। हम सिर्फ पैसे के लिए काम करते हैं।”
अनिल टप्पो ने अपनी जेब से रिवॉल्वर निकाली और उसे टेबल पर रख दिया। उन्होंने ठंडी नजरों से अपराधियों को घूरते हुए कहा, “सच बोलो, वरना इस टेबल पर सिर्फ मेरी रिवॉल्वर नहीं, कुछ और भी गिरेगा।” उनकी धमकी ने अपराधियों की हिम्मत तोड़ दी। कुछ देर बाद घायल अपराधी ने कांपती हुई आवाज में कहा, “साहब, हमें एक आदमी से ऑर्डर मिलता था जिसका नाम लल्लू सिंह ठाकुर है। वह जंगल में एक पुराना कोठा चलाता है। वहीं पर लड़कियों को ले जाया जाता है।”
यह सुनते ही अनिल टप्पो की आंखों में गुस्से की लपटें उठने लगीं। उन्होंने कड़क आवाज में पूछा, “लल्लू सिंह ठाकुर कौन है?” डरते हुए अपराधी ने बताया, “साहब, वह एक बड़ा आदमी है। दिखावे में वह गांव का साधारण आदमी लगता है, लेकिन असल में वह एक खतरनाक अपराधी है। वह लड़कियों की तस्करी करता है और गांव के कुछ रसूखदार लोगों के साथ मिलकर यह गंदा धंधा चलाता है।”
अब पुलिस के पास एक नाम था—लल्लू सिंह ठाकुर। एसपी अनिल टप्पो ने अपने दो खास सिपाहियों, संजय और रामदेव, को गांव में भेजा ताकि वे इस अपराधी पर नजर रख सकें। जल्द ही पता चला कि लल्लू सिंह ठाकुर खुलेआम गांव में घूमता है।
लेकिन उसके असली चेहरे से कोई वाकिफ नहीं था। वह गांव के कुछ प्रभावशाली लोगों के साथ मिलकर अपने गलत कामों को छिपाए हुए था। नवीन कुमार को कोठे तक पहुंचकर वहां बंद लड़कियों को बचाना था। लेकिन बिना किसी योजना के हमला करना खतरनाक साबित हो सकता था। उन्होंने गांव की कुछ महिलाओं से मदद मांगी, जो पहले ही अपनी बेटियों के गुम होने से परेशान थीं।
इसके बाद एसपी साहब ने एक चतुर योजना बनाई। एक महिला पुलिसकर्मी को बंधक लड़की बनाकर लल्लू सिंह ठाकुर के आदमियों के पास भेजा जाएगा। जैसे ही वे उसे कोठे तक ले जाएंगे, पुलिस उनकी जीप का पीछा करेगी। कोठे तक पहुंचते ही पुलिस वहां छापा मारेगी। महिला पुलिसकर्मी सीमा को साधारण गांव की लड़की की तरह तैयार किया गया ताकि अपराधी उसे पहचान न सकें।
जैसे ही सीमा को गांव के बाहरी इलाके में छोड़ा गया, कुछ ही देर में एक सफेद जीप वहां आ गई। “इसे गाड़ी में डालो,” एक आदमी ने कहा। सीमा को जबरदस्ती जीप में डाल दिया गया और वे लोग उसे तेजी से जंगल की ओर ले गए। लेकिन इस बार उन्हें यह नहीं पता था कि पुलिस हर कदम पर उनका पीछा कर रही थी।
अनिल टप्पो और उनकी टीम कुछ मिनटों बाद उनके पीछे-पीछे जंगल में दाखिल हो गई। जब जीप कोठे के गेट पर रुकी, तो वहां का नजारा बेहद चौंकाने वाला था। एक बड़ा पुराना कोठा था, जिसके अंदर से लड़कियों की चीखें सुनाई दे रही थीं। यह कोठा जंगल के घने अंधेरे में किसी भूतिया हवेली की तरह दिखाई दे रहा था।
एसपी अनिल टप्पो और उनकी टीम धीरे-धीरे कोठे के चारों ओर घेराबंदी करने लगी। कोठे के अंदर से लड़कियों की चीखें सुनकर उनका दिल दहल उठा। भीतर का दृश्य बेहद डरावना था। सीमा को घसीटते हुए अंदर ले जाया गया, और वहां का मंजर देखकर उसका दिल कांप उठा। करीब 10 से 15 लड़कियां एक कोने में दुबकी हुई थीं। डरी-सहमी और बेबस, उनकी आंखों में भय और आंसुओं का सैलाब था, मानो उन्हें बचाने कोई नहीं आएगा।
