
दोस्तों, यह एक बेहद भावुक और चौंकाने वाली घटना है। एक दिन एक बहू अपनी सास को बेल्ट से बेरहमी से पीट रही थी। उसी दौरान, घर की बेटी, जो हाल ही में पुलिस में भर्ती हुई थी, अपनी मां को सरप्राइज देने के लिए पुलिस की वर्दी में घर पहुंचती है। जैसे ही वह घर के अंदर कदम रखती है, सामने का दृश्य देखकर वह हैरान रह जाती है। उसने देखा कि उसकी मां दर्द से कराह रही है और उसकी भाभी, जो घर की बहू है, उन्हें बेरहमी से मार रही है।
यह दृश्य देखकर बेटी का गुस्सा चरम पर पहुंच जाता है। उसके साथ उसका भाई भी था, जो यह सब देखकर स्तब्ध रह गया। लेकिन बेटी ने बिना समय गंवाए अपनी पुलिसिया ताकत का इस्तेमाल किया। उसने तुरंत अपनी भाभी को पकड़ लिया और उसे कानून का असली मतलब समझा दिया।
आगे क्या हुआ और इस घटना का अंत कैसे हुआ, यह जानने के लिए कहानी को अंत तक जरूर पढ़ें।
राजस्थान के विजयपुर गांव में एक परिवार रहता था। परिवार में माता सुनीता शर्मा, पिता विक्रम शर्मा, और उनके दो बच्चे – बड़ा बेटा अजय शर्मा और छोटी बेटी नेहा शर्मा। अजय लगभग 8 साल का था, और माता-पिता ने बड़ी मुश्किलों के बाद इन बच्चों को पाया था। वे उनकी अच्छी तरह से देखभाल करते थे और चाहते थे कि दोनों बच्चे पढ़-लिखकर काबिल बनें।
समय बीतने के साथ अजय बड़ा हुआ और अपनी पढ़ाई पूरी की। माता-पिता ने उसकी शादी सीमा नाम की लड़की से करवा दी। सीमा घर आकर अपनी सास-ससुर की सेवा करने लगी और पूरे घर की देखभाल करती थी। वहीं, विक्रम शर्मा चाहते थे कि उनकी बेटी नेहा अपने पैरों पर खड़ी हो और उसके बाद ही उसकी शादी की जाए। वे दहेज प्रथा से बचना चाहते थे और सोचते थे कि यदि नेहा खुद सक्षम होगी तो उसकी शादी अच्छे घर में बिना दहेज के हो सकेगी। इसी कारण वे हमेशा नेहा को पढ़ाई के लिए प्रेरित करते थे।
समय गुजरता गया, और अचानक किसी बीमारी के चलते पिता विक्रम शर्मा का निधन हो गया। परिवार का एक महत्वपूर्ण सदस्य चला गया, लेकिन अजय ने अपनी अच्छी कमाई से परिवार की सारी जिम्मेदारियां संभाल लीं। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन इसी दौरान सीमा ने अजय से नेहा की शादी करवाने की बात कही। सीमा का मानना था कि नेहा अब काफी बड़ी हो चुकी है और शादी के लिए तैयार है।
दरअसल, नेहा उस समय कॉलेज में पढ़ रही थी, लेकिन सीमा नहीं चाहती थी कि अजय की कमाई उसकी पढ़ाई पर खर्च हो और फिर नेहा शादी के बाद किसी और घर चली जाए। इसी वजह से वह बार-बार शादी की बात करती रही। लेकिन अजय ने साफ कह दिया कि उनके पिता की आखिरी इच्छा थी कि नेहा पहले नौकरी करे और उसके बाद ही उसकी शादी की जाएगी।
जब सीमा की मां को यह बात पता चली, तो उन्होंने नेहा के लिए एक रिश्ता बताया और अजय से कहा कि लड़का बहुत अच्छा है, एक बार देख लो। यह सुनकर अजय की मां सुनीता देवी पहले तो इस रिश्ते के लिए मना करना चाहती थीं, लेकिन घर की सारी जिम्मेदारी सीमा ने संभाल रखी थी, इसलिए वे कुछ नहीं कह पाईं।
