पति-पत्नी का कोर्ट में तलाक हो रहा था तभी जज साहिबा ने कुछ ऐसा किया

दोस्तों, एक लड़के अमित की शादी हीना नाम की लड़की से होती है। शुरू में सब ठीक चलता है, लेकिन शादी के दो साल के अंदर ही हीना ने अमित की जिंदगी को मुश्किलों से भर दिया। उसने अमित को गुंडों से पिटवाया, सास-ससुर के साथ बदतमीजी की और उन पर दहेज उत्पीड़न का झूठा केस कर दिया। इसके बाद हीना अपने मायके चली गई और वहां रहते हुए अपने प्रेमी के साथ मौज-मस्ती में लग गई।

हीना ने महिला सुरक्षा कानूनों का गलत फायदा उठाकर अपने ससुराल वालों की जिंदगी को और भी कठिन बना दिया। इस बीच, दोनों के बीच तलाक का केस कोर्ट में चल रहा था। छह साल बाद इस केस की सुनवाई का समय आया। यह केस एक महिला जज के पास पहुंचा, जो करीब 30-35 साल की थीं और अपने सख्त और तेज फैसलों के लिए जानी जाती थीं।

जब जज साहिबा ने अमित और हीना के केस की पूरी दास्तान सुनी, तो वे अमित की तरफ देखकर मुस्कुराईं और उसके प्रति सहानुभूति दिखाने लगीं।

दोस्तों, यह कहानी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले की है, जहां कोर्ट में तलाक के एक केस की सुनवाई चल रही थी। मामला अमित और हीना का था। अमित एक सरकारी स्कूल में टीचर था, जबकि उसकी पत्नी हीना पर आरोप थे कि उसने अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ झूठे केस दर्ज कराए और उन्हें परेशान किया। हीना पर यह भी आरोप था कि वह अपने प्रेमियों के साथ मस्ती में व्यस्त रहती थी और महिला सुरक्षा कानूनों का दुरुपयोग करती थी।

6 साल बाद यह केस एक तेज-तर्रार महिला जज के पास पहुंचा, जो अपने कड़े फैसलों के लिए जानी जाती थीं। जज साहिबा ने दोनों पक्षों की फाइलों को गहराई से पढ़ा और उनका विश्लेषण किया। जब सुनवाई शुरू हुई, तो जज साहिबा ने अमित से कहा, “आप एक टीचर हैं और बच्चों को पढ़ाते हैं, लेकिन आपकी हरकतों से तो ऐसा नहीं लगता।” यह सुनकर कोर्ट का माहौल बदल गया।

अमित ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा, “मैडम, मैं एक टीचर हूं और मैंने कुछ भी गलत नहीं किया। मुझे फंसाया जा रहा है।” जज साहिबा ने हीना से पूछा, “तुमने अपनी शिकायत में जो लिखा है, क्या वह सब सच है?” हीना ने आत्मविश्वास से कहा, “मैडम, जो भी मैंने लिखा है, वह सच है।”

इसके बाद जज साहिबा ने पूछा, “तुमने शिकायत में लिखा है कि तुम्हारा हाथ टूटा था। बताओ, कौन सा हाथ टूटा था – दाहिना या बाया?” हीना ने तुरंत कहा, “मेरा दाहिना हाथ टूटा था।” जज साहिबा ने फिर पूछा, “क्या तुम पूरी तरह से यकीन के साथ कह सकती हो?” हीना ने दोबारा वही जवाब दिया।

तब जज साहिबा ने कहा, “ठीक है, दिखाओ कि तुम्हारा दाहिना हाथ कौन सा है।” हीना ने अपने बाएं हाथ की ओर इशारा किया। यह देखकर जज साहिबा मुस्कुराईं और कहा, “हीना, यह बायां हाथ है, दाहिना नहीं।” हीना घबरा गई और बोली, “मुझे याद नहीं था, मैडम।”

