ट्रेन में मिला प्रेमी, लड़का मजदूर लड़की IAS

दिल्ली रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन खड़ी थी, जो दिल्ली से पटना के लिए रवाना होने वाली थी। उसी समय एक लड़का दौड़ते हुए आता है और ट्रेन के जनरल बोगी में चढ़ जाता है। ट्रेन चलने लगती है, लेकिन जनरल बोगी में इतनी अधिक भीड़ होती है कि उसे घुटन महसूस होने लगती है। अगले स्टेशन पर पहुंचते ही वह लड़का उतरकर स्लीपर कोच में जाने की कोशिश करता है, लेकिन गलती से एससी बोगी में पहुंच जाता है।

बोगी में जगह की तलाश करते हुए उसकी नजर एक लड़की पर पड़ती है, जो सीट पर पैर मोड़कर सोई हुई थी। लड़की के पैर मोड़ने से थोड़ी सी जगह खाली हो जाती है, और लड़का उस जगह पर बैठ जाता है। जैसे ही ट्रेन चलती है, ट्रेन के कंपन से लड़की का पैर लड़के के शरीर से टच हो जाता है, जिससे वह अचानक जाग जाती है। लड़की उसे सीट छोड़ने के लिए कहने वाली होती है, लेकिन जैसे ही वह लड़के का चेहरा देखती है, पहचान जाती है। वह कुछ नहीं कहती और चुपचाप उसकी ओर देखती रहती है।

दरअसल, वह लड़का कोई और नहीं बल्कि उस लड़की का 10 साल पुराना बॉयफ्रेंड प्रतीक था। दोनों एक-दूसरे से प्यार करते थे, लेकिन वक्त ने उन्हें अलग कर दिया था। प्रतीक दिवाली की छुट्टी पर घर जा रहा था, जबकि लड़की, स्वीटी, अपनी यूपीएससी की तैयारी पूरी कर चुकी थी और आईएएस बनने वाली थी। वह अब बस अपनी जॉइनिंग का इंतजार कर रही थी।

स्वीटी बार-बार प्रतीक की ओर देख रही थी। जब प्रतीक भी उसे गौर से देखता है, तो पहचान जाता है लेकिन कुछ बोलता नहीं। वह सोचता है, शायद यह वही लड़की नहीं है जिसे वह जानता था। कुछ समय बाद स्वीटी हिम्मत करके पूछती है, “क्या तुम प्रतीक हो?” प्रतीक जवाब देता है, “क्या तुम स्वीटी हो?” दोनों एक-दूसरे को पहचान लेते हैं और हंसने लगते हैं।

स्वीटी पूछती है, “तुम यहां कैसे और कहां जा रहे हो?” प्रतीक जवाब देता है, “मैं दिवाली की छुट्टी पर घर जा रहा हूं।” फिर स्वीटी पूछती है, “तुम क्या कर रहे हो? कहां से आ रहे हो?” प्रतीक कहता है, “मैं दिल्ली में काम करता हूं। एक मजदूर हूं, पत्थर तोड़ता हूं।” यह सुनकर स्वीटी को विश्वास नहीं होता। वह कहती है, “तुम तो पढ़ाई में बहुत तेज थे। तुम्हारा फिजिक्स और मैथ्स सबकुछ बहुत अच्छा था। तुम लेबर कैसे बन गए?”

प्रतीक उसकी बात सुनकर कहता है, “क्या तुम्हें नहीं लग रहा कि मैं मजदूर हूं? मेरे कपड़े देखो, मेरे चेहरे को देखो, मेरे बालों को देखो। क्या मैं एक प्रोफेशनल लड़का लगता हूं?”

वह सच में एक मजदूर था, उसके शरीर से पसीने की गंध आ रही थी क्योंकि वह दौड़ता हुआ आया था। उसने फटे-पुराने कपड़े पहन रखे थे। स्वीटी ने उसकी बात मान ली और बोली, “ठीक है, मान लिया।” फिर प्रतीक ने पूछा, “तुम क्या कर रही हो और अब कहां रह रही हो?”