अजय पहले इस रिश्ते से इंकार कर देता है, लेकिन जब सीमा बार-बार कहती है कि देखने में क्या जाता है, एक बार देख लेते हैं, तो वह मान जाता है।
सीमा कहती है, “जब मेरी मां कह रही हैं तो लड़का अच्छा ही होगा। शादी के बाद भी पढ़ाई जारी रखी जा सकती है।” एक दिन तय किया गया और अजय ने कंपनी से छुट्टी ली। पूरा परिवार—अजय, उसकी पत्नी सीमा और उसकी मां सुनीता देवी—लड़के के घर जाने का फैसला करता है।
वहां पहुंचने पर, जैसे ही सुनीता देवी ने लड़के को देखा, वह पूरी तरह से हैरान रह गईं। दरअसल, कुछ दिनों पहले लड़के का एक एक्सीडेंट हुआ था, जिसकी वजह से वह ठीक से चल नहीं पाता था। सुनीता देवी यह देखकर चुप रह गईं। वहीं, सीमा की मां चिकनी-चुपड़ी बातें करने लगीं और बोलीं, “थोड़ा सा ही तो फर्क है, यह महसूस भी नहीं होता। हम तो आपको पहले ही बता रहे थे वरना पहचान भी नहीं पाते।”
लेकिन सुनीता देवी पहली नजर में ही समझ गई थीं कि यह समस्या मामूली नहीं है। ऊपर से लड़के के घरवाले दहेज के लोभी भी निकले। उन्होंने कहा, “शादी तो हो जाएगी, लेकिन यह बताइए कि दहेज में क्या-क्या देंगे?” यह सुनकर अजय को बहुत बुरा लगा। उसकी बहन नेहा में कोई भी कमी नहीं थी। वह देखने में सुंदर थी और पढ़ाई में भी काफी अच्छी थी। ऐसे में, एक लंगड़े व्यक्ति से उसकी शादी क्यों कराई जाए? आखिर यह उसकी पूरी जिंदगी का सवाल था।
इसी वजह से अजय लड़के वालों से कहता है, “ठीक है, हम आपको जवाब दे देंगे,” और अपने परिवार के साथ वापस लौटने लगता है। जैसे ही वे गाड़ी में बैठते हैं, अजय की मां सुनीता देवी अपनी बहू सीमा से पूछती हैं, “बहू, यह बता, हमारी बेटी में क्या कमी है? तेरी मां को सिर्फ यही लड़का मिला था हमारी बेटी के लिए? क्या कोई और अच्छा लड़का नहीं था?”
इस पर सीमा थोड़ा नाराज होकर जवाब देती है, “इस लड़के में क्या कमी है? अच्छा-खासा तो है। देखो, घर-परिवार कितना बड़ा है और ऊपर से इनका फैमिली बिजनेस भी है। अब थोड़ा बहुत दहेज मांग रहे हैं तो इसमें बुराई क्या है?”
सुनीता देवी यह सुनकर चुप हो जाती हैं क्योंकि उन्हें पता था कि अब घर में बहू ही सब कुछ तय करती है। अगर बहू को कोई बात बुरी लग गई तो घर में और ज्यादा तनाव हो सकता है।
इसके बाद अजय को गुस्सा आ जाता है। वह अपनी पत्नी से कहता है, “तूने समझ क्या रखा है? यह मेरी बहन है और मेरी बहन पढ़-लिखकर एक बड़ी अधिकारी बनेगी। उसके बाद ही मैं उसकी शादी कराऊंगा। अब तेरे कहने से मैं ऐसे लड़के से उसकी शादी कर दूं, जो खुद ढंग से चल भी नहीं सकता? वह मेरी बहन का साथ कैसे निभाएगा? मेरी बहन में क्या कमी है? मां बिल्कुल सही कह रही हैं और तुझे आज के बाद इन मामलों में टांग अड़ाने की जरूरत नहीं है।”
अजय की बातों से सीमा को गहरा धक्का लगता है। उसे लगता है कि उसके परिवार की बेइज्जती हुई है। उसकी मां ने इतना अच्छा रिश्ता बताया था, लेकिन अजय और उसकी मां ने उसे ठुकरा दिया। वह अंदर ही अंदर गुस्से से भर जाती है और तय कर लेती है कि वह अपनी सास और ननद से बदला लेगी।