जज साहिबा ने गंभीर स्वर में कहा, “अगर किसी का हाथ टूटता है, तो वह इसे कभी नहीं भूलता। तुम्हें यह भी याद नहीं कि तुम्हारा कौन सा हाथ टूटा था? यह काफी अजीब है।” फिर उन्होंने पूछा, “हाथ टूटने के बाद तुमने कहां इलाज करवाया?” इस सवाल पर हीना चुप रह गई।

फिर हीना कहती है, “मैडम जी, मुझे अस्पताल का नाम याद नहीं है।” इस पर जज साहिबा कहती हैं, “अजीब बात है। अगर आपका हाथ टूटा होता, तो आपको बार-बार अस्पताल जाना पड़ा होगा। आप तो पढ़ी-लिखी हैं, आपने ग्रेजुएशन किया है, तो अस्पताल का नाम तो याद होना चाहिए।” लेकिन हीना दोबारा वही जवाब देती है, “मैडम जी, मुझे अस्पताल का नाम याद नहीं है।”

जज साहिबा आगे पूछती हैं, “ठीक है, तो आप घर से अस्पताल किस साधन से गई थीं?” इस पर हीना जवाब देती है, “मैडम जी, मुझे यह भी याद नहीं है कि मैं किस साधन से गई थी।”

जज साहिबा कहती हैं, “अगर आपको यह भी याद नहीं है, तो कोई बात नहीं।” फिर वह अमित से पूछती हैं, “अमित, आपने अपनी शिकायत में कहा था कि हीना के घर वालों ने आपको मारा और आपका पैर तोड़ दिया। क्या आपको यह सब याद है, या आप भी भूल चुके हैं?”

अमित तुरंत जवाब देता है, “मैडम जी, मैं यह कैसे भूल सकता हूं! मुझे सब कुछ याद है। उस समय सुबह 9:30 बजे थे, मैं स्कूल जा रहा था। रास्ते में हीना के पिताजी और उसके भाई ने मुझे रोक लिया। उनके साथ दो-तीन और लोग भी थे। उन्होंने मुझे घेर लिया और मारना शुरू कर दिया। कुछ लोग डंडे से मेरे पैर पर वार करने लगे, जिससे मेरा पैर टूट गया। मैं जमीन पर गिरकर जोर-जोर से चिल्लाने लगा। तभी गांव के कुछ लोग मुझे बचाने के लिए दौड़े, तो वे लोग भाग गए। इसके बाद मेरी बहन और जीजा जी मुझे अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टर शर्मा ने मेरा इलाज किया। पूरे एक महीने तक मैं बिस्तर पर पड़ा रहा, और मेरी मां ने मेरी खूब देखभाल की। यह सब मैं कभी नहीं भूल सकता।”

इतना कहते-कहते अमित फूट-फूट कर रोने लगता है। तभी हीना गुस्से में कहती है, “जैसा तुम करोगे, वैसा ही पाओगे। भगवान का शुक्र है कि उस दिन तुम बच गए, वरना मेरे पिताजी तुम्हें जिंदा नहीं छोड़ते। देखते जाओ, इससे भी बुरा हाल तुम्हारा होने वाला है।”

हीना की इस बात पर उसका वकील उसे चुप कराने की कोशिश करता है और कहता है, “हीना, चुप हो जाओ। जज साहिबा के सामने यह सब क्या बोल रही हो?”

इस पर जज साहिबा वकील से कहती हैं, “वकील साहब, उन्हें बोलने दीजिए। आप बीच में क्यों टपक रहे हैं? अगर आप लोग बीच में न आते, तो मैं यह केस चुटकियों में सुलझा देती। सच और झूठ को पहचानने में ज्यादा वक्त नहीं लगता।”

वकील साहब हाथ जोड़कर माफी मांगते हुए कहते हैं, “जज साहिबा, आप जो पूछना चाहती हैं, पूछ लीजिए। मैं अब कुछ नहीं बोलूंगा।” जज साहिबा फिर अमित और हीना से पूछती हैं, “बताओ, तुम दोनों के बीच लड़ाई-झगड़े की असली वजह क्या है? आखिर तुम लोग आपस में क्यों झगड़ते थे?”