तभी लल्लू सिंह ठाकुर अंदर आया। उसने सीमा को घूरते हुए कहा, “नया माल आया है। इसे अच्छे से बंद करो। कल इसे शहर भेजना है।” सीमा के अंदर आते ही उसकी नजर उन लड़कियों पर पड़ी। उनकी हालत देखकर उसकी हिम्मत डगमगाने लगी, लेकिन उसने खुद को संभाला और चारों ओर नजर दौड़ाई। कोठे के अंदर चार-पांच गुंडे खड़े थे, और सभी के हाथों में हथियार थे। सीमा का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा, लेकिन उसने खुद को शांत रखने की कोशिश की।
बाहर, एसपी अनिल टप्पो और उनकी टीम पूरी तैयारी में थी। उन्होंने अपनी टीम को इशारा किया, “हमले के लिए तैयार रहो।” जैसे ही एक गुंडा सीमा की ओर बढ़ने की कोशिश करता है, कार्रवाई शुरू होने का संकेत मिल जाता है।
सीमा ने इशारा किया, तभी दरवाजा जोर से टूटा और “धाई-धाई” की आवाज गूंज उठी। पुलिस ने अंदर घुसते ही फायरिंग शुरू कर दी। गुंडों ने भी जवाबी फायरिंग की, लेकिन एएसपी अनिल टप्पो और उनकी टीम पहले से पूरी तैयारी में थी।
जैसे ही लल्लू सिंह ठाकुर को पता चला कि पुलिस आ चुकी है, वह पिछले दरवाजे से भागने की कोशिश करने लगा। लेकिन अनिल टप्पो पहले से ही उस रास्ते पर तैनात थे। “रुक जा, लल्लू! अब तू कहीं नहीं भाग सकता,” अनिल टप्पो ने बंदूक तानते हुए कहा। लल्लू ने भी गोली चलाने की कोशिश की, लेकिन अनिल टप्पो ने पहले ही ट्रिगर दबा दिया। गोली सीधे लल्लू सिंह ठाकुर के सीने में लगी, और वह तड़पते हुए जमीन पर गिर पड़ा।
पुलिस ने बाकी गुंडों को भी पकड़ लिया और उन्हें हथकड़ियां पहनाकर जीप में डाल दिया। कोठे में बंद सभी लड़कियों को आज़ाद कर दिया गया। वे सब डर और सदमे में थीं, लेकिन जैसे ही उन्होंने देखा कि पुलिस उन्हें बचाने आई है, वे रोते हुए अनिल टप्पो के पैरों में गिर गईं। “साहब, आपने हमें बचा लिया,” एक लड़की ने रोते हुए कहा।
अनिल टप्पो ने उसे उठाते हुए कहा, “अब तुम्हें डरने की ज़रूरत नहीं है। ये दरिंदे अब कभी किसी को तकलीफ नहीं देंगे।”
जब पुलिस गांव लौटी, तो सभी गांव वाले उनका बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। जैसे ही उन्होंने लड़कियों को सही-सलामत देखा, गांव खुशी से झूम उठा। गांववालों ने एएसपी अनिल टप्पो को अपने कंधों पर उठा लिया और जोर-जोर से नारे लगाने लगे, “एएसपी साहब जिंदाबाद! अनिल टप्पो अमर रहें!”
इस बहादुरी के लिए सरकार ने एएसपी अनिल टप्पो को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया। जो गांव कभी डर और आतंक के साए में जी रहा था, अब वह चैन की नींद सोने लगा।
जब अनिल टप्पो से पूछा गया कि उन्होंने यह मिशन कैसे पूरा किया, तो उन्होंने कहा, “अगर हर पुलिस वाला अपना फर्ज ईमानदारी से निभाए, तो कोई भी अपराधी बच नहीं सकता।”
दोस्तों यह कहानी का उद्देश्य किसी को दुखी करना या किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है हमारा उद्देश्य आपको जागरूक और सतर्क बनाना है ताकि आप इन कहानियों से सीखकर समाज में सकारात्मक बदलाव का हिस्सा बन सके तब दोस्तों यह कहानी कोई साधारण कहानी नहीं थी यह कहानी एक सत्य घटना पर आधारित थी तो आपको यह घटना कैसी लगी अगर आपको यह कहानी पसंद आया हो तो कृपया इसे लाइक करें और कमेंट बॉक्स में जय श्री राम लिखें साथ ही हमारे
रहें दोस्तों, अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद! फिर मिलते हैं एक नई कहानी में। तब तक के लिए आप सभी का दिल से आभार। जय हिंद, जय भारत!