नौकरानी से कहा मेरे पति से संबंध बनाओ मैं तुमको 15 लाख दूंगी

बंगाल के एक बड़े से बंगले में एक मालिक और मालकिन रहते थे। उनके साथ उनकी नौकरानी भी थी, जो घर का सारा कामकाज संभालती थी। मालिक और मालकिन के जीवन में एक गंभीर समस्या थी—उन्हें बच्चा नहीं हो रहा था। उन्होंने इस समस्या को लेकर कई प्रयास किए। नामी डॉक्टरों से इलाज करवाया और बड़े-बड़े तांत्रिकों के पास भी गए, लेकिन हर कोशिश नाकाम साबित हुई।

एक दिन मालकिन ने नौकरानी के पास आकर एक चौंकाने वाला प्रस्ताव दिया। उसने कहा, “तुम एक रात मेरे पति के साथ बिताओ। अगर तुम प्रेग्नेंट हो जाती हो और जो बच्चा पैदा होगा, उसे मुझे दे देना। बदले में मैं तुम्हें 15 लाख रुपये दूंगी।” यह सुनकर नौकरानी हैरान रह गई। वह एक गरीब परिवार से थी और पहले से ही तीन बच्चों की मां थी। एक और बच्चा पैदा करने में उसे कोई समस्या नहीं थी। 15 लाख रुपये की रकम सुनते ही उसकी आंखें चमक उठीं। उसने सोचा कि यह उसके लिए एक सुनहरा मौका है। एक बच्चा पैदा करके मालकिन को देने के बदले इतनी बड़ी रकम मिल जाए, तो उसकी जिंदगी आराम से कट जाएगी।

नौकरानी ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। कुछ समय बाद वह प्रेग्नेंट हो गई। जैसे-जैसे बच्चा पैदा होने का समय करीब आया, नौकरानी और मालकिन दोनों अपनी-अपनी योजनाओं में मग्न थीं। लेकिन तभी एक ऐसा अप्रत्याशित हादसा हुआ जिसने सबकुछ बदल कर रख दिया…

यह एक बेहद भावुक और मार्मिक कहानी है, जो केवल एक कथा नहीं बल्कि एक मां की ममता और त्याग की अनोखी दास्तां है। प्रिय दोस्तों, इस कहानी को अंत तक जरूर पढ़ें। आपका समर्थन हमारे लिए प्रेरणास्रोत है, जिससे हमें और भी अनोखी और महत्वपूर्ण कहानियां आपके लिए प्रस्तुत करने का हौसला मिलता है।

यह कहानी एक नौकरानी की जुबानी है। मेरा नाम अंजू है और यह मेरी जिंदगी की सबसे दुखद कहानी है। इसे सुनकर शायद आपकी आंखें नम हो जाएं। मैं बंगाल में अपनी मालकिन की खास नौकरानी थी। मेरी उम्र 32 साल थी और मेरे तीन बच्चे थे – दो बेटे और एक बेटी। मैं पिछले सात साल से अपनी मालकिन के घर में काम कर रही थी।

मेरी मालकिन और मालिक के बीच लव मैरिज हुई थी, लेकिन शादी के आठ साल बाद भी उनके घर में कोई औलाद नहीं थी। इस दौरान उन्होंने कई बड़े डॉक्टरों से इलाज करवाया और कई तांत्रिकों और पंडितों से भी मदद मांगी, लेकिन उनकी गोद सूनी ही रही। शायद उनके भाग्य में औलाद अभी तक नहीं लिखी थी।

मेरी मालकिन मुझसे बहुत प्यार करती थीं और मुझ पर पूरी तरह भरोसा करती थीं। शादी के एक साल बाद ही उन्होंने मुझे नौकरी पर रखा था और मैं उनके लिए सबसे भरोसेमंद नौकरानी साबित हुई। मालकिन और मालिक के बीच का प्यार बहुत गहरा था। शायद इसी वजह से मालकिन अपनी हर खुशी और दुख की बात मुझसे साझा करती थीं।

लेकिन मैं देख रही थी कि बच्चों की कमी के कारण मालिक धीरे-धीरे उनसे खफा रहने लगे थे। मालिक का कहना था, “मुझे तो अपना ही खून चाहिए। चाहे कुछ भी हो जाए, बच्चा तो चाहिए ही। मैं अपने माता-पिता का इकलौता बेटा हूं और उनके जाने के बाद मुझे ही अपनी पीढ़ी को आगे बढ़ाना है। अगर मेरा बच्चा नहीं हुआ तो मेरे खानदान का नाम और निशान मिट जाएगा।” इसी चिंता के कारण मालिक को अपनी जायदाद का वारिस भी चाहिए था।