स्वीटी ने जवाब दिया, “मैं दिल्ली में रहकर तैयारी कर रही थी और यूपीएससी का एग्जाम पास कर लिया है। अब मैं आईएएस बनने वाली हूं।” यह सुनकर प्रतीक ने कहा, “बहुत अच्छी बात है। तुम इतने बड़े मुकाम पर पहुंच गई और मैं एक मजदूर बन गया। सोचो, तुम वही हो जो मेरे साथ पढ़ती थी और अब आईएएस बन गई हो। यह बहुत खुशी की बात है।”

इतनी बातें करने के बाद स्वीटी ने पूछा, “अच्छा, तुम्हारी चचेरी बहन संजू कैसी है? इस समय वह कहां है? क्या उसका नंबर मिल सकता है?” प्रतीक ने जवाब दिया, “हां, मेरे पास उसका नंबर है। ले लो, तुम बात कर सकती हो।” उसने संजू का नंबर दे दिया।

नंबर लेने के बाद, जैसे ही स्वीटी ने फोन लगाने की कोशिश की, प्रतीक ने तुरंत रोकते हुए कहा, “अभी फोन मत लगाओ। मेरे घर और चाचा के बीच कुछ विवाद चल रहा है, इसलिए हम लोग इस समय बात नहीं कर रहे हैं। बाद में एकांत में बात कर लेना।”

इतना कहने के बाद, ट्रेन उनके स्टेशन पर पहुंच गई। दोनों ट्रेन से उतरकर अपने-अपने घर की ओर चले गए।

घर पहुंचने के बाद, स्वीटी ने प्रतीक की चचेरी बहन संजू को फोन किया। फोन पर स्वीटी ने कहा, “संजू, तुम मुझे पहचान रही हो?” संजू ने जवाब दिया, “नहीं, मैं पहचान नहीं पा रही। आप कौन बोल रही हैं?” स्वीटी हंसते हुए बोली, “मैं स्वीटी बोल रही हूं। अब पहचान में आई?”

संजू चौंकते हुए बोली, “हां, बिल्कुल! स्वीटी, इतने सालों बाद तुमने मुझे फोन किया। लेकिन तुम्हें मेरा नंबर कैसे मिला?” स्वीटी ने बताया, “जब मैं ट्रेन से दिल्ली से घर आ रही थी, उसी समय तुम्हारा चचेरा भाई प्रतीक मिला। उसी से मैंने तुम्हारा नंबर लिया।”

यह सुनकर संजू हंसते हुए बोली, “अरे वाह! तो फिर से पुरानी जोड़ी मिल गई।” स्वीटी ने तुरंत कहा, “नहीं-नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। हम दोनों पहले भी सिर्फ दोस्त थे और अब भी दोस्त हैं।”

संजू मुस्कुराते हुए बोली, “चाहे जो भी हो, इतने सालों बाद मिलना अपने आप में खास बात है।”

दोस्तों, क्या स्वीटी और प्रतीक की पुरानी दोस्ती फिर से प्यार में बदल सकती है? क्या उनकी जिंदगी में नया मोड़ आएगा? यह जानने के लिए कहानी को आगे जरूर पढ़ें।

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जब मैं ट्रेन से आ रही थी, रास्ते में प्रतीक मिला। वह कह रहा था कि अब वह लेबर है और दिल्ली में पत्थर तोड़ने का काम करता है। मैंने यह बात सुनकर संजू से पूछा, “क्या यह सच है?” संजू ने गहरी सांस लेते हुए कहा, “हां, यह सच है। प्रतीक अब लेबर बन चुका है और उसकी हालत बहुत खराब है। वह पढ़ाई में बहुत अच्छा था, यह तो तुमसे बेहतर कौन जानता है। लेकिन उसकी जिंदगी बर्बाद हो गई।”

स्वीटी ने हैरानी से पूछा, “लेकिन ऐसा क्या हुआ?”
संजू ने बताया, “तुम्हें याद होगा, जब तुम्हारे भाई ने प्रतीक को मारा था। उसी समय उसके पापा ने भी उसे बहुत डांटा। गुस्से में वह अपने एक दोस्त के साथ दिल्ली चला गया कमाने के लिए, और उसकी पढ़ाई वहीं छूट गई। अब वह महीने-दो महीने में कभी-कभी घर आता है और बाकी समय दिल्ली में काम करता है।”

स्वीटी ने गंभीर होकर कहा, “मुझे तो यह सब नहीं पता था। और मेरा भाई कब मारा था? मैंने तो अपने भाई से कभी कुछ नहीं कहा!”
संजू ने कहा, “अरे, भूल गई? तुमने ही अपने भाई से कुछ कहा था, तभी उसने प्रतीक को मारा था।”
स्वीटी ने आश्चर्य से कहा, “सच में? कसम खाकर कहती हूं, मुझे नहीं पता।”
संजू ने कहा, “ऐसे पूछो अपनी सहेली प्रियंका से। वह जरूर बताएगी, क्योंकि उसने ही तुम्हारा लेटर तुम्हारे भाई को दिया था।”