हीना बोलती है, “मैडम जी, मेरे पति सरकारी नौकरी करते हैं और उनकी सैलरी करीब 60,000 रुपये है। लेकिन वह महीने में एक भी रुपया मुझे नहीं देते। ऊपर से मेरे रिश्तेदारों पर शक करते हैं। जब उनके रिश्तेदार घर आते हैं, तो वे उनका सम्मान करते हैं और उन पर पैसे खर्च करते हैं। मुझे इन सब बातों से कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन शादी के बाद से ही रोज मुझे मारते-पीटते और परेशान करते हैं। वह सोचते हैं कि मैंने उनसे शादी कर ली है, तो मुझे उनकी गुलाम बनकर रहना होगा।”

जज साहिबा फिर अमित से पूछती हैं, “अमित, तुम बताओ कि तुम दोनों के बीच झगड़े की वजह क्या थी? और तुम हीना के रिश्तेदारों की इज्जत क्यों नहीं करते थे?”

अमित जवाब देता है, “मैडम जी, जो भी हीना के रिश्तेदार हमारे घर आते थे, वे सभी लड़के ही होते थे। जब मैं उनसे पूछता था कि ये कौन हैं, तो वह कभी कहती थी कि यह मेरा भाई है, कभी चाचा का लड़का, कभी दोस्त या मामा का लड़का। इतने सारे लोग हीना से मिलने आते थे और वह उनके साथ घूमने भी जाती थी। वह अक्सर कहती थी कि मैं अपने भाई के साथ बाहर जा रही हूं और रात में वापस आऊंगी। जब मैं कुछ पूछता था, तो वह मुझे कुछ नहीं बताती थी। वह उन्हीं लोगों से फोन पर दिन-रात बात करती रहती थी। मैं कोई छोटा बच्चा नहीं हूं। मुझे समझ आता है कि मेरी पत्नी उन लोगों के साथ क्या कर रही है। जब मैं विरोध करता था, तो वह मुझे ही उल्टा समझाने लगती थी और मुझ पर गुस्सा करती थी। वह धमकी देती थी कि वह मेरे घरवालों को गायब करवा देगी और मुझे मरवा देगी।

मैडम, पिछले छह सालों से मैं कोर्ट-कचहरी के चक्कर काट रहा हूं। मेरी पूरी जिंदगी बर्बाद हो चुकी है। मुझे समझ नहीं आता कि मैं अपना घर-परिवार संभालूं, अपने मां-बाप की देखभाल करूं, अपनी नौकरी करूं या कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाऊं। मेरी पत्नी मेरी सैलरी में से 50,000 रुपये ले लेती है और उन पैसों से मौज-मस्ती करती है। उसे कोई टेंशन नहीं है। मैडम, मैं आपसे हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि मुझे मेरी पत्नी से छुटकारा दिलवा दीजिए। मुझे इसके साथ नहीं रहना।”

तभी हीना अचानक बोल पड़ती है, “मैं तुम्हें इतनी आसानी से छोड़ने वाली नहीं हूं। मैं तुम्हें चैन से जीने भी नहीं दूंगी। अब तक तुम मुझे 50,000 रुपये हर महीने देते थे। अब मैं ऐसा करूंगी कि तुम्हें पूरी सैलरी देनी पड़ेगी। अगर तुम पैसा नहीं दोगे, तो देखना मैं तुम्हारी क्या हालत करती हूं।”

अमित कहता है, “जज साहिबा, देखिए, आपके सामने ही मुझे धमकी दे रही है। अब आप खुद सोच सकती हैं।”

अगर यह घर पर अकेले मेरे साथ रहती होगी तो मेरे साथ क्या करती होगी? इस पर जज साहिबा हीना के वकील से कहती हैं, “वकील साहब, आप तो कह रहे थे कि हीना बहुत सीधी-साधी लड़की है, ज्यादा बोलती नहीं है। लेकिन जब यह कोर्ट में इस तरह अपने पति को धमकी दे रही है, तो घर पर क्या करती होगी, यह आप भी समझ सकते हैं।”

वकील साहब इस पर चुप हो जाते हैं और कुछ नहीं बोल पाते। फिर जज साहिबा हीना से पूछती हैं, “हीना, तुम क्या चाहती हो? तुम अपने पति के साथ रहना चाहती हो या फिर तलाक लेना चाहती हो?”