लोगों ने कई बार उन्हें सलाह दी कि वे किसी बच्चे को गोद ले लें, लेकिन मालकिन का मानना था कि अपना खून ही सबसे खास होता है। मालिक भी इस बात पर अड़े हुए थे कि उन्हें हर हाल में अपना ही खून चाहिए। उन्होंने साफ कर दिया था कि वे औरतों की आड़ में अपनी इच्छाओं को दबाकर नहीं रह सकते और अगर उन्हें वारिस नहीं मिला तो वे दूसरी शादी कर लेंगे। मालकिन, जो अपने पति से बेहद प्यार करती थीं, इस विचार से बहुत परेशान रहती थीं। दूसरी औरत की कल्पना मात्र से ही उनका दिल सिहर उठता था।

हालांकि, मालिक ने हमेशा स्पष्ट किया था कि दूसरी शादी उनकी जरूरत है, न कि उनकी इच्छा। वे बार-बार मालकिन को भरोसा दिलाते थे कि उनके दिल में सिर्फ मालकिन का ही स्थान रहेगा और दूसरी पत्नी केवल उनके बच्चे की मां होगी। लेकिन यह आश्वासन भी मालकिन के दर्द को कम करने में नाकाम रहता था।

इन परिस्थितियों में मैंने मालकिन की बहुत मदद की। हर तांत्रिक, बाबा या पंडित के पास जब भी वे जाती थीं, मुझे अपने साथ ले जाती थीं। मुझे भी इस मदद का फायदा हमेशा मिला क्योंकि मालकिन ने मुझे हमेशा अपनी भरोसेमंद साथी माना। लेकिन इस बार हालात ज्यादा गंभीर हो गए थे। मालिक ने दूसरी शादी का पक्का इरादा कर लिया था और साफ कह दिया था कि वे इस बार अपने फैसले से पीछे नहीं हटेंगे।

पहले भी जब उन्होंने दूसरी शादी की बात की थी, तो मालकिन के आंसुओं ने उन्हें रोक लिया था। मालिक मालकिन को बहुत प्यार करते थे और उनकी आंखों में कभी भी आंसू नहीं देखना चाहते थे। लेकिन अब हालात बदल चुके थे। मालिक का निर्णय अटल था—उन्हें वारिस चाहिए और इसके लिए वे दूसरी शादी करेंगे। मालकिन का दिल पूरी तरह टूट चुका था।

हर कोशिश नाकाम साबित हो रही थी। जादू-टोने भी कोई असर नहीं कर रहे थे। मालकिन की हालत ऐसी हो गई थी, मानो उनके पास अब कोई चारा ही न बचा हो। वह अपने कमरे में आंसुओं में डूबी, करवटें बदल रही थीं। उन्हें इस हालत में देखकर मेरा दिल दुख से भर उठा। आखिरकार, मैंने हिम्मत जुटाई और उनसे कहा, “मालकिन, आप परेशान मत होइए। सब ठीक हो जाएगा। कुछ भी गलत नहीं होगा।”

मालकिन ने आंसू भरी आंखों से मेरी ओर देखा और कहा, “तुम नहीं समझती, अंजू। मैं अपने पति की दूसरी पत्नी को बर्दाश्त नहीं कर सकती। मैं नहीं चाहती कि मेरी सौतन मेरे ही घर में आए और मेरी जिंदगी पर उसकी छाया पड़े। मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूं। मुझे कभी नहीं पता था कि शादी के बाद भगवान मुझे औलाद नहीं देंगे। इसी वजह से मेरे पति के दिल में मेरे लिए मोहब्बत कम हो गई है, बल्कि शायद खत्म ही हो गई है।”

मैंने उन्हें दिलासा देते हुए कहा, “मालकिन, ऐसा बिल्कुल नहीं है। मालिक आपसे बहुत प्यार करते हैं। वे मजबूरी में दूसरी शादी करने की बात कर रहे हैं।”

मालकिन ने गहरी सांस लेते हुए कहा, “तुम क्या जानो, अंजू। जब मेरे पति दूसरी पत्नी को इस घर में लाएंगे और वह उन्हें बच्चा देगी, तो उनके दिल में जो मेरे लिए बची-खुची मोहब्बत है, वह भी खत्म हो जाएगी। क्योंकि मैं तो उन्हें बच्चा नहीं दे सकी। और जब वह औरत उन्हें बच्चा देगी, तो वे उसे और उसके बच्चे को ज्यादा अहमियत देंगे। इस घर में मेरी जो इज्जत बची है, वह भी खत्म हो जाएगी। ऐसा मैं बिल्कुल नहीं चाहती।”

थोड़ी देर रुककर उन्होंने कहा, “हां, अगर मेरा पति किसी और का बच्चा गोद ले ले, तो वह ठीक है। लेकिन मैं अपनी सौतन को अपने सामने इस घर में नहीं देख सकती। मेरा भी इस समाज में एक रुतबा है। मैं एक बड़े बिजनेसमैन की बेटी हूं। तुम तो जानती हो कि मैंने बहुत जिद करके अपने पति से शादी की थी। मेरे माता-पिता भी इस शादी के लिए राजी नहीं थे। अगर उन्हें पता चला कि मेरे पति दूसरी शादी कर रहे हैं, तो वे भी यही कहेंगे कि यह मेरी गलती का नतीजा है। मैं उनसे भी अब कुछ कह नहीं सकती।”

