
दोस्तों, जब डीएम साहिबा का काफिला एक चौराहे से गुजर रहा था, तभी उनकी नजर वहां खड़े ट्रैफिक दरोगा पर पड़ी। डीएम साहिबा ने तुरंत अपनी गाड़ी रुकवाई और अपने गार्ड को भेजकर उस दरोगा को बुलाने को कहा। दरोगा जब यह सुनता है कि डीएम साहिबा उसे बुला रही हैं, तो वह थोड़ा घबरा जाता है। वह सोचने लगता है कि उससे ऐसी क्या गलती हो गई होगी जो डीएम साहिबा ने उसे बुलाया है। डरते-डरते वह डीएम साहिबा की गाड़ी के पास पहुंचता है। जैसे ही वह गाड़ी में बैठी डीएम साहिबा को देखता है, तो अचानक हैरान और स्तब्ध रह जाता है। आखिर कौन थीं डीएम साहिबा और उन्होंने उसे क्यों बुलाया था? पूरी सच्चाई जानने के लिए कहानी को अंत तक जरूर पढ़ें।
मध्य प्रदेश के एक जिले में एक परिवार रहता था। इस परिवार में माता-पिता, उनका बेटा अयांश और उसकी पत्नी आस्था शामिल थे। अयांश हाल ही में ट्रैफिक पुलिस में दरोगा के पद पर नियुक्त हुआ था, और उसकी शादी को अभी छह महीने ही हुए थे। आस्था अपने सास-ससुर का सम्मान करती थी और अपने पति की बातों का पालन करती थी।
एक दिन अयांश को पता चलता है कि उनके शहर में सरकारी नौकरी की वैकेंसी निकली है। उसे ख्याल आता है कि अगर आस्था का फॉर्म भर दिया जाए, तो उसकी भी सरकारी नौकरी लग सकती है। इस विचार से वह अपनी पत्नी के पास गया और कहा, “आस्था, अपने सारे डॉक्यूमेंट्स दो। मैं तुम्हारा फॉर्म भरता हूं। इससे तुम्हारी भी सरकारी नौकरी लग जाएगी, और हमारा जीवन और भी बेहतर हो जाएगा।”
अयांश की बात सुनकर आस्था चुपचाप खड़ी रही। यह देखकर अयांश ने फिर कहा, “तुमने सुना नहीं? मैंने कहा, अपने डॉक्यूमेंट्स दो।” तभी आस्था की आंखों में आंसू आ गए। वह रोते हुए बोली, “अयांश, मुझे माफ कर दो। एक बात मैंने तुमसे छुपाई है।”
यह सुनकर अयांश चौंक गया और हैरानी से पूछा, “आखिर तुमने क्या छुपाया है? क्या हुआ जो तुम इस तरह रो रही हो?”
आस्था ने धीरे-धीरे कहना शुरू किया, “देखो, मैं ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हूं। मैंने सिर्फ नौवीं कक्षा तक पढ़ाई की है। उसके बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। जब हमारी शादी हुई, तब मेरे घरवालों और तुम्हारे घरवालों ने मुझसे कहा था कि तुम्हें यह बात नहीं बतानी है। उन्होंने कहा था कि मुझे बस घर संभालना है और ससुराल में अच्छे से जीवन बिताना है। मैंने कई बार अपने पिता से कहा था कि इस तरह मेरी शादी मत करो, लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं मानी और तुम्हारे साथ मेरा रिश्ता तय कर दिया। अब मैं तुम्हारी पत्नी बनकर तुम्हारे साथ रह रही हूं।”
यह सुनते ही अयांश गुस्से से लाल हो गया और चिल्लाकर बोला, “तुमने इतना बड़ा सच मुझसे क्यों छुपाया? यह बात पहले क्यों नहीं बताई?” उसकी आवाज से पूरा घर गूंज उठा।
तभी अयांश के माता-पिता भी कमरे में आ गए। उन्होंने उसे समझाने की कोशिश की और कहा, “बेटा, इस लड़की में संस्कार कूट-कूटकर भरे हुए हैं। इसी वजह से हमने तुम्हारी शादी इससे करवाई। अगर ज्यादा पढ़ी-लिखी लड़की लाते, तो शायद वह घर का सम्मान नहीं करती और हमारा आदर भी नहीं करती। हमने तो बस यही सोचा था कि तुम्हारा जीवन सुखी रहे। आस्था घर संभालने में सक्षम है, इसलिए हमने यह फैसला लिया।”