इसके बाद सभी लोग घर लौट आते हैं। हालांकि उस दिन के बाद से सीमा के मन में अपनी सास और ननद को लेकर खटास पैदा हो जाती है। वह उनसे उखड़ी-उखड़ी रहने लगती है।
सुनीता देवी और नेहा दोनों को धीरे-धीरे घर के हालात का एहसास होने लगा। सुनीता देवी ने समझदारी से निर्णय लिया कि वह इन परिस्थितियों को अपने बेटे अजय से साझा नहीं करेंगी, क्योंकि उन्हें डर था कि अजय अपनी पत्नी सीमा के साथ कोई गलत कदम उठा सकता है। उन्होंने अपनी बेटी नेहा को पढ़ाई के लिए अपनी ननद के घर भेजने का फैसला किया। सुनीता देवी ने अपनी ननद से अनुरोध किया कि वह नेहा को अपने पास रख लें और आश्वासन दिया कि वे पैसे भेजती रहेंगी। इसके बाद नेहा अपनी बुआ के घर चली गई और घर में केवल सास, बहू, बच्चे, और अजय रह गए।
अजय सुबह काम पर जाता और शाम को घर लौटता। सीमा को पता था कि उसकी सास अजय से कोई शिकायत नहीं करेगी, इसलिए वह दिन में अपनी सास पर हुकूमत चलाती और शाम को अजय के सामने एक आदर्श बहू बन जाती। सुनीता देवी यह सब देखकर परेशान होतीं, लेकिन वह अपने बेटे का घर टूटते हुए नहीं देखना चाहती थीं, इसलिए सब सहन करती रहीं। इस बीच, अजय अपनी बहन नेहा की पढ़ाई के लिए पैसे भेजता रहा। यह बात सीमा को खटकने लगी।
एक दिन, जब अजय नेहा को पैसे भेजने की तैयारी कर रहा था, सीमा ने घर के खर्चों की लंबी फेहरिस्त गिनानी शुरू कर दी और कहा, “अगर तुम इसी तरह अपनी बहन को पैसे भेजते रहोगे, तो हमारा घर कैसे चलेगा? भविष्य के लिए कोई बचत भी नहीं होगी।” अजय को यह सुनकर गुस्सा आ गया। उसने जवाब दिया, “क्यों मेरी जिंदगी पर सिर्फ तुम्हारा अधिकार है? क्या मेरी मां और बहन के लिए मेरा कोई फर्ज नहीं बनता? मैं अपनी बहन के लिए पैसे भेजूंगा, इसमें क्या गलत है?” दोनों के बीच बहस होने लगी।
सुनीता देवी ने यह सब सुन लिया और बीच में आकर कहा, “बेटा, चिंता मत कर। मैंने अपनी ननद से बात कर ली है। उन्होंने खुद कहा है कि अब से नेहा की पढ़ाई का खर्च वे उठाएंगी। वैसे भी जब तुम पैसे भेजते थे, तो वे बार-बार मना करती थीं और कहती थीं कि नेहा हमारी भी बेटी है, हमारा भी कुछ फर्ज बनता है। अब तुम पैसे भेजने की चिंता मत करो।”
अजय ने चाहकर भी अपनी बहन को पैसे भेजना बंद कर दिया, लेकिन वह फोन पर लगातार उससे बात करता रहा और उसे पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए प्रेरित करता रहा।
कुछ समय बाद, जब सुनीता देवी की तबीयत खराब हो गई, अजय उन्हें डॉक्टर के पास ले गया। रास्ते में उसने अपनी मां से पूछा, “मां, तुम इतनी चुप-चुप क्यों रहती हो? क्या कोई परेशानी है?” सुनीता देवी चाहती थीं कि वह अपने बेटे को सीमा के बुरे व्यवहार के बारे में सबकुछ बता दें, लेकिन उन्होंने सोचा कि अगर अजय को यह सब पता चल गया तो घर में बड़ा झगड़ा हो सकता है। उन्हें यह भी चिंता थी कि अगर अजय ने सीमा को घर से निकाल दिया, तो उसके छोटे बच्चों की जिंदगी प्रभावित होगी।
