भीख मागने के लिए जिस घर के दरवाजे पर गई उस घर की मालकिन बन बैठी

भारत में हर दस में से एक व्यक्ति के पास अपना घर नहीं है। इनमें से कई लोग शायद कभी यह सोच भी नहीं पाए होंगे कि वे एक दिन उस घर के मालिक बन सकते हैं, जहां उन्होंने कभी मदद की गुहार लगाई थी। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है एक महिला की, जो कभी सड़कों पर भीख मांगकर अपनी भूख मिटाती थी। बेबसी और मजबूरी में दर-दर भटकने वाली यह महिला आज उस घर की मालिक बनने का सपना देख रही है, जहां उसने कभी दरवाजे पर खाना मांगा था।

घरहीनता से घर के मालिक बनने तक का सफर आसान नहीं होता। आर्थिक समस्याएं, समाज की उपेक्षा, और अनगिनत बाधाएं इस रास्ते को और कठिन बना देती हैं। बिहार के सासाराम जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाली इस महिला ने भी इन्हीं चुनौतियों का सामना किया। लेकिन उसने हार नहीं मानी और अपने सपने को साकार करने की ओर कदम बढ़ा दिए।

यह कहानी शुरू होती है उस समय से, जब 28 साल की यह महिला घर-घर जाकर भीख मांग रही थी। एक दिन, वह एक घर के दरवाजे पर पहुंचती है और अंदर आवाज लगाती है: “अगर कोई घर के अंदर है, तो मुझे कुछ खाने को दे दीजिए।”

खाने के लिए दे दीजिए, मैं तीन-चार दिन से भूखी हूं। थोड़ी देर तक वह आवाज लगाती रहती है, लेकिन उस घर के अंदर से न तो कोई बाहर आता है और न ही कोई उसे रुकने के लिए कहता है। मायूस होकर वह वापस लौटने लगती है। तभी अचानक पीछे से एक आवाज आती है। वह व्यक्ति कहता है, “रुकिए जरा, मैं बाथरूम में था, इसी वजह से आने में देर हो गई।” यह सुनकर महिला उस घर की तरफ मुड़ती है और मेन गेट की ओर जाने लगती है। तभी घर के अंदर से आवाज देने वाला व्यक्ति भी गेट के बाहर आ जाता है। उसका नाम कमल है, उम्र 32 साल, और वह उस महिला को अजीब निगाह से देखने लगता है।

जैसे ही वह महिला उस व्यक्ति को देखती है, वह दोबारा कहने लगती है, “मैंने कई दिन से कुछ नहीं खाया है। मुझे भूख लगी है। आप कुछ खाने के लिए लाकर दे दीजिए।” तभी वह व्यक्ति, जिसका नाम कमल है, उसे देखते हुए कहने लगता है, “मुझे लगता है कि मैंने तुम्हें कहीं देखा है।” यह सुनकर महिला हंसने लगती है और कहती है, “साहब, आपने मुझे कहां देखा होगा? मैं तो भीख मांगती फिरती हूं। शायद भीख मांगते हुए आपने मुझे कहीं देख लिया होगा।”

कमल थोड़ा सोचते हुए कहता है, “नहीं, शायद मैं तुम्हें अच्छी तरह से जानता हूं।” इस पर महिला असमंजस में पड़ जाती है और सोचने लगती है कि यह व्यक्ति उसे कैसे जानता है। तभी कमल कहता है, “कहीं तुम शीला की सहेली नंदिनी तो नहीं हो?” जैसे ही महिला अपना नाम सुनती है, वह हैरान और आश्चर्यचकित होकर कहती है, “हां, मेरा नाम नंदिनी है। और आप शीला को कैसे जानते हैं?”