लेकिन अयांश को यह सुनकर और भी ज्यादा गुस्सा आ गया। वह चिल्लाकर बोला, “कैसी अनपढ़ गंवार लड़की से मेरी शादी करा दी! तुम लोगों ने मेरी जिंदगी की परवाह ही नहीं की। मेरी पूरी जिंदगी बर्बाद कर दी।” ऐसा कहकर वह गुस्से में वहां से चला गया।
आस्था यह सब सुनकर फूट फूट कर रोने लगती है उसके सास ससुर उसे सहारा देते हुए कहते हैं बेटी चिंता मत करो यह कुछ दिनों तक नाराज रहेगा लेकिन फिर सब कुछ ठीक हो जाएगा वह तुम्हें स्वीकार कर लेगा और अच्छा जीवन बिताए लेकिन समय के साथ अयांश और आस्था के बीच विवाद बढ़ने लगता है छोटी-छोटी बातों पर पर अयांश आस्था को अनपढ़ गंवार और जाहिल कहकर अपमानित करने लगता है वह हर मौके पर उसकी बेइज्जती करता है जिससे आस्था का जीवन और भी कठिन हो जाता है जब तक अयांश को यह नहीं पता था कि आस्था नौवी कक्षा तक ही पड़ी है तब तक सब कुछ ठीक था लेकिन इस सच्चाई के पता चलने के बाद से उसका व्यवहार पूरी तरह बदल गया अयांश का आस्था के प्रति गुस्सा और ताने लगातार बढ़ते जा रहे थे आस्था ने पहले यह बात अपने सास ससुर से सांझा की उन्होंने उसे समझाने की कोशिश की लेकिन अयांश अपनी हरकतों से बाज नहीं आया जब बात हद से बढ़ गई तो आस्था ने अपने माता-पिता को फोन करके सब कुछ बताया माता-पिता ने उसे समझाते हुए कहा बेटी यह तुम्हारा घर है हर हाल में तुम्हें वहीं पर रहना होगा समय के साथ सब ठीक हो जाएगा आस्था ने माता-पिता की बात मानकर ससुराल में बने रहने का प्रयास किया लेकिन अयांश का व्यवहार दिन बदन और खराब होता गया उसने आस्था को ताने मारने और अपमानित करने के साथ-साथ शारीरिक रूप से भी प्रताड़ित करना शुरू कर दिया एक दिन झगड़े के दौरान अयांश ने गुस्से में आस्था पर हाथ उठा दिया यह आस्था के लिए बर्दाश्त से बाहर हो गया
उसने तुरंत ससुराल छोड़ने का फैसला किया और अपने मायके चली गई मायके में बैठी आस्था को उम्मीद थी कि कुछ दिनों बाद अयांश उसे मनाने के लिए जरूर आएगा लेकिन अयांश अपने गुस्से और अहंकार में डूबा रहा उसने आस्था को मनाने की कोई कोशिश नहीं की और आराम से अपने घर में रहने लगा जब अयांश के माता-पिता ने उससे कहा कि वह आस्था को मायके से लाकर सुलह कर ले तो उसने साफ मना कर दिया उसने गुस्से में कहा मैं उसे वापस नहीं लाऊंगा उसे तलाक दूंगा मुझे ऐसी पत्नी नहीं चाहिए जो अनपढ़ और गंवार हो यह सुनकर माता-पिता ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन अयांश ने उनकी एक भी बात नहीं मानी वह सीधे कोर्ट जाकर तलाक का केस दर्ज कर देता है कुछ दिनों बाद कोर्ट का संबन आस्था के पास पहुंचता है जब आस्था को यह पता चलता है तो उसे बेहद गुस्सा आता है उसने अपने पति की दिल से सेवा की थी फिर भी वह तलाक देना चाहता है आस्था ने भी ठान लिया कि वह अब इस रिश्ते को खत्म करके ही रहेगी उसने अयांश के खिलाफ कोर्ट में लड़ाई शुरू कर दी केस चलता रहा और कुछ दिनों बाद दोनों का तलाक हो गया तलाक के बाद अयांश अपने घर में आराम से रहने लगा जबकि आस्था मायके में अकेली