स्वीटी ने तुरंत प्रियंका को फोन लगाया और पूछा, “तूने कभी मेरा लेटर मेरे भाई को दिया था क्या?” प्रियंका ने जवाब दिया, “हां, सही बात है। मैंने तुम्हारे भाई को वो लेटर दे दिया था। उसके बाद तुम्हारे भाई ने कुछ लड़कों को भेजकर प्रतीक की पिटाई करवा दी। फिर प्रतीक के पापा भी आए और उन्होंने उसे बहुत डांटा। इसके बाद प्रतीक कहां गया, मुझे नहीं पता।”

स्वीटी ने गुस्से में कहा, “ठीक है, फोन रख। आज के बाद मुझसे बात मत करना।”
फिर स्वीटी ने संजू को दोबारा फोन लगाया और कहा, “संजू, सच-सच बताओ। मैंने प्रियंका से पूछ लिया और वही सच है जो तुमने कहा था।”
संजू ने कहा, “देखो, तुम दोनों हमेशा एक ही टिफिन में खाना खाते थे और बहुत अच्छे दोस्त थे। सबको लगता था कि तुम दोनों एक-दूसरे को पसंद करते हो, लेकिन असल में ऐसा कुछ नहीं था। प्रतीक मुझसे बार-बार कहता था कि मैं तुमसे पूछूं कि क्या तुम उसे पसंद करती हो। लेकिन मैंने कभी तुमसे यह बात नहीं कही। एक बार सोच भी रही थी कि बताऊं, पर फिर नहीं कह पाई।”
फिर संजू ने धीरे से कहा, “कुछ दिनों बाद हमारे बीच भी मनमुटाव हो गया था।”

हम दोनों लंबे समय से बात नहीं कर रहे थे। इसी बीच प्रतीक ने तुम्हारे लिए एक लेटर लिखा और मुझे दिया। लेकिन मैंने गुस्से में वह लेटर तुम्हें नहीं दिया, बल्कि उसे फाड़कर फेंक दिया। इसके बाद मैंने प्रतीक से जाकर कह दिया कि स्वीटी ने तुम्हारा लेटर फाड़ दिया है और कहा है कि वह तुम्हें पसंद नहीं करती। यह सुनकर प्रतीक बहुत दुखी हुआ और रोने लगा। धीरे-धीरे उसने तुम्हें भूलने की कोशिश शुरू कर दी।

हाई स्कूल की परीक्षा के बाद प्रतीक ने एक बार फिर तुम्हें लेटर देने की कोशिश की। प्रियंका के भाई, जो प्रतीक का दोस्त था, को उसने लेटर दिया ताकि वह उसे तुम्हारे पास पहुंचा सके। लेकिन प्रियंका का तुम्हारे भाई के साथ अफेयर था, इसलिए उसने वह लेटर तुम्हें ना देकर अपने बॉयफ्रेंड यानी तुम्हारे भाई को दे दिया। जब तुम्हारे भाई ने वह लेटर पढ़ा, तो वह नाराज हो गया। उसने कुछ लड़कों को बुलाकर प्रतीक की पिटाई करवाई। इसके बाद वह लेटर लेकर तुम्हारे पापा के पास गया और फिर प्रतीक के घर जाकर उसके पिता को सारी बात बताई। प्रतीक के पिता ने उसे बहुत डांटा और मारा, जिसके बाद प्रतीक घर छोड़कर दो दिन के लिए गायब हो गया।

उसी दौरान, एक लड़का दिल्ली जाने की तैयारी कर रहा था। प्रतीक भी नाराज होकर घर छोड़कर दिल्ली चला गया। वहां उसने मजदूरी का काम शुरू कर दिया। उसकी पढ़ाई छूट गई और वह पत्थर तोड़ने का काम करने लगा। अब वह एक लेबर बन चुका था और कभी-कभी महीने-दो महीने में घर लौट आता था।

इधर, स्वीटी जो अब आईएएस अधिकारी बन चुकी थी, यह सब सुनकर अंदर ही अंदर बहुत दुखी थी। उसे बार-बार यही खयाल आता था कि क्यों ना वह लेटर उसे मिला। प्रतीक ने कई बार कोशिश की थी, लेकिन वह संदेश तुम्हारे पास कभी नहीं पहुंच सका।

एक दिन, दीपावली के बाद, स्वीटी ने प्रतीक को फोन किया और कहा, “प्रतीक, क्या तुम मेरे साथ दिल्ली चल सकते हो? मुझे वहां जाना है।” प्रतीक ने जवाब दिया, “स्वीटी, मैं अभी 20 दिन की छुट्टी पर आया हूं, इतनी जल्दी दिल्ली नहीं जा सकता।” लेकिन स्वीटी ने उसे मनाया, और आखिरकार प्रतीक मान गया।