कमल जवाब देता है, “शीला से मेरी शादी हुई थी। हम पति-पत्नी थे।” नंदिनी थोड़ी हैरानी में कहती है, “शीला का पति तो काफी दुबला-पतला था, लेकिन आप तो बहुत तंदुरुस्त दिखाई दे रहे हैं।” कमल मुस्कुराते हुए कहता है, “समय के साथ खानपान में बदलाव के कारण मेरा शरीर बदल गया है।” इसके बाद नंदिनी कहती है, “शीला कहां है? अगर वह घर के अंदर है तो उसे बाहर बुलाइए। मैं उससे बातें करना चाहती हूं।”

कमल के चेहरे पर उदासी छा जाती है और मायूस आवाज में वह कहता है, “शीला तो मुझे छोड़कर कब की जा चुकी है।” इसके बाद नंदिनी कमल से पूछती है, “आखिर ऐसा क्या हुआ जो शीला तुम्हें छोड़कर चली गई?” कमल ने गहरी सांस लेकर जवाब दिया, “वह किसी और लड़के से प्यार करती थी और उसी के साथ भाग गई। अब मैं और मेरा छोटा भाई इस घर में अकेले रहते हैं।”

दरअसल, कमल अपने छोटे भाई के साथ इस घर में रहता था। उसके माता-पिता का निधन पहले ही हो चुका था और फिर उसकी पत्नी शीला भी उसे छोड़कर किसी और के साथ चली गई। अब वह दोनों भाई अकेले ही उस घर में रहते हैं। नंदिनी भी कमल की पत्नी शीला की सहेली थी। जब-जब कमल अपनी पत्नी को मनाने के लिए उसके मायके जाता था, तब नंदिनी वहां मौजूद रहती और उससे मजाक किया करती थी।

इसी वजह से कमल उसे देखते ही पहचान लेता है और दोनों पुरानी बातें याद करते हुए बातचीत करने लगते हैं। धीरे-धीरे नंदिनी का चेहरा उदासी में ढल जाता है। यह देखकर कमल उसे दिलासा देते हुए कहता है, “छोड़ो नंदिनी, इन बातों को सोचकर परेशान मत हो। पर तुम यह बताओ, मैंने सुना था कि तुम्हारी शादी हो गई है। फिर अब तुम इस तरह से भीख क्यों मांग रही हो?”

यह सुनते ही नंदिनी की आंखों में आंसू आ जाते हैं और वह फूट-फूट कर रोने लगती है। रोते हुए नंदिनी अपनी पूरी कहानी कमल को बताने लगती है। वह कहती है…

हाँ, मेरी शादी हो चुकी थी, लेकिन शादी के बाद मेरा पति मुझे बहुत परेशान करता था। कई बार वह मुझ पर हाथ उठाता। आखिरकार, तंग आकर मैंने मायके लौटने का फैसला किया। मायके लौटने के बाद उसने मुझे तलाक दे दिया। तलाक के बाद मैं अपने माता-पिता के साथ रहने लगी। मगर कुछ समय बाद मेरे माता-पिता का भी निधन हो गया।

नंदिनी की आवाज भारी हो जाती है। वह आगे कहती है, “माता-पिता की मौत के बाद मेरे भाई और भाभी ने मेरे साथ बहुत बुरा व्यवहार करना शुरू कर दिया। उनके बर्ताव से तंग आकर मैंने घर छोड़ दिया। यहां आकर किसी तरह गुजारा करने के लिए काम शुरू किया, लेकिन जहाँ भी काम करने जाती, लोग मुझ पर बुरी नजर रखते और गलत फायदा उठाने की कोशिश करते। कई कंपनियों में भी काम देखा, मगर वहां भी हालात अलग नहीं थे। आखिरकार, मैंने सोचा कि घरों में काम करना ही ठीक रहेगा। लेकिन कुछ घरों में भी मेरे साथ बुरा व्यवहार हुआ। इन हालातों में मजबूरी में मुझे भीख मांगने पर मजबूर होना पड़ा।”

कमल उसकी बातें सुनकर गंभीर हो जाता है और नंदिनी के दर्द को समझने की कोशिश करता है। नंदिनी अपनी कहानी जारी रखते हुए कहती है, “मैं भीख मांगकर अपना गुजारा कर रही हूँ। एक छोटा-सा किराए का कमरा लिया है, जहां मैं अकेले रहकर अपना समय बिताती हूँ।”

नंदिनी की यह दर्द भरी कहानी सुनकर कमल की आँखों से आँसू निकल आते हैं। वह भी फूट-फूटकर रोने लगता है। थोड़ी देर बाद दोनों शांत हो जाते हैं। इसके बाद कमल नंदिनी से कहता है, “नंदिनी, अगर तुम बुरा ना मानो, तो मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ।”

नंदिनी जवाब देती है, “हाँ, बताओ, क्या कहना चाहते हो?”