इसलिए उन्होंने अपने बेटे से कहा, “नहीं बेटा, ऐसा कुछ भी नहीं है। कोई परेशानी नहीं है।” अजय ने फिर कहा, “मां, मुझे अच्छा नहीं लगता कि मैं नेहा को पैसे न भेजूं। यह मेरा फर्ज बनता है। मुझे तो पैसे भेजना ही चाहिए।”
सुनीता देवी ने जवाब दिया, “बेटा, मैं नहीं चाहती कि तेरी बहन की वजह से तेरा बसा-बसाया घर उजड़ जाए। इसी कारण से मैंने तेरी बुआ को जिम्मेदारी उठाने दी है। तू आराम से रह और चिंता मत कर।”
अजय की पत्नी सीमा को इस बात का दुख था कि अजय के परिवार ने उसकी मां के द्वारा लाए गए रिश्ते को ठुकरा दिया था। उसका गुस्सा जायज भी था क्योंकि मां की भावनाओं को हर बेटी महत्व देती है। धीरे-धीरे अजय अपनी मां की बातों को समझने लगता है और अपनी पत्नी की स्थिति को भी समझ जाता है। इसके बाद, अजय अपनी बहन की मदद करने का फैसला करता है। वह कंपनी में ओवरटाइम करने लगा और ओवरटाइम से मिले पैसे चुपके से अपनी बहन के खाते में डाल देता था। उसकी बहन उसे ऐसा करने से मना करती थी क्योंकि वह भी घर की स्थिति को समझती थी। मां कभी-कभी फोन पर उसे सारी बातें बता देती थी।
नेहा, अजय की बहन, ने भी अपनी पढ़ाई का खर्चा खुद उठाने का निर्णय लिया और एक पार्ट-टाइम जॉब कर ली। उसने अपनी मां से कहा कि सब को बता दें कि उसका खर्चा उसकी बुआ उठा रही है। सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन अचानक अजय की पोस्टिंग उसी कंपनी की दूसरी ब्रांच में हो जाती है, जो लगभग 400-500 किलोमीटर दूर थी। साथ ही, उसे प्रमोशन और ज्यादा सैलरी भी मिलने वाली थी।
अजय मिठाई लेकर घर आता है और सबसे पहले अपनी मां को खुशखबरी देता है। मां खुश हो जाती है और सीमा भी यह खबर सुनकर बहुत खुश होती है। सीमा कहती है कि अब ज्यादा पैसे मिलने से वे सेविंग भी कर सकते हैं। अजय जवाब देता है कि वह अब अपनी बहन का भी अच्छे से ख्याल रख सकेगा। सीमा इस बात से थोड़ी मायूस तो होती है, लेकिन अजय की प्रमोशन की खुशी उसके लिए ज्यादा महत्वपूर्ण थी।
अजय सीमा से कहता है कि घर का अच्छे से ध्यान रखना क्योंकि उसकी मां बुजुर्ग हैं और अब घर की जिम्मेदारी सीमा पर है। वह बताता है कि वह हर 15-20 दिन में घर आ पाएगा क्योंकि नई ब्रांच काफी दूर है। यह सुनकर सीमा हैरान हो जाती है और पूछती है कि वह क्या कहना चाहता है। अजय उसे समझाता है कि वह वहीं से पैसे भेजता रहेगा और उनका ख्याल रखेगा।
सीमा और उसकी सास सुनीता थोड़ी परेशान तो होती हैं, लेकिन कमाई का नया साधन होने के कारण वे इसे मानने के लिए तैयार हो जाती हैं। अगले दिन अजय अपने कपड़े पैक करता है और ब्रांच के लिए निकल जाता है, जहां वह रहकर काम करने लगता है। इस तरह, परिवार नई परिस्थितियों में खुद को ढालने की कोशिश करता है।
नेहा ने दरोगा के लिए टेस्ट दिया था, जो उसने सफलता से पास कर लिया। हालांकि, उसने अपने घर वालों को इस बारे में बताना उचित नहीं समझा क्योंकि पहले कई बार ऐसा हुआ था कि वह टेस्ट में असफल रही थी। इस बार नेहा ने तय किया कि जब वह पूरी तरह से नौकरी में स्थापित हो जाएगी, तभी अपने परिवार को सरप्राइज़ देगी। यह बात उसने अपनी बुआ को भी बताई और बुआ ने भी इसे गुप्त रखने का वादा किया।