हो गई आस्था के दिल और दिमाग में वही पुराने पल घूमते रहते जब अयांश उसे अनपढ़ गंवार और जाहिल कहकर अपमानित करता था वह अक्सर सोचती मैंने अपना सब कुछ इस रिश्ते के लिए दिया फिर भी मेरा घर बर्बाद हो गया अब मैं यहां अकेली और अपमानित होकर रह रही हूं इन कड़वी यादों ने आज आस्था को अंदर तक तोड़ दिया लेकिन कहीं ना कहीं उसने खुद को संभालने और अपने जीवन को नए सिरे से शुरू करने का हौसला भी जुटाना शुरू कर दिया आस्था तलाक के बाद एक अनिश्चित जीवन जी रही थी कभी वह अपने पति अयांश पर गुस्सा करती तो कभी उसे लगता कि जो कुछ हुआ वह बेहद गलत था इस बीच उसके पिता उसकी हालत देखकर चिंतित हो गए उन्होंने कहा बेटी अब मैं क्यों ना तुम्हारी दूसरी शादी करवा दूं हमारे पास पैसे की कोई कमी नहीं है और तलाक के बाद जो मुआवजा मिला है उससे तुम्हारा भविष्य अच्छा बना सकता हूं लेकिन आस्था ने अपने पिता की बात को साफ मना कर दिया उसने दृढ़ता से कहा पिताजी अगर आप मेरी दूसरी शादी करा देंगे तो क्या गारंटी है कि अगला व्यक्ति मुझे अनपढ़ और गंवार कहकर अपमानित नहीं करेगा मैं अब शादी नहीं करूंगी पहले मैं अपने ऊपर लगे इस दाग को मिटाना चाहती हूं यह सुन उसके पिता हैरान होकर पूछते हैं बेटी इस दाग को कैसे मिटाओ गी आस्था ने आत्मविश्वास के साथ जवाब दिया अब मैं पढ़ाई करूंगी पढ़ लिखकर एक पढ़ी लिखी और आत्मनिर्भर महिला बनूंगी उसके बाद मैं देखती हूं कि कौन मुझे अनपढ़ और गंवार कहकर बुलाता है यह सुनकर उसके पिता थोड़े चिंतित हो गए और बोले बेटी पढ़ाई तो तूने बहुत पहले छोड़ दी थी अब इतने समय बाद इसे कैसे शुरू करेगी आस्था ने दृढ़ता से कहा पिताजी चाहे जो भी हो जाए मुझे पढ़ाई करनी है मैं मेहनत करूंगी और अपना नाम रोशन करके दिखाऊंगी अब मुझे अपने सपनों को पूरा करना है और खुद को साबित करना है उसके आत्मविश्वास और हौसले को देखकर उसके पिता ने उसकी पढ़ाई का पूरा समर्थन करने का फैसला किया उन्होंने कहा बेटी अगर तुझे पढ़ना है तो मैं तेरे हर कदम पर तेरे साथ हूं आस्था ने ठान लिया था कि उसे अपने पूर्व पति अयांश को यह दिखाना है कि वह किसी से कम नहीं है उसने खुद से वादा किया कि जब तक वह सरकारी नौकरी हासिल नहीं कर लेती तब तक उसकी पढ़ाई लिखाई का सिलसिला बंद नहीं होगा
उसके पिता ने उसकी लगन और जुनून को देखकर कहा बेटी अगर तुम्हें पढ़ाई करनी है तो बेफिक्र होकर पढ़ो तुम्हारी पढ़ाई में जो भी खर्च होगा मैं उठाऊंगा तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो और किसी भी चीज की चिंता मत करो इस समर्थन के बाद आस्था ने पूरी लगन के साथ अपनी स्कूली शिक्षा फिर से शुरू की उसने धीरे-धीरे नौवीं और फिर 12वीं कक्षा पास की इसके बाद उसने ग्रेजुएशन में दाखिला लिया पढ़ाई के दौरान उसे कलेक्टर की पोस्ट के बारे में पता चला उसने समझा कि कलेक्टर बनने के बाद हर सरकारी अधिकारी उसके अधीन काम करेगा यह विचार आस्था को और प्रेरित करता गया उसने अपनी पूरी ऊर्जा ग्रेजुएशन पूरा करने और उसके के बाद सिविल सर्विस की तैयारी में लगा दी उसने ठान लिया था कि वह अपने बलबूते पर कुछ बड़ा करके दिखाएगी और अपने पूर्व पति