इस पर हीना कुछ देर चुप रहती है, सोचती है और फिर जवाब देती है, “मैडम जी, मुझे अपने पति से तलाक चाहिए। लेकिन तलाक से पहले मेरी शादी में जितना भी पैसा खर्च हुआ था, वह सारा पैसा मुझे चाहिए और मेरा सारा दहेज का सामान भी चाहिए।”

अमित तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कहता है, “मैडम जी, यह किस सामान और दहेज की बात कर रही है? यह सारा सामान तो अपने घर लेकर जा चुकी है। दहेज में एक चम्मच भी हमारे घर पर नहीं छोड़ा। सब कुछ लेकर चली गई है और अब उल्टा मुझ पर दहेज का झूठा केस लगाकर मुझे फंसा रही है। हर महीने मुझसे पैसे वसूल रही है। इसके पिता और भाई ने मेरा पैर तोड़ दिया था और जब यह सब हुआ, तो इसने झूठा नाटक किया कि मैंने इसका हाथ तोड़ दिया है। लेकिन, जज साहिबा, मैंने इसे कभी मारा नहीं और ना ही इसका हाथ तोड़ा। यह सब झूठ बोल रही है।”

इस स्थिति को देखकर जज साहिबा भी उलझन में पड़ जाती हैं। वे चाहती हैं कि इस मामले का जल्द से जल्द निपटारा हो ताकि दोनों का केस खत्म हो सके और मामला आगे न बढ़े।

इसलिए जज साहिबा कहती हैं, “अमित, या तो तुम अपनी पत्नी हीना को अपने साथ घर ले जाओ और उसका सम्मानपूर्वक ध्यान रखो, या फिर उसे ₹1 लाख रुपए दे दो और इस केस को यहीं खत्म कर दो। तुम्हारी पत्नी नौकरी नहीं करती है।”

तो आगे की जिंदगी के लिए उसे पैसों की जरूरत पड़ेगी। जज साहिबा ने अमित को दो विकल्प दिए – या तो वह हीना को अपने घर ले जाए और उसकी इज्जत करे, या फिर 10 लाख रुपए देकर मामला समाप्त कर दे। यह सुनकर हीना ने कहा, “10 लाख में मेरा क्या होगा? मुझे 30 लाख चाहिए।”

अमित ने जवाब दिया, “मैडम, मैं इतना पैसा कहां से दूंगा? मैंने हाल ही में नया घर बनवाया है और पहले से ही कर्ज में हूं। 10 लाख तो छोड़िए, मैं 1 लाख भी नहीं दे सकता।”

जज साहिबा गंभीरता से बोलीं, “ठीक है, अगर तुम पैसा नहीं दे सकते, तो अपनी पत्नी हीना को अपने साथ घर ले जाओ और उसके साथ अच्छे से रहो। कोई विवाद मत करना।”

अमित उलझन में पड़ गया और जज साहिबा से कहा, “मैडम, मुझे अपनी पत्नी से तलाक चाहिए। वह मेरी जिंदगी बर्बाद कर चुकी है।”

जज साहिबा ने उसे 25 दिन का समय दिया ताकि वह पैसों का इंतजाम कर सके। कोर्ट की कार्यवाही खत्म होने के बाद, जब अमित और हीना कोर्ट के बाहर आए, तो हीना ने अमित को धमकाना शुरू कर दिया। उसी समय जज साहिबा भी अपनी गाड़ी से गुजर रही थीं। उन्होंने देखा कि हीना कोर्ट के बाहर अमित पर चिल्ला रही है।