इसी बीच, अजय नौकरी के सिलसिले में बाहर चला जाता है, जिससे घर में सास और बहू अकेली रह जाती हैं। सीमा, जो बहू है, अपनी सास सुनीता पर और अधिक नाराज होने लगती है। उसकी नाराजगी इस हद तक बढ़ जाती है कि वह अपनी सास को हर वक्त काम करने पर मजबूर करती है। जब सारे काम खत्म हो जाते, तो वह जानबूझकर और काम फैला देती ताकि सुनीता को खाली बैठने का मौका न मिले। सीमा के मन में यह भावना गहरी होती जा रही थी कि उसकी मां का अपमान सुनीता की वजह से हुआ था, और इसी वजह से वह अपनी सास से दुर्व्यवहार करती थी।
हालांकि, सीमा ने अपनी नाराजगी को अभी तक मर्यादा में रखा था। उसने सुनीता को धमकाने तक सीमित रखा था, लेकिन गाली-गलौच या शारीरिक हिंसा कभी नहीं की थी। सुनीता इस बात को लेकर संतोष कर लेती थी कि कम से कम सीमा ने मर्यादा नहीं तोड़ी थी। सीमा बार-बार सुनीता से कहती कि वह अपनी बेटी को पढ़ा रही है, तो उसकी जिम्मेदारी का काम भी उसे ही करना होगा। मुझसे यह सब काम नहीं होगा।
सुनीता चुपचाप घर का सारा काम करती रहती थी, भले ही उसे कोई परेशानी हो। इस तरह कई दिन और महीनों तक यह स्थिति बनी रही, और समय गुजरता गया।
अजय अक्सर अपने घर आया करता था, लेकिन जब भी वह आता, उसकी पत्नी सीमा का व्यवहार पूरी तरह बदल जाता था। वह अजय के सामने बेहद अच्छी और विनम्र बन जाती, लेकिन अजय के जाने के बाद उसका असली रूप सामने आ जाता। सीमा अपनी सास, सुनीता, के साथ दुर्व्यवहार करती और घर के काम-काज को लेकर उस पर सारा दबाव डालती। दूसरी ओर, सुनीता बिना किसी शिकायत के अपने बेटे और पोते-पोतियों की देखभाल करती रहती थी।
सुनीता अक्सर भगवान से प्रार्थना करती कि उसे इस कठिन जीवन से छुटकारा मिले। एक दिन, जब बच्चे स्कूल गए हुए थे, सुनीता कपड़ों पर प्रेस कर रही थी और साथ ही किचन में कुकर में खाना बन रहा था। कुकर की सीटी बढ़ने लगी तो वह प्रेस छोड़कर खाना देखने किचन चली गई। जब वापस लौटी, तो उसने देखा कि पोते की स्कूल ड्रेस पर प्रेस जलकर आरपार हो गई थी और कमरे में धुआं भर चुका था।
यह देखकर सीमा का गुस्सा फूट पड़ा। वह कमरे से बाहर आई और सुनीता को जोरदार थप्पड़ मार दिया। सुनीता यह सहन नहीं कर सकी क्योंकि उसने कभी नहीं सोचा था कि सीमा उस पर हाथ उठाएगी। इसके बाद सीमा ने सुनीता के बाल पकड़कर उसे हॉल में खींच लिया और वहां रखी बेल्ट से उसकी पिटाई शुरू कर दी।
इसी दौरान, सुनीता की बेटी, नेहा, जो हाल ही में पुलिस में दरोगा बनी थी, अपने भाई के साथ घर पहुंची। दरोगा की वर्दी पहने हुए नेहा ने जब यह दृश्य देखा, तो उसकी आंखें गुस्से से लाल हो गईं। उसकी मां जमीन पर पड़ी थी और सीमा बेल्ट से उसकी पिटाई कर रही थी। नेहा तुरंत आगे बढ़ी, सीमा के हाथ से बेल्ट छीन ली और गुस्से में उसे चेतावनी दी, “खबरदार, अगर तूने मेरी मां को फिर से हाथ लगाया तो!”