कमल गहरी सांस लेकर कहता है, “मुझे यह अच्छा नहीं लगता कि तुम भीख मांगकर अपनी जिंदगी बिता रही हो। मैं चाहता हूँ कि तुम आज से भीख मांगना छोड़ दो। तुम्हारी हर जरूरत मैं पूरी करूंगा। मेरी पत्नी मुझे छोड़कर किसी और के साथ भाग गई है और तुम्हारा भी कोई सहारा नहीं है। हमारे घर में एक महिला की जरूरत है, जो इसे ठीक से संभाल सके। इसलिए मैंने सोचा है कि क्यों न हम दोनों एक-दूसरे का सहारा बन जाएं और शादी कर लें।”

यह सुनकर नंदिनी कुछ देर सोच में पड़ जाती है और फिर कहती है, “कमल, अगर तुम्हारी पत्नी वापस आ गई, तो क्या तुम मुझे फिर से छोड़ दोगे? मैं नहीं चाहती कि मुझे दोबारा वही दर्द झेलना पड़े, जिससे पहले गुजरी हूँ।”

कमल समझाते हुए कहता है, “मेरी पत्नी से मेरा तलाक हो चुका है और अब हमारा कोई संबंध नहीं है। मैं तुम्हें भरोसा दिलाता हूँ कि अगर वह कभी वापस भी आई, तो उसे अपने साथ नहीं रखूंगा।” नंदिनी यह सुनकर थोड़ी देर और सोचती है, फिर आखिरकार कमल की बात मान लेती है और हामी भर देती है।

कमल उसकी गठरी कंधे से उतारता है और कटोरा हाथ से ले लेता है, मानो यह संकेत दे रहा हो कि अब नंदिनी की जिंदगी में एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। कमल उसका कटोरा दूर फेंक देता है और उसका हाथ पकड़कर उसे अपने घर के अंदर ले जाता है।

अंदर जाकर कमल उसे घर दिखाते हुए कहता है, “यह मेरा घर है। मेरे माता-पिता का पहले ही निधन हो चुका है। अब मैं और मेरा छोटा भाई ही यहां रहते हैं। तुम यहां पर आराम से रह सकती हो। तुम्हें कोई परेशानी नहीं होगी।” नंदिनी घर की हालत देखकर कहती है, “कोई बात नहीं, अब यह मेरा घर है और मैं इसे ठीक कर लूंगी।” कमल मुस्कुराते हुए कहता है, “हाँ, आज से यह तुम्हारा घर है।”

इसके बाद नंदिनी झाड़ू उठाकर घर की सफाई करने लगती है। इधर कमल छत पर किसी काम के लिए चला जाता है। थोड़ी देर बाद कमल का छोटा भाई, जो किसी काम से बाहर गया था, घर लौटता है। घर में एक अनजान महिला को सफाई करते देख वह चौंक जाता है और झल्लाकर पूछता है, “तुम कौन हो? कहीं चोरी करने तो नहीं आई?”

नंदिनी जवाब देती है, “अरे, हमारे घर में आकर मुझसे ही पूछ रहे हो कि मैं कौन हूँ? तुम कौन होते हो मुझसे यह सब पूछने वाले?”

यह सुनकर कमल का छोटा भाई नाराज हो जाता है और नंदिनी का हाथ पकड़कर उसे बाहर की ओर खींचने लगता है। नंदिनी उसे रुकने के लिए कहती है, लेकिन वह उसे आंगन तक खींच लाता है। उसी समय कमल छत से नीचे देखता है और छोटे भाई को रोकते हुए कहता है, “रुको भाई, इसमें इसकी कोई गलती नहीं है।”

कमल जल्दी से नीचे आता है और छोटे भाई को सारी बात समझाता है। वह बताता है, “यह तुम्हारी भाभी की सहेली है। इसका पति इसे छोड़ चुका है और यह भीख मांगकर गुजारा कर रही थी। मैंने सोचा कि यह हमारे घर में रहकर हमारा साथ देगी, घर का कामकाज संभाल लेगी और इसे भी एक सहारा मिल जाएगा।”

यह सुनकर छोटा भाई कुछ सोच में पड़ जाता है। फिर कहता है, “भैया, यह सब तो ठीक है, लेकिन अगर इस तरह इसे घर में रखोगे, तो गांव वाले बातें बनाएंगे और हमारी बदनामी होगी।”

कमल भी उसकी बात पर सोचने लगता है और फिर पूछता है, “तो तुम्हारा क्या सुझाव है?”