मालकिन ने अपने दिल के सारे दर्द खोलकर रख दिए। उन्होंने आगे कहा, “मेरे पति के दोस्त भी उन्हें सलाह देते हैं कि वे दूसरी शादी कर लें। अगर ऐसा हुआ, तो इस घर में मेरी कोई इज्जत नहीं बचेगी। लेकिन मैं ऐसा कभी नहीं होने दूंगी।”

मुझे कोई ना कोई रास्ता जरूर निकालना होगा। मालकिन बेहद परेशान थीं। वह कमरे में इधर-उधर चक्कर काट रही थीं। अचानक वह एक जगह रुक गईं और मेरी तरफ कुछ अजीब नजरों से देखने लगीं। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि वह ऐसा क्यों कर रही हैं। तभी उन्होंने मेरी ओर रुख किया और गंभीर स्वर में कहा, “अंजू, क्या तुम मेरी मदद कर सकती हो?”

मालकिन ने अचानक मेरी आंखों में देखा और मेरे हाथों को थाम लिया। उन्होंने मुझसे एक सवाल किया, जो मुझे चौंका गया। उनकी आंखों की गंभीरता देखकर मैं समझ नहीं पा रही थी कि वह मुझसे क्या कहना चाहती हैं। मैंने कहा, “मालकिन, मुझे यह कहने की जरूरत नहीं है कि मैं आपकी मदद करने के लिए हमेशा तैयार हूं। यह तो मेरा फर्ज है। आप बस मुझे बताइए कि मुझे क्या करना है, और मैं आपकी हर संभव मदद करूंगी।”

मालकिन ने थोड़ी हिचकिचाहट के बाद कहा, “मैं आज तुमसे एक ऐसी मदद मांगने जा रही हूं, जो शायद तुम कभी भी करने के लिए तैयार न हो।” उनकी यह बात सुनकर मैं एकदम चौंक गई। मेरे मन में कई सवाल उमड़ने लगे कि आखिर वह मुझसे ऐसा कौन सा काम करवाना चाहती थीं, जिसके बारे में वह इतनी उलझन में थीं।

मैंने तुरंत जवाब दिया, “मालकिन, ऐसा कैसे सोच लिया आपने? मैं आपकी हर मुश्किल में साथ देने के लिए हमेशा तैयार हूं। कभी ऐसा नहीं हो सकता कि मैं आपकी मदद करने से इंकार कर दूं।”

मालकिन ने फिर गंभीरता से कहा, “जो बात अब मैं तुमसे कहने जा रही हूं, वह सुनने में ही मुश्किल है और करना तो और भी कठिन होगा। हो सकता है कि तुम इस मामले में मुझसे मना कर दो।”

उनकी बातों से मेरी जिज्ञासा बढ़ती जा रही थी। लेकिन अगले ही पल उन्होंने मेरी आंखों में देखते हुए एक ऐसी बात कह दी, जिसे सुनकर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। मैं हैरान रह गई और एक पल के लिए बिल्कुल स्तब्ध हो गई।

मालकिन ने मेरे चेहरे पर छाई घबराहट को भांपते हुए कहा, “मैं जानती थी कि तुम मेरी मदद नहीं करोगी। कोई भी औरत इस तरह के काम को इतनी आसानी से नहीं कर सकती।”

मैंने भी हिचकिचाते हुए कहा, “यह काम तो बहुत बड़ा है। इसे करना आसान नहीं है। और इस काम का जितना बड़ा असर मुझ पर पड़ेगा, उससे कहीं ज्यादा आप पर भी पड़ेगा।”

मालकिन ने मेरी हिचकिचाहट को देखते हुए फिर कहा, “अगर तुम मेरी मदद करोगी, तो मैं तुम्हें इसके बदले 15 लाख दूंगी।”

15 लाख की बात सुनकर मैं स्तब्ध रह गई। मैंने अपनी जिंदगी में कभी इतने पैसे नहीं देखे थे। मेरे सामने मानो 15 लाख रुपए लहराने लगे।

मैं एक साधारण गरीब परिवार से थी, और मेरी शादी भी एक छोटे किसान से हुई थी। मेरा पति गांव में हमारे बच्चों के साथ रहता था, जबकि मैं शहर में एक घर में काम करती थी। हर महीने अपनी कमाई का कुछ हिस्सा गांव में अपने पति को भेजा करती थी। लेकिन हमारे हालात कभी सुधरे नहीं। मेरे पति ने नौकरी छोड़ दी थी और भारी कर्ज ले रखा था, जो लगभग 2 से 3 लाख तक पहुंच गया था।

एक दिन मालकिन ने मुझे 15 लाख रुपये देने की बात कही। यह रकम हमारे लिए बहुत बड़ी थी और इससे हमारा पूरा कर्ज खत्म हो सकता था। मेरे लिए यह रकम बहुत मायने रखती थी। मुझे यकीन था कि मेरे पति जब 15 लाख की बात सुनेंगे तो वह इस काम के लिए तुरंत तैयार हो जाएंगे। इसी उम्मीद के साथ मैंने मालकिन से कहा, “मैं आपकी मदद करूंगी।”

लेकिन जब मालकिन ने अपनी योजना बताई, तो मैंने उनसे गंभीरता से कहा, “मालकिन, इस काम में कई तरह के खतरे हो सकते हैं। अगर किसी को इसके बारे में पता चल गया, तो आपकी बदनामी हो सकती है। लोग क्या-क्या बातें बनाएंगे और आपकी प्रतिष्ठा पर इसका बुरा असर पड़ेगा। सबसे बड़ी बात तो यह है कि क्या मालिक इस काम के लिए राजी हो जाएंगे?”