नेहा की पुलिस की वर्दी देखकर सीमा घबरा गई और पीछे हट गई। नेहा ने अपनी मां को सहारा देकर उठाया और सीमा को सख्त लहजे में समझाया कि अब वह अपनी मां के साथ ऐसा व्यवहार कदापि बर्दाश्त नहीं करेगी। इस घटना ने सीमा को चुप कर दिया, और सुनीता को पहली बार ऐसा लगा कि उसकी बेटी उसके लिए एक ढाल बनकर खड़ी है।
पूरी तरह से हैरान हो जाती है और सहम जाती है, लेकिन तभी नेहा, जो पहले से गुस्से में थी, सीमा को बेल्ट से मारने लगती है। नेहा का गुस्सा इस बात पर था कि सीमा ने उसकी मां पर हाथ उठाया था। उसकी मां जमीन पर पड़ी हुई थी और रहम की भीख मांग रही थी। यह सब कुछ सीमा का पति अजय भी देख रहा था। अजय तुरंत अपनी मां को उठाता है और गले से लगा लेता है। उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं क्योंकि जिस पत्नी पर उसने भरोसा किया था, वही पत्नी उसकी मां को इतनी बेरहमी से पीट रही थी।
दरअसल, काजल को पुलिस की नौकरी मिली थी और उसकी पोस्टिंग का पहला दिन था। वह अपनी मां को इस बात का सरप्राइज देना चाहती थी, इसलिए उसने अपने भाई को बुलाकर घर लाने का फैसला किया। काजल सोच रही थी कि उसकी मां बहुत खुश होगी, लेकिन जब वह घर पहुंची और वहां का दृश्य देखा, तो पूरी तरह से हैरान हो गई। वह बेल्ट लेकर अपनी भाभी सीमा पर पिटाई करने लगी। नेहा की आंखों में गुस्से और बदले की आग साफ दिखाई दे रही थी। वह सीमा को किसी भी कीमत पर छोड़ने को तैयार नहीं थी। सीमा हाथ जोड़कर माफी मांगने लगी और कहने लगी, “नेहा, मुझे माफ कर दो। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। आगे से ऐसा कभी नहीं होगा।” लेकिन नेहा उसकी बात सुनने को तैयार नहीं थी और लगातार उसे मारती रही।
इसी बीच अजय अपनी मां की देखभाल कर रहा था। लेकिन तभी बच्चों की छुट्टी का समय हो जाता है और बच्चे घर आकर अपनी मां को पिटता हुआ देखते हैं। बच्चे तुरंत अपनी मां के ऊपर लेट जाते हैं। नेहा, जो सीमा को छोड़ने वाली नहीं थी, बच्चों को देखकर रुक जाती है। वह बेल्ट नीचे डाल देती है और अपनी मां को गले से लगाकर कहती है, “मां, अब बहुत हो गया। तुम्हें ऐसा कुछ सहन करने की जरूरत नहीं है। तुम काफी दिनों से परेशान हो रही थी, लेकिन अब तुम्हारी परेशानियों का अंत हो गया है। मैं तुम्हें अपने साथ रखूंगी। हमें इनके साथ रहने की कोई जरूरत नहीं है।”
अजय नेहा से कहता है, “बहन, तुम क्या कह रही हो? मैंने तुम्हारे साथ कभी ऐसा कुछ नहीं किया। जो गलती सीमा ने की है, उसकी सजा उसे जरूर मिलेगी। तुम चिंता मत करो।” इसके बाद तीनों, यानी मां, बेटा, और बेटी, एक कमरे में चले जाते हैं और वहीं शाम तक सहारा देते हुए बैठे रहते हैं। रात को वे सो जाते हैं।
दूसरी ओर, अजय की पत्नी सीमा, बच्चों के साथ दूसरे कमरे में बैठी होती है। वह अपनी गलती पर फूट-फूट कर रो रही थी। वह चाहती थी कि किसी तरह माफी मांगकर सब कुछ ठीक कर ले क्योंकि उसे अपने पति के स्वभाव का अंदाजा था और वह जानती थी कि आगे क्या हो सकता है। अगले दिन सुबह जब कमरे का दरवाजा खुलता है, सीमा तुरंत अंदर जाती है और अपनी सास और ननद के पैर पकड़कर उनसे माफी मांगने लगती है। वह रोते हुए कहती है, “मुझे माफ कर दो। मैं आपके घर की अजय ने गुस्से में चुपचाप घर से बाहर निकलकर