अगले दिन दोनों ट्रेन से दिल्ली रवाना हो गए। सफर के दौरान उन्होंने बातें कीं और अपने पुराने दिनों को याद किया। स्वीटी ने प्रतीक से पूछा, “तुम हमें कब याद करते थे?” प्रतीक थोड़ा असहज हुआ और हल्के-फुल्के अंदाज में जवाब दिया। ट्रेन दिल्ली स्टेशन पर पहुंची, और वे दोनों वहां उतर गए।

स्टेशन का माहौल व्यस्त था, लेकिन स्वीटी के चेहरे पर एक मुस्कान थी। वह प्रतीक को लेकर अपने रूम पर गई। वहां उसने चाय बनाई और दोनों ने साथ में चाय पी। इस पल में दोनों को महसूस हुआ कि उनकी दोस्ती फिर से एक नई शुरुआत कर रही है।

धीरे-धीरे उनका मिलना-जुलना और बातें करना फिर से शुरू हो गया। वे शाम को साथ घूमने और बाजार जाने लगे। 10 साल पहले जैसी उनकी दोस्ती थी, वैसा ही रिश्ता फिर से लौट आया।

प्रतीक के गांव का एक लड़का, जो उसी जगह काम करता था जहां प्रतीक पत्थर तोड़ने का काम करता था, ने देखा कि प्रतीक का अंदाज बदल गया है। उसके कपड़े ठीक नहीं थे और बालों का स्टाइल भी अलग हो गया था। उसने यह भी पाया कि प्रतीक शाम को एक लड़की के साथ बाहर जाता है और उससे बातें करता है। यह जानकर वह लड़का प्रतीक के पिता को फोन करके कहता है, “सर, आपका बेटा बिगड़ गया है। वह एक लड़की के साथ बार-बार मिल रहा है और बातें करता है।”

प्रतीक के पिता चिंतित होकर तुरंत उसे फोन करते हैं और कहते हैं, “बेटा, जो कुछ पहले हुआ उसे भूल जाओ। अब ऐसा मत करो। इस बार जब तुम घर आओगे तो मैं तुम्हारी शादी करवा दूंगा।” पिता की बात सुनकर प्रतीक हैरान होता है लेकिन उसे उनकी चिंता समझ आती है। वह सोचता है कि क्या उसे अपने जीवन में नई दिशा लेनी चाहिए या अपनी पुरानी दोस्ती निभानी चाहिए। यह पल उसके भविष्य को तय करने वाला था।

प्रतीक अंदर ही अंदर घबराने लगता है और सोचता है कि यह बात किसने बताई होगी। लेकिन इस पर ज्यादा ध्यान न देते हुए वह स्वीटी को फोन करता है और कहता है, “स्वीटी, मेरे पापा को किसी ने बता दिया कि मैं तुमसे बात करता हूं और शाम को हम मिलते हैं। अब वे कह रहे हैं कि इस बार जब मैं घर जाऊंगा, तो वे मेरी शादी करवा देंगे। मुझे समझ नहीं आ रहा कि मुझे क्या करना चाहिए।”

स्वीटी जवाब देती है, “क्या तुम मुझसे प्यार करते हो? क्या तुम मुझसे शादी करोगे?” प्रतीक थोड़ी हिचकिचाहट में कहता है, “हमारी और तुम्हारी जोड़ी कहां मिलेगी? तुम एक अधिकारी हो और मैं एक मजदूर। हमारा लेवल अलग है।” स्वीटी फिर पूछती है, “बस इतना बताओ, तुम मुझसे शादी करोगे या नहीं?” प्रतीक गहरी सांस लेकर कहता है, “हां, मैं करूंगा। मैं बचपन से तुम्हें चाहता था और अब भी चाहता हूं। लेकिन तुम्हारे मन में क्या है, मुझे नहीं पता।”

स्वीटी कहती है, “मैं भी तुमसे प्यार करती हूं और शादी करूंगी। सबसे पहले तुम अपनी मां को फोन करके बता दो कि तुमने एक लड़की से शादी कर ली है। वह लड़की कुछ ही महीनों में आईएएस बन जाएगी।”

प्रतीक अपनी मां को फोन करता है और कहता है, “मां, जिस लड़की से मैं प्यार करता था, वह क्लास 10वीं में थी। उसी कारण पापा ने मुझे मारा था और मेरी पढ़ाई छूट गई थी। अब मैंने उसी लड़की से शादी कर ली है।” प्रतीक की मां यह सुनकर हैरान होती है और सोचती है कि क्या यह खबर सही है।