मालकिन ने गहरी सांस लेते हुए जवाब दिया, “जब मेरे पति दूसरी शादी के लिए तैयार हैं, तो इस काम के लिए भी मान जाएंगे।” उनकी आवाज से साफ था कि वह इस फैसले को भारी दिल से ले रही थीं। मैंने उनसे फिर कहा, “मालकिन, आपको एक बार मालिक से बात जरूर करनी चाहिए। यह बहुत बड़ा और जोखिम भरा फैसला है। कृपया पहले अच्छी तरह सोच लें और फिर कोई कदम उठाएं।”

मालकिन ने थोड़ी देर सोचने के बाद कहा, “मुझे पता है कि यह कोई छोटी बात नहीं है। यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। लेकिन मैंने इसे बहुत सोच-समझकर तय किया है।” मैंने उन्हें सलाह दी, “आप एक बार और सोच लें, मालकिन। ऐसा न हो कि बाद में आपको पछताना पड़े।” मालकिन ने सिर हिलाते हुए दृढ़ता से कहा, “मैंने इस फैसले को बहुत मुश्किल से लिया है और अब मैं पीछे नहीं हटूंगी।”

उनके दृढ़ निश्चय को देखकर मैं समझ गई कि उन्होंने अपना मन बना लिया है। लेकिन उनकी और मालिक के बीच इस फैसले की संवेदनशीलता को देखते हुए मैं अब भी चिंतित थी। मालकिन ने आत्मविश्वास भरी आवाज में कहा, “मैं पीछे नहीं हटने वाली हूं। तुम मेरी फिक्र मत करो। मैं खुद को संभाल लूंगी। मुझे अपनी जिंदगी में सब कुछ खोने से बचाना है।”

उनकी आवाज में अजीब सा आत्मविश्वास और दृढ़ता थी। मैंने महसूस किया कि मालकिन ने यह फैसला बहुत सोच-समझकर और पूरी पक्की नियत से लिया था।

उन्होंने कहा, “मैं अपनी सौतन को सारी जिंदगी के लिए बर्दाश्त नहीं कर सकती, लेकिन एक रात की परेशानी झेल सकती हूं। मुझे यह सब करना ही होगा।” उनकी बातों ने मुझे भी अपने दिल को कठोर बनाने पर मजबूर कर दिया। हालांकि, मुझे सबसे पहले अपने पति से इस काम के लिए अनुमति लेनी थी। यह काम वाकई बहुत मुश्किल और भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण था।

मैंने सोचा, अगर मेरे पति ने इजाजत दे दी, तो मैं इस तरह से मालकिन की मदद करने के लिए तैयार हूं। हमें यह काम पूरी गोपनीयता के साथ करना था ताकि कोई बाहरी व्यक्ति इसके बारे में कुछ ना जान सके। अगर लोगों को पता चल जाता, तो मालिक और मालकिन की छवि खराब हो सकती थी। मुझे मालिक से भी डर लग रहा था क्योंकि वह गुस्से में बहुत तेज थे और अपनी पत्नी से बेहद प्यार करते थे। मुझे डर था कि अगर उन्हें यह पता चला कि यह योजना उनकी पत्नी ने बनाई है, तो उनका रिएक्शन क्या होगा।

मालकिन ने जो योजना बनाई थी, उस पर हम दोनों ने सावधानी से काम शुरू किया। मैंने अपने पति को फोन किया ताकि पहले उसकी सहमति मिल सके। अब बस हमें मालिक के आने का इंतजार था। दरअसल, हमारी योजना यह थी कि मालकिन ने मुझसे कहा था, “तुम मेरे पति का बच्चा पैदा करोगी क्योंकि मैं अपनी जिंदगी में किसी और को अपनी सौतन के रूप में बर्दाश्त नहीं कर सकती। लेकिन सिर्फ एक रात के लिए, एक बच्चे की खातिर मैं अपने पति को दूसरी औरत के साथ स्वीकार कर सकती हूं। इसमें मुझे कोई हर्ज नहीं है।”

मालकिन ने स्पष्ट रूप से कहा, “तुम मेरी जगह मेरे कमरे में जाओगी और मेरे पति के साथ संबंध बनाओगी। जब तुम गर्भवती हो जाओगी और बच्चा पैदा होगा, तो वह बच्चा हमें दे देना। इसके बदले मैं तुम्हें 15 लाख की रकम दूंगी।” मुझे इस काम से कोई समस्या नहीं थी, लेकिन मुझे अपने पति की इजाजत लेनी थी।