वकील से तलाक के कागजात तैयार करवाए। वापस आकर उसने वो कागजात सीमा के सामने फेंकते हुए कहा, “इन पर साइन करो और यहां से निकल जाओ। अगर तुम्हें लगता है कि मैं बच्चों की देखभाल नहीं कर पाऊंगा, तो तुम गलत हो। मैं अपने बच्चों की पूरी जिम्मेदारी उठा लूंगा। लेकिन तुम्हारे साथ अब और नहीं रह सकता। मैंने तुम्हारे लिए हर संभव कोशिश की, लेकिन तुमने मेरी मां और बहन को चैन से जीने नहीं दिया। मेरी मां ने हमेशा मुझे समझाया और मुझे अपने घर को बचाए रखने के लिए कहा। लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि तुमने उनकी पीठ पीछे ऐसा बर्ताव किया।”
दरअसल, अजय की मां और नेहा ने उसे सारी सच्चाई बता दी थी, जो अब तक उससे छुपाई गई थी। यह सब सुनकर अजय का दिल टूट गया और उसने सीमा से तलाक लेने का फैसला कर लिया। सीमा, यह सब सुनकर, घबराई और गिड़गिड़ाते हुए अजय के पैरों पर गिर पड़ी। वह रोते हुए बोली, “मुझे माफ कर दो। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। अब से ऐसा कुछ नहीं होगा। मैं तुम्हारे घर की नौकरानी बनकर रह लूंगी, लेकिन मुझे अपने पास से मत जाने दो।”
लेकिन अजय उसे धक्का देकर दूसरी तरफ गिरा देता है, और सीमा जमीन पर पड़ी फूट-फूटकर रोने लगती है। वहीं उसकी सास और ननद भी मौजूद होती हैं, लेकिन वे कुछ नहीं बोलतीं। सीमा काफी देर तक वहीं रोती रहती है और उनसे माफी की गुहार लगाती रहती है।
यह सब देखकर सुनीता, अजय की मां, अपने बेटे को समझाने लगती है। वह कहती है, “बेटा, ऐसा मत कर। तेरा घर टूट जाएगा। अपने लिए नहीं, तो बच्चों के लिए सोच। अगर तूने इसे तलाक दे दिया, तो ये बच्चे मां किसे कहेंगे? इन्हीं बच्चों के लिए इसे अपने घर में रख ले। कोई बात नहीं। जब यह कह रही है कि वह घर में आराम से रह लेगी, तुम्हारा सारा काम करेगी और मायके भी नहीं जाएगी, तो इसे माफ कर दे। गलतियां इंसान से होती हैं, इससे भी हो गई। इसे माफ कर दे।”
लेकिन अजय अपनी मां की बात मानने के लिए तैयार नहीं होता। वह कहता है, “मां, इसकी गलती माफी के लायक नहीं है।” तभी उसकी बहन भी उसे समझाने लगती है, “भैया, मां सही कह रही है। बच्चे बिना मां के बहुत खराब हालत में पले-बढ़ते हैं। इनकी परवरिश पर ध्यान दे।”
बहन और मां की बातों के बाद अजय मान तो लेता है, लेकिन वह अपनी पत्नी से बहुत नाराज रहता है। चार-पांच दिन तक वह सीमा से बात नहीं करता। सीमा बार-बार उससे माफी मांगती है। वह अपनी सास और ननद से भी माफी मांगती है, जब भी उसे मौका मिलता है। धीरे-धीरे परिवार की स्थिति सामान्य होने लगती है। सीमा लगातार घर की सेवा करती है, जिसके बाद उसकी सास भी उसे माफ कर देती है।
अब घर में सब लोग आराम से रहने लगते हैं। सीमा अपनी सास की सेवा करती है, और सुनीता अपने बेटे को समझाती रहती है कि वह अपनी पत्नी को माफ करके एक नई जिंदगी की शुरुआत करे। धीरे-धीरे सब कुछ ठीक हो जाता है। परिवार में खुशी लौट आती है, और धूमधाम से नेहा की शादी भी कर दी जाती है। शादी के बाद नेहा अपने ससुराल चली जाती है।
अब परिवार की स्थिति ऐसी हो जाती है कि जो सुनीता कहती है, वही मान्य होता है, चाहे वह सही हो या गलत। इसी तरह उनका समय बीतने लगता है।
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