धीरे-धीरे यह बात गांव में फैल जाती है कि प्रतीक ने दिल्ली में एक लड़की से शादी कर ली है। वह लड़की, जो क्लास 10वीं में उसकी प्रेमिका थी, अब आईएएस बन चुकी है। यह खबर स्वीटी के घर तक पहुंचती है। जब स्वीटी के माता-पिता को इसका पता चलता है, तो वे विश्वास नहीं कर पाते। स्वीटी के पिता उसे फोन करके पूछते हैं, “बेटी, क्या यह सच है? क्या तुमने शादी कर ली है?”

स्वीटी जवाब देती है, “हां, पापा। मैंने उस लड़के से शादी कर ली है। वह एक मजदूर है, लेकिन मैं उससे बहुत प्यार करती हूं। मैंने उसे अपना जीवन साथी मान लिया है।” यह सुनकर उसके पिता फोन रख देते हैं और सोच में पड़ जाते हैं।

स्वीटी के पिता को यह समझ नहीं आता कि उन्होंने अपनी बेटी को एक सुनहरे भविष्य के लिए तैयार किया था, लेकिन उसने एक साधारण लड़के के साथ शादी कर ली। वे चिंतित होते हैं कि क्या यह फैसला सही है। लेकिन बाद में वे समझते हैं कि उनकी बेटी ने अपने प्यार को महत्व दिया है।

कुछ समय बाद स्वीटी और प्रतीक की शादी धूमधाम से होती है। शादी के बाद स्वीटी की जॉइनिंग भी आ जाती है और वह दिल्ली में एक रूम लेकर प्रतीक के साथ रहने लगती है। उनका जीवन नई शुरुआत के साथ आगे बढ़ता है।

यह कहानी यह सिखाती है कि सच्चा प्यार समय के साथ लौटकर आता है। अगर आप सच्चे दिल से प्यार करते हैं, तो वह प्यार एक न एक दिन जरूर मिल जाता है। प्यार की कीमत पैसों से नहीं आंकी जा सकती, जैसा कि एक प्रसिद्ध गाना भी कहता है, “सोने-चांदी से मांगा है प्यार।”

इस कहानी में स्वीटी के पास कई विकल्प थे। वह एक बड़े अधिकारी से शादी कर सकती थी, क्योंकि वह खुद एक आईएएस अधिकारी बन चुकी थी। लेकिन उसने अपने बचपन के प्यार, प्रतीक को चुना, जिसे उसने हमेशा अपने जीवन का आधार माना। यह साबित करता है कि सच्चे प्यार का कोई मोल नहीं होता, और इसके लिए अपने रिश्तों और मूल्यों को प्राथमिकता देना जरूरी है।

स्वीटी ने आईएएस बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की, संघर्ष किया और सफलता हासिल की। दूसरी तरफ, प्रतीक ने भी अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए मेहनत की और अपने क्षेत्र में तरक्की की।

इस कहानी का उद्देश्य किसी को आहत करना या परेशान करना नहीं है। इसका मकसद केवल आपको प्रेरित करना और यह सिखाना है कि सच्चे प्यार और मेहनत से सब कुछ संभव है।

आप जरूर सोचने पर मजबूर हुए होंगे कि जीवन में कई चुनौतियां और कठिनाइयां आती हैं लेकिन हमें हमेशा आगे बढ़ना चाहिए प्यार संघर्ष और मेहनत की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्चे दिल से किया गया प्रयास कभी बेकार नहीं जाता अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो और आप ऐसी ही और कहानियां सुनना चाहते हैं तो हमारे website को शेयर जरूर करें आपकी राय हमारे लिए महत्त्वपूर्ण है इसलिए कृपया अपनी राय निष्पक्षता के साथ कमेंट बॉक्स में जरूर दें जहां भी रहिए सचेत रहिए सुरक्षित रहिए बहुत-बहुत धन्यवाद

जीवन में चुनौतियां और कठिनाइयां आना स्वाभाविक है, लेकिन हमें हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए। यह कहानी हमें सिखाती है कि प्यार, संघर्ष और मेहनत से किया गया प्रयास कभी व्यर्थ नहीं जाता। अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो और आप ऐसी और कहानियां पढ़ना चाहते हैं, तो हमारी वेबसाइट को जरूर शेयर करें। आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है, इसलिए कृपया अपनी राय कमेंट बॉक्स में साझा करें। हमेशा सतर्क और सुरक्षित रहें। धन्यवाद!

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