15 लाख की रकम के बारे में सुनकर मेरे पति ने मुझे तुरंत अनुमति दे दी। उन्होंने कहा कि उन्हें कोई ऐतराज नहीं है, उन्हें तो बस पैसे से मतलब था। जब मैंने मालकिन को बताया कि मेरा पति राजी हो गया है, तो वह बहुत खुश हुईं। उन्होंने बताया कि उनके पति भी इस बात से सहमत हैं। पहले तो उनके पति थोड़े नखरे कर रहे थे, लेकिन उन्हें भी औलाद और अपने खून का एक वारिस चाहिए था।

इसलिए वह भी इस काम के लिए तैयार हो गए। रात होते ही मालकिन ने मुझे अपने कमरे में भेज दिया। आज मैंने मालकिन की आंखों में आंसू देखे थे। उन्हें इस तरह तड़पते हुए देखना मानो कोई मछली बिना पानी के तड़प रही हो। कभी-कभी औरत इतनी मजबूर हो जाती है कि जो नहीं चाहती, वही करना पड़ता है। आज मैंने मालकिन को बेहद लाचार और मजबूर देखा। उन्होंने मुझे गले लगाकर कहा, “तुम मुझे निराश मत करना। जिस इरादे से मैं तुम्हें भेज रही हूं, भगवान करे कि वह पूरा हो जाए। मेरे पति को औलाद मिल जाए ताकि मेरे बच्चे की कमी पूरी हो और मेरा पति मुझसे अलग न हो।”

मैं मालकिन के कमरे में चली गई। उन्होंने नींद की दवा खाकर सोने चली गईं। जैसा हमने सोचा था, वैसा ही हुआ। हमें ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा। जल्दी ही मेरी तबीयत पहले दिन से ही खराब रहने लगी। मालकिन ने मुझे शहर के सबसे अच्छे डॉक्टर के पास दिखाया। डॉक्टर ने हमें खुशखबरी दी। मालकिन और उनके पति बेहद खुश हुए। मालकिन से ज्यादा तो उनके पति खुश थे और उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। पहली कामयाबी हमें मिल चुकी थी। भगवान ने हमें ज्यादा इंतजार नहीं करवाया।

मेरी आंखों के सामने लाखों रुपये की रकम थी। मैंने देखा कि मालिक और मालकिन दोनों बेहद खुश थे। मालिक ने अपने सारे रिश्तेदारों के सामने यह खबर फैला दी कि मालकिन प्रेग्नेंट हैं। किसी को यह नहीं बताना था कि यह बच्चा मालकिन की कोख से नहीं, बल्कि मेरी कोख से जन्म लेगा। मालिक के सारे रिश्तेदार भी खुश थे। मालिक यह नहीं चाहते थे कि कोई और इस सच को जाने।

मालिक दूसरी शादी नहीं करना चाहते थे। अगर उन्हें दूसरी शादी करनी होती, तो वे यह काफी पहले ही कर चुके होते। मालिक अमीर थे। कोई भी औरत उनसे आसानी से शादी कर सकती थी। मुझे लगा कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतते गए, मेरी घबराहट बढ़ती चली गई। मैं बहुत परेशान थी, जबकि मालिक और मालकिन अपने बच्चे के आने के सपने देख रहे थे।

वे दोनों मेरा बहुत ख्याल रखते थे। मुझे अच्छे-अच्छे खाने खिलाते थे। मैं उनके घर में रहती थी और कई सालों से उनकी सेवा कर रही थी। लेकिन अब हालात ऐसे बन गए थे कि दोनों पति-पत्नी मिलकर मेरी सेवा कर रहे थे। मैं सोचने लगी कि मालकिन का क्या हाल होगा। लेकिन मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण था अपने बच्चे को बचाना। यह मेरी जिम्मेदारी थी।

लगभग छह घंटे का सफर तय करने के बाद मैं अपने गांव पहुंच गई। लेकिन दर्द तेजी से बढ़ने लगा। मैं अपने घर नहीं गई, क्योंकि मेरा पति वहां 50 लाख रुपये की उम्मीद लगाए बैठा था। मेरे पति पर बहुत कर्ज था। इन नौ महीनों में उसने न जाने कितने बड़े सपने देख लिए थे। मुझे डर था कि अगर मैं उसके पास गई, तो वह मुझे वापस मालकिन के पास ले जाएगा और उनसे पूरा पैसा हासिल कर लेगा। मेरा पति पहले से ही बेहद लालची इंसान था।

जो व्यक्ति अपनी पत्नी को 15 लाख रुपये के लालच में दूसरों के साथ सहन कर सकता है, वह कभी उसकी ममता को नहीं समझ सकता। जब उसे 15 लाख रुपये मिलने की बात सुनने को मिली, उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। वो पूरे दिन यही सोचता रहता था कि पैसे मिलने के बाद क्या-क्या करेगा, क्या खरीदेगा, और कैसे अपनी जिंदगी बदल देगा। ऐसा लग रहा था जैसे उसे अपनी पत्नी और बच्चों से ज्यादा पैसे से प्यार था।