छोटा भाई कहता है, “अगर इसे इस घर में रखना है, तो तुम्हें मंदिर में जाकर इससे शादी करनी होगी ताकि यह हमारे घर में भाभी बनकर सम्मान से रह सके।”

कमल को छोटे भाई की यह बात सही लगती है। वह उसे प्रधान जी को बुलाने के लिए भेजता है ताकि इस मामले को जल्दी सुलझाया जा सके। खुद घर के अंदर प्रधान जी के आने का इंतजार करता है। थोड़ी देर बाद प्रधान जी पहुंच जाते हैं।

कमल उन्हें अपनी पूरी कहानी बताता है और कहता है, “इसका इस दुनिया में कोई भी नहीं है और मेरा भी कोई नहीं है। इसलिए मैं सोच रहा हूँ कि इससे शादी कर लूं। इससे हमारा परिवार भी पूरा हो जाएगा और इसके जीवन के दुख भी कम हो जाएंगे।”

प्रधान जी उसकी बात सुनकर सहमति जताते हैं। उन्हें लगता है कि यह कदम दोनों के लिए सही होगा। प्रधान जी की सहमति के बाद गांव के कुछ लोगों को इकट्ठा किया जाता है और गांव के मंदिर में कमल और नंदिनी की शादी करवा दी जाती है।

शादी के बाद नंदिनी कमल के घर में रहने लगती है। वह घर का सारा कामकाज संभाल लेती है और घर को अच्छे से सजा-संवार देती है। धीरे-धीरे समय बीतता है और नंदिनी और कमल का परिवार खुशियों से भर जाता है। समय के साथ नंदिनी को एक बेटा होता है। इस नन्हे मेहमान के आने से कमल का दिल खुशी से भर जाता है।

नंदिनी पूरे घर को पूरी निष्ठा से संभालती है और दोनों मिलकर एक खुशहाल जीवन बिताने लगते हैं।

लेकिन एक दिन शाम को नंदिनी अपने पति से कहती है, “अगर आपको कभी समय मिले, तो एक दिन का समय मेरे लिए जरूर निकालना।” यह सुनकर कमल थोड़ा हैरान होता है और पूछता है, “तुम्हें क्या काम है?” नंदिनी जवाब देती है, “यह काम मैं तुम्हें वहीं जाकर बताऊंगी। तुम्हें मेरे साथ चलना होगा।”

कमल अपनी पत्नी की भावनाओं की कद्र करते हुए कहता है, “ठीक है, जब भी चलना हो, मुझे बता देना। तुम्हारे लिए मेरे पास हमेशा समय है।” चूंकि कमल अपनी पुश्तैनी जमीन पर खेती करता था और उसका काम ऐसा नहीं था कि उसे रोजाना खेत जाना पड़े, इसलिए वह सहर्ष तैयार हो जाता है।

दो-तीन दिन बाद, नंदिनी अच्छे से तैयार होती है और अपने पति से भी तैयार होने के लिए कहती है। कमल उसकी बात मानकर तैयार हो जाता है। दोनों अपने छोटे से बच्चे को लेकर घर से निकलते हैं। रास्ते में कमल पूछता है, “हम कहां जा रहे हैं?” नंदिनी जवाब देती है, “हमें मेरे मायके जाना है। वहां मेरे भैया-भाभी ने मुझे बहुत बुरे शब्द कहे थे। मैं उन्हें दिखाना चाहती हूं कि भले ही उन्होंने मुझे ठुकरा दिया हो, लेकिन ऊपर वाले ने मेरी मदद की और मेरी जिंदगी को फिर से सँवार दिया।”