जज साहिबा ने ड्राइवर से गाड़ी रोकने को कहा और हीना की बातें सुनने लगीं। हीना कह रही थी, “अभी तो मैंने 30 लाख मांगे हैं, अगली बार 50 लाख मांगूंगी। अगर तुम नहीं दोगे तो तुम्हारा घर बिकवाकर पैसे वसूल करूंगी।”

जज साहिबा ने गुस्से में पूछा, “तुम लोग यहां क्या कर रहे हो?” यह सुनकर हीना चुपचाप अपने परिवार के साथ वहां से चली गई।

जज साहिबा ने अमित से पूछा, “क्या हुआ?” अमित ने सिर झुकाकर कहा, “मैडम, मेरी जिंदगी बहुत मुश्किल हो गई है। मेरी पत्नी मुझसे हमेशा लड़ाई करती है और अब 50 लाख मांग रही है।”

जज साहिबा ने कहा, “अमित, तुम बहुत अच्छे इंसान हो। समाज में ऐसे मामले अक्सर आते हैं। जितना जल्दी हो सके, पैसे का इंतजाम करो और हीना से छुटकारा पाओ। अगर तुम उसके साथ रहने का फैसला करते हो, तो तुम्हारी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी।”

कुछ दिनों बाद, अमित अपनी मां को अस्पताल लेकर गया। उसी दिन जज साहिबा भी चेकअप के लिए अस्पताल आई थीं। अमित ने उन्हें देखा और उनके पास गया। जज साहिबा ने पूछा, “अमित, तुम यहां क्या कर रहे हो?”

अमित ने जवाब दिया, “मैडम, मेरी मां की तबीयत ठीक नहीं रहती, इसलिए उन्हें अस्पताल लाता हूं। आज उन्हें भर्ती करवाया है। मैडम, मुझे थोड़ा और वक्त मिल सकता है?”

अमित ने अपनी आर्थिक स्थिति के बारे में बात करते हुए कहा कि उसके पास फिलहाल पैसे नहीं हैं, लेकिन वह इंतजाम की कोशिश कर रहा है, जिसके लिए थोड़ा समय लगेगा। इस पर जज साहिबा ने गंभीरता से कहा, “अमित, हम यहां अस्पताल में हैं, तो ऐसी बातें यहां नहीं करनी चाहिए।”

अमित ने पूछा, “मैडम, आप क्या चाहती हैं? क्या मुझे अपनी पत्नी के साथ रहना चाहिए या उसे तलाक दे देना चाहिए?”
जज साहिबा ने शांत स्वर में जवाब दिया, “अमित, यह तुम्हारा और तुम्हारी पत्नी का निजी मामला है। जो तुम्हें सही लगे, वही करो।”

इसके बाद जज साहिबा अस्पताल के अंदर चली जाती हैं और अमित चुपचाप नीचे बैठकर सोचने लगता है। समय बीतता है और लगभग 15-20 दिनों बाद कोर्ट में पेशी का दिन आता है। दोनों कोर्ट में फिर से हाज़िर होते हैं। इस बार मामला जल्दी सुलझ जाता है क्योंकि अमित जज के सामने 10 लाख रुपये का चेक काटकर हीना को दे देता है। इसी आधार पर कोर्ट में उनका तलाक हो जाता है।

तलाक के 10 दिन बाद अमित को खबर मिलती है कि हीना ने उस पैसे से दूसरी शादी कर ली और अपने नए ससुराल चली गई। यह सुनकर अमित का दिल टूट जाता है, लेकिन वह कुछ नहीं कर सकता था। इसके बाद वह अपने माता-पिता की सेवा में लग जाता है और अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करता है।

दोस्तों, हमारे समाज में अक्सर ऐसे हालात देखने को मिलते हैं, जहां पति-पत्नी के बीच छोटी-छोटी बातें बड़े विवाद का कारण बन जाती हैं। कई बार महिलाएं अपने पतियों की बात नहीं मानतीं और अपनी ही मर्जी चलाती हैं, तो कभी-कभी पुरुष भी अपनी पत्नियों की बातों को नजरअंदाज कर देते हैं। इस लेख का उद्देश्य बस इतना है कि आजकल के समाज में हो रहे तलाक अधिकतर किसी न किसी गलतफहमी या अहंकार के कारण होते हैं।