मैं गांव की मशहूर दाई, शारदा, के पास चली गई। मेरे बाकी बच्चे भी शारदा के पास ही पैदा हुए थे। उस रात, गर्मियों की रात थी और मैं घर से रात के 2 बजे रवाना हुई थी। सुबह 8 बजे मैं शारदा के घर पहुंची। गर्मियों में गांव के लोग जल्दी उठ जाते हैं, और दाई या डॉक्टर का काम ही ऐसा होता है कि उन्हें किसी भी समय मरीजों को संभालने के लिए तैयार रहना पड़ता है। जब मैं वहां पहुंची, तो शारदा मुझसे बहुत सारी बातें करने लगी। मैंने उनसे कहा कि मेरे पास ज्यादा समय नहीं है। मुझे बहुत दर्द हो रहा है और मेरी डिलीवरी का समय आ गया है। मैंने उनसे विनती की कि मेरा बच्चा सुरक्षित और सही-सलामत मुझे दे दें।

मेरे मन में एक ही चिंता थी—कहीं मेरे मालिक के आदमी यहां न पहुंच जाएं और मेरा बच्चा मुझसे छीन न लें। मुझे जल्दी से जल्दी वहां से निकलकर अपने बच्चे को लेकर कहीं दूर जाना था। मुझे अपने मालिक और मालकिन से बहुत डर लग रहा था, और इस बात का भी डर था कि कहीं मेरा पति पैसों के लालच में आकर मेरा बच्चा उन्हें न सौंप दे। इसी डर और परेशानी के कारण मैं अपने घर भी वापस नहीं जा सकी। मेरे हालात इतने खराब थे कि मैंने यह तक नहीं सोचा कि पीछे मेरे मालिक और मालकिन का क्या हाल होगा जब उन्हें पता चलेगा कि मैं रातों-रात उनके घर से भाग गई हूं।

तो पहले तो वे लोग मुझे ढूंढ़ने की कोशिश करेंगे और उसके बाद ना जाने वे दोनों एक-दूसरे के साथ क्या करेंगे। फिलहाल, मुझे दर्द शुरू हो चुका था और मेरी डिलीवरी शारदा करवा रही थी। लगभग एक घंटे की मेहनत के बाद मेरा बच्चा इस दुनिया में आ गया। मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। मैंने सोच लिया था कि मैं जल्द से जल्द अपने बच्चे को लेकर यहां से कहीं दूर चली जाऊंगी, ताकि मेरे बारे में किसी को कुछ भी पता न चल सके। मैं किसी भी तरह अपना बच्चा मालिक और मालकिन को नहीं दूंगी।

मैंने यह भी नहीं सोचा कि मालिक और मालकिन ने सारी जिंदगी मुझ पर कितने एहसान किए थे। उन्होंने मुझे खाना दिया, पहनने के लिए कपड़े दिए, और रहने के लिए जगह दी। अगर वे यह सब ना देते, तो मेरे पास खाने के लिए भी कुछ नहीं होता। उनकी ख्वाहिश पूरी करने के समय पर मैंने उनकी सारी उम्मीदों को तोड़ दिया। उन दोनों से इतना बड़ा वादा मैंने नौ महीने तक निभाया था, लेकिन जब वह वादा पूरा करने का समय आया, तो मैंने उन्हें धोखा दिया।

मुझे नहीं पता था कि एक मां इतनी खुदगर्ज कैसे हो सकती है, जितनी मैं हो गई थी। मैंने उन दोनों पति-पत्नी की भावनाओं को ठेस पहुंचाई। जब मेरा बच्चा पैदा हुआ तो उसके रोने की आवाज सुनकर मुझे ऐसा लगा कि मेरी जान में जान आ गई है। तीन घंटे आराम करने के बाद मैंने अपने बच्चे को लेकर बहुत दूर जाने का निर्णय लिया।

यह एक छोटा सा गांव था, जहां बहुत कम लोग रहते थे। यहां मैंने एक पुरानी झोपड़ी में अपना बसेरा बना लिया और अपने बच्चे की देखभाल करने लगी। शायद मुझे अपने किए की सजा मिलनी थी, क्योंकि मैंने उन दोनों पति-पत्नी का दिल दुखाया था। मुझे मेरी गलती की सजा इस तरह मिली कि एक दिन अचानक मेरी तबीयत खराब हो गई।

गांव के लोगों ने मेरी मदद की, लेकिन अब मेरा क्या होगा, इस बारे में मुझे कुछ पता नहीं था। लोगों ने मुझे विधवा समझकर सरकारी अस्पताल में भर्ती करवा दिया।

वहां पता चला कि मुझे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी है, और मैं केवल उसी समय तक जी रही हूं, जब तक मेरी सांसें चल रही हैं। यह सोचकर कि मेरी मौत कभी भी आ सकती है, मैंने अपनी जिंदगी की पूरी कहानी डायरी में लिखनी शुरू कर दी। मेरा उद्देश्य था कि मेरी गलतियों से कोई और महिला सीख ले और वही गलती न करे। मैं रोजाना डायरी लिखती थी। समय बीतते-बीतते मेरा बेटा 15 साल का हो गया।