कमल नंदिनी के साथ उसके मायके पहुंचता है। वहां पहुंचकर नंदिनी घर के दरवाजे पर खड़ी हो जाती है और जोर-जोर से अपने भैया-भाभी को बुलाने लगती है। उसकी आवाज सुनकर पड़ोसी भी इकट्ठा हो जाते हैं। नंदिनी अपने भैया से कहती है, “भैया, देख लीजिए, आपने मुझे ताने मारकर घर से भगा दिया था, लेकिन ऊपर वाले ने मेरी सुन ली। अब मेरा जीवन अच्छी तरह से चल रहा है। अगर आपको कभी किसी चीज की जरूरत हो, तो आप मेरे पास आ सकते हैं।”

दरअसल, नंदिनी के भैया-भाभी ने उसे छोटे-मोटे खाने-पीने की बातों पर ताने मारे थे और उसका जीना मुश्किल कर दिया था। इसी कारण नंदिनी ने घर छोड़ दिया था, लेकिन उसके बाद भी उन्होंने नंदिनी को कभी खोजने की कोशिश नहीं की।

पड़ोसी, जो वहां खड़े थे, नंदिनी की बातें सुनते हैं और उसके भैया-भाभी का सिर शर्म से झुक जाता है। पड़ोसियों को पहले ही नंदिनी की स्थिति के बारे में पता था, क्योंकि अक्सर पड़ोसी हमारे घर की बातें जान जाते हैं। उनमें से कुछ पड़ोसी नंदिनी से कहते हैं, “बेटी, हमारे घर आ जा। तेरे भैया-भाभी तो ऐसे ही हैं।” लेकिन नंदिनी मना कर देती है और कहती है, “जब मेरे अपनों ने मुझे नहीं अपनाया, तो मैं आपके घर जाकर क्या करूंगी?”

नंदिनी ने अपने भैया-भाभी को शर्मिंदा कर दिया और फिर अपने पति के साथ घर लौट गई। दोनों पति-पत्नी खुशी-खुशी अपने जीवन को आगे बढ़ाने लगते हैं। नंदिनी अपने छोटे भाई का मां की तरह ख्याल रखती है और घर को अच्छी तरह से संचालित करती है।

यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी हमें खुद को कमजोर नहीं समझना चाहिए। नंदिनी की यह कहानी हर किसी को प्रेरित करती है कि आत्मसम्मान और धैर्य के साथ जीवन में आगे बढ़ा जा सकता है।

जब नंदिनी अपने मायके जाती है, तो वह अपने भाई और भाभी का सामना करती है, जिन्होंने कभी उसे ताने मारकर घर से निकाल दिया था। लेकिन नंदिनी ने हार मानने के बजाय अपने आत्मसम्मान को बनाए रखा और यह साबित किया कि उसकी जिंदगी का भी एक मूल्य है, चाहे लोग उसके बारे में कुछ भी सोचें।

यह कहानी हमें सिखाती है कि दूसरों के विचार या उनके ताने हमारे आत्मसम्मान को कम नहीं कर सकते, अगर हम खुद पर विश्वास रखते हैं। कठिनाइयों का सामना करने की ताकत हमारे भीतर होती है। नंदिनी ने अपने जीवन में जो किया, वह न केवल खुद के लिए, बल्कि उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है जो किसी वजह से अपनी ताकत खो देती हैं।

दोस्तों, जब भी आपको लगे कि आप किसी कठिनाई का सामना कर रहे हैं, याद रखें कि आपके भीतर एक अद्भुत शक्ति है। खुद को कमजोर मत समझें। आपके पास अपनी आवाज उठाने, अपने अधिकारों की रक्षा करने और अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीने का पूरा हक है।

नंदिनी की कहानी यह भी सिखाती है कि हमें अपने अपनों के प्यार और समर्थन की जरूरत होती है। जब हम एक-दूसरे का साथ देते हैं, तो मिलकर हर चुनौती का सामना कर सकते हैं। इसलिए, अपनी आवाज उठाएं, अपने सपनों का पीछा करें, और कभी हार न मानें।

तो दोस्तों, यह थी कहानी एक लड़की की, जिसके पति ने उसे छोड़ दिया। क्या आप नंदिनी की दृढ़ता और साहस के बारे में कुछ कहना चाहेंगे? कृपया अपनी राय साझा करें। ऐसी और प्रेरणादायक कहानियों के लिए हमारे Website शेयर जरूर करें।

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