पति-पत्नी को समझदारी और धैर्य से काम लेना चाहिए। अगर दोनों के बीच किसी बात को लेकर लड़ाई होती है, तो जरूरी है कि एक पक्ष शांत रहकर स्थिति को संभाले। ऐसा न करने पर यह विवाद बड़ा रूप ले सकता है, जो अंततः दोनों के जीवन को प्रभावित कर सकता है।

इस कहानी के जरिए हमने यह समझा कि रिश्तों में आपसी समझ और धैर्य का होना कितना महत्वपूर्ण है। हमारी जिंदगी में चुनौतियां आना स्वाभाविक है, और रिश्तों में भी ऐसा ही होता है। कभी हमें यह महसूस होता है कि हमारे साथ अन्याय हो रहा है, तो कभी ऐसा लगता है कि किसी और ने हमारे साथ सही व्यवहार नहीं किया।

लेकिन दोस्तों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि रिश्तों में सच्चाई, भरोसा और एक-दूसरे को समझने का गुण होना चाहिए। हर रिश्ते में गलतफहमियां, झगड़े और कठिनाइयां आती हैं, लेकिन यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इन्हें समझदारी से हल करें और अपने रिश्ते को मजबूत बनाएं।

रिश्तों में आने वाली मुश्किलों का सामना हमेशा समझदारी और धैर्य से करें, बजाय हर बात को विवाद का रूप देने के। पति-पत्नी का रिश्ता केवल साथ जीने का नहीं होता, बल्कि एक-दूसरे का सहारा बनने और मुश्किल वक्त में साथ खड़े रहने का भी होता है। किसी भी रिश्ते में सच्ची अहमियत तभी आती है जब हम एक-दूसरे को समझें और सम्मान दें।

जब भी कोई कठिन परिस्थिति आए, तो झगड़े करने के बजाय बातचीत से समाधान ढूंढें। आज के समय में रिश्तों में धैर्य, समझ और सच्चाई की कमी होती जा रही है। हम जल्दबाजी में किसी निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं, बिना यह सोचे कि उसका परिणाम क्या होगा। लेकिन याद रखें, हर समस्या का हल केवल धैर्य और समझदारी से ही निकलता है।

चाहे वह पति-पत्नी का रिश्ता हो, दोस्ती हो या कोई और संबंध, हर जगह हमें कोशिश करनी चाहिए कि समस्याओं का समाधान बातचीत और शांत दिमाग से निकाला जाए। रिश्तों को बचाने के लिए झुकना कमजोरी नहीं है, बल्कि रिश्तों को सहेजने की कला है। खुशहाल जीवन जीने के लिए सबसे जरूरी है अपने रिश्तों को सम्मान देना और उन्हें महत्व देना।

सफलता केवल बाहरी दुनिया में ही नहीं बल्कि अपने भीतर भी सुकून और प्यार बनाए रखने से आती है। इसलिए कठिनाइयों का सामना करें, लेकिन सच्चे रिश्तों को संभालते हुए आगे बढ़ें। प्यार और सम्मान से भरे रिश्ते ही जीवन को खूबसूरत बनाते हैं।

इस संदेश का उद्देश्य आपको जागरूक और सतर्क करना है, ताकि आप अपने रिश्तों को बेहतर तरीके से संभाल सकें। अगर यह बात आपके दिल को छू गई हो, तो इसे दूसरों के साथ जरूर साझा करें। आपकी राय हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए कृपया कमेंट बॉक्स में अपनी निष्पक्ष प्रतिक्रिया जरूर दें।

हमेशा याद रखें, छोटी-छोटी बातें बड़े विवादों का कारण बन सकती हैं। ऐसे में समझदारी और धैर्य से काम लें। जहां भी रहें, सतर्क रहें, सुरक्षित रहें।

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