मेरा बेटा बचपन से ही बहुत समझदार था। शायद भगवान ने मेरी जिंदगी को 15 साल तक खींचा ताकि मैं उसे सही तरीके से पाल सकूं। एक दिन, मेरी डायरी किसी तरह मेरे बेटे के हाथ लग गई। वह गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ता था और पढ़ाई में काफी अच्छा था। उसने मेरी डायरी पढ़ ली और मेरी सच्चाई जान गया। जब उसने मुझसे सवाल किया, तो मैं डर गई। मैंने पूछा कि उसे सब कैसे पता चला। उसने मुझे मेरी डायरी दिखाई। यह सब मेरे लिए एक बड़ा सदमा था, और मेरी तबीयत खराब होने लगी।

मेरे बेटे ने शायद मेरी जान बचाने के लिए हर संभव कोशिश की। उस डायरी में शहर का पता भी लिखा हुआ था, जहां मालिक और मालकिन का बंगला था। मेरे बेटे ने मुझे गांव की मानसी के पास छोड़कर शहर जाने का फैसला किया। मैंने उसे रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसने मेरी बात नहीं मानी। वह अकेले ही उस पते पर चला गया।

जब वह वहां पहुंचा, उसने मालिक और मालकिन को सारी सच्चाई बता दी। शुरुआत में उन्हें विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने सोचा कि यह बच्चा झूठ बोल रहा है। लेकिन जब उन्होंने उसकी शक्ल गौर से देखी, तो हैरान रह गए। मालिक के गले पर एक छोटा सा मस्सा था, और वही मस्सा मेरे बेटे के गले पर भी था, जो यह साबित करता था कि वह मालिक का ही बेटा है। उसके बोलने का अंदाज भी मालिक जैसा था।

मालकिन अपने गुस्से के कारण हमारी मदद करने को तैयार नहीं थी। हालांकि, मेरे बेटे ने उनसे विनती की कि वह मेरी जान बचाने में मदद करें। उसने कहा कि मुझे शहर में इलाज की जरूरत है और मेरा ऑपरेशन करवाना होगा, वरना मैं मर जाऊंगी।

मालिक और मालकिन का आज तक कोई बच्चा नहीं हुआ था, और मेरे भाग जाने के बाद उन्होंने औलाद की ख्वाहिश को भी खत्म कर दिया था। मालिक का मानना था कि शायद भगवान नहीं चाहते कि उनके पास बच्चा आए। उन्होंने इसे भगवान की मर्जी समझकर स्वीकार कर लिया और औलाद की इच्छा को अपने दिल से निकाल दिया।

जब मालिक और मालकिन उस लड़के के साथ मुझसे मिलने आए, तो मुझे देखकर उनकी पुरानी यादें ताजा हो गईं। मुझे बीमार और तड़पता हुआ देखकर उन्होंने मुझसे शिकायत की, “तुमने हमारे साथ अच्छा नहीं किया। तुम जानती थी कि हमने दुनिया वालों से झूठ बोला था। जब तुम भाग गई, तो हमने लोगों से कहा कि हमारा बच्चा अस्पताल में पैदा हुआ था, लेकिन वहां से उसे किसी चोर ने चुरा लिया था। हमें क्या पता था कि 15 साल बाद हम अपने बेटे को इस हाल में देखेंगे।”

मैंने मालिक और मालकिन के सामने हाथ जोड़कर माफी मांगी। उन्होंने मुझे माफ कर दिया और मुझे शहर ले जाकर इलाज करवाया। शायद भगवान ने मुझे दूसरी जिंदगी दे दी थी। मेरी गलती बहुत बड़ी थी, जिसके लिए मौत भी कम सजा होती, लेकिन मेरे बेटे की दुआओं और उसकी मेहनत का नतीजा था कि मैं बच गई।

मेरे बेटे को भी सच्चाई का पता चल गया था कि मैं 15 साल तक कहां छुपी रही। मेरे पति तो 10 साल पहले ही एक एक्सीडेंट में मर गए थे। मेरे बच्चों ने मुझे तलाशने की बहुत कोशिश की थी, लेकिन मैं उन्हें छोड़कर चली गई थी। इस तरह मैंने अपने बच्चों का भी दिल दुखाया था। अब मेरे तीनों बच्चे जवान हो गए थे।

इधर, मालकिन का बेटा भी 15 साल का हो चुका था और इतने सालों तक मालिक और मालकिन से दूर रहा। मैंने मालिक और मालकिन को उनका बेटा सौंप दिया, लेकिन मेरा बेटा मुझे ही अपनी मां समझता था। उसे पूरी सच्चाई पता थी। मैंने उससे कहा, “बेटा, शायद यही मेरी गलती का पश्चाताप है। मैं इसी तरह अपनी गलती को सुधार सकती हूं। अब मैं इन पति-पत्नी के साथ कोई अन्याय नहीं कर सकती।”

इन्हीं की वजह से मेरी जिंदगी बच गई। इस तरह, मैं अपने गांव और बच्चों के पास लौट गई और मालिक-मालकिन को उनका बेटा वापस कर दिया। अब वे अपनी जिंदगी में खुश हैं और मैं भी अपने बच्चों के साथ रहकर खुश हूं। मालिक और मालकिन ने इतने सालों बाद भी अपना वादा निभाया और मुझे 15 लाख रुपये दे दिए। हालांकि, मुझे इस पैसे की जरूरत नहीं थी, लेकिन उन्होंने कहा कि अब तुम्हारा पति कमाने वाला नहीं है, इसलिए यह पैसा रख लो, तुम्हारे काम आएगा।

मुझे अफसोस हो रहा था कि मैंने इतने भले पति-पत्नी के साथ गलत किया था। लेकिन मेरे छोटे बेटे की याद मुझे अब भी सताती थी। वह मेरे पास नहीं था, और मैं अक्सर सोचती थी कि क्या उसने मुझे माफ कर दिया होगा। क्या वह मेरे बिना खुश रह सकता था? मेरी नई जिंदगी में एक नई चुनौती थी—अपने अतीत को भुलाकर आगे बढ़ना।

दोस्तों, मुझे उम्मीद है कि आपको यह कहानी पसंद आई होगी। यह कहानी वास्तव में बहुत दुखद है। इस महिला ने जो गलती की, उसके लिए उसे पछतावा होना चाहिए। अगर उसे पहले से पता था कि उसे बच्चा पैदा करके मालिक को देना है, तो उसे यह निर्णय पहले ही स्पष्ट कर लेना चाहिए था। अगर उसने तय कर लिया था कि वह इस बच्चे को अपने पास नहीं रखेगी और 15 लाख के बदले में उसे दे देगी, तो उसे वही करना चाहिए था।

कई लोग 10 से 20 साल तक बच्चे की चाहत में जीते हैं लेकिन उन्हें बच्चा नहीं होता। ऐसे में, कुछ लोग अनाथ आश्रम से बच्चे को गोद लेकर उसे अपना मानते हैं और प्यार से पालते हैं।

लेकिन मालिक और मालकिन ने उसे बहुत सम्मान दिया था। उन्होंने कहा था कि तुम अपना बच्चा पैदा करो और हमें दे दो, इससे हमें खुशी मिलेगी। इसके बदले में मोटी रकम भी दी जा रही थी। लेकिन उसने बहुत गलत कदम उठाया। इसके परिणामस्वरूप न केवल एक बच्चे की जिंदगी बर्बाद हुई, बल्कि मालिक-मालकिन, उसके अपने तीन बच्चों, और पति की जिंदगी भी प्रभावित हुई।

इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि हर निर्णय के पीछे उसके परिणाम छुपे होते हैं। हमें अपने विकल्पों पर सोच-समझकर फैसला लेना चाहिए। अक्सर तात्कालिक लाभ के लालच में हम अपनी मानवीयता और रिश्तों की कीमत चुकाते हैं। जब हम अपनी इच्छाओं और जरूरतों को प्राथमिकता देते हैं, तो हम यह भूल जाते हैं कि हमारे निर्णय दूसरों के जीवन पर भी प्रभाव डालते हैं।

उस लड़की ने ऐसा रास्ता चुना, जिसने अंततः उसे और उसके प्रियजनों को दुख और पीड़ा में डाल दिया।

यह एक महत्वपूर्ण सबक है कि जब भी हम किसी बड़े निर्णय का सामना करें, हमें अपने और दूसरों के भावनात्मक संबंधों का ध्यान रखना चाहिए। आखिरकार, सच्चा सुख केवल पैसे में नहीं होता, बल्कि प्यार, परिवार और एक दूसरे की देखभाल में छिपा होता है। जब हमें अपने बच्चों और परिवार के लिए सही मार्ग चुनना हो, तो हमें अपनी प्राथमिकताओं को समझदारी से तय करना चाहिए।

हर मां की तरह उसे भी अपने बच्चे का ख्याल रखना चाहिए था, लेकिन उसने एक ऐसा कठिन रास्ता चुना जिसने उसे अपने ही बच्चों से दूर कर दिया। यह कहानी हमें एक महत्वपूर्ण चेतावनी देती है कि कभी भी अपने स्वार्थ के लिए रिश्तों का त्याग न करें, क्योंकि अंततः यही रिश्ते हैं जो हमें जीने की प्रेरणा देते हैं।

दोस्तों, इस कहानी को साझा करने का मेरा उद्देश्य किसी को ठेस पहुंचाना या किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था। मेरा मकसद केवल आपको जागरूक और सतर्क करना था। इस पूरी कहानी को पढ़कर आपका मन जरूर सोचने पर मजबूर हुआ होगा। ऐसी ही और प्रेरक कहानियों के लिए हमारी वेबसाइट को साझा करना न भूलें।

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