समेत उन सभी को जवाब देगी जिन्होंने उसे अनपढ़ और गंवार कहा था आस्था ने कलेक्टर बनने का सपना देख लिया था और उसी दिशा में अपनी मेहनत जारी रखी उसने खुद को पूरी तरह पढ़ाई और तैयारी में झोंक दिया 2 साल की कड़ी मेहनत के बाद आस्था की मेहनत आखिरकार रंगलाई और कलेक्टर बन गई जैसे ही यह खबर फैली उसके पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा अब तक जब आस्था अपने जीवन को दोबारा संवारने के लिए पढ़ाई कर रही थी तब समाज के लोग उनके परिवार पर तरह-तरह के ताने मारते थे कोई कहता था इतनी उम्र में बेटी को पढ़ाने की क्या जरूरत है तो कोई कहता तलाक शुदा है घर बैठने दो लेकिन आज वही लोग मिठाई लेकर उनके घर आए आस्था के पिता पूरे गर्व के साथ सभी को बताते मेरी बेटी आज कलेक्टर बन गई है उसने मेरी उम्मीदों को सच कर दिखाया और हमारा सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है अपनी सफलता के बाद आस्था ने कलेक्टर की ट्रेनिंग शुरू की ट्रेनिंग के बाद उसकी पोस्टिंग एक जिले में हो गई जहां उसने पूरे समर्पण और काबिलियत के साथ अपने कर्तव्यों को निभाना शुरू कर दिया आस्था ने अपनी जिंदगी को नए सिरे से लिखा और समाज को यह संदेश दिया कि मेहनत और हौसले के साथ हर चुनौती को पार किया जा सकता है आस्था जो अब कलेक्टर बन चुकी थी अपनी मेहनत और ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करती रहती थी एक दिन उसे किसी जरूरी काम से बाहर जाना था वह अपनी गाड़ी में बैठी और अपने गनर और ड्राइवर के साथ रवाना हो गई रास्ते में एक बड़ा चौराहा आया जहां ट्रैफिक पुलिस मुस्तैद थी जैसे ही कलेक्टर साहिबा का काफिला वहां पहुंचा ट्रैफिक पुलिस ने तुरंत ट्रैफिक को साइड करना शुरू कर दिया ताकि उनका काफिला बिना रुकावट के आगे बढ़ सके आस्था की नजर अचानक एक ट्रैफिक पुलिस वाले पर पड़ी उसे देखते ही वह चौक गई वह और कोई नहीं बल्कि नीरज था आस्था का पूर्व पति जिसने कभी उसे अनपढ़ और गवार कहकर अपमानित किया था और उससे तलाक ले लिया था आस्था ने तुरंत ड्राइवर को गाड़ी रोकने का आदेश दिया गाड़ी रुकने के बाद उसने रियर व्यू मिरर में एक बार फिर ध्यान से देखा यह सुनिश्चित करने के लिए कि वह व्यक्ति अयांश ही है जैसे ही उसने पहचान लिया कि वह अयांश है उसके चेहरे पर गंभीरता छा गई आस्था ने अपने गनर से कहा गाड़ी से उतरकर उस दरोगा को यहां बुलाकर लाओ जो वहां खड़ा है गनर तुरंत गाड़ी से उतरा और अयांश के पास गया उसने कहा कलेक्टर साहिबा आपको बुला रही हैं नीरज जो काफिले को देखकर पहले ही सतर्क था यह सुनते ही घबरा गया उसे समझ नहीं आया कि कलेक्टर साहिबा उसे क्यों बुला रही हैं वह मन ही मन सोचने लगा मुझसे ऐसा क्या गलती हो गई है जो कलेक्टर साहिबा ने मुझे बुलाया है डर और संशय के साथ नीरज धीरे-धीरे कलेक्टर साहिबा की गाड़ी की ओर बढ़ने लगा डरते हुए वह कलेक्टर साहिबा की गाड़ी तक पहुंच जाता है वहां जाने के बाद जैसे ही वह गाड़ी के अंदर देखता है सामने बैठी हुई कलेक्टर साहिबा को देखकर एकदम से हैरान रह जाता है इधर जो कलेक्टर साहिबा गाड़ी में बैठी हुई थी जैसे ही वे उसकी तरफ देखती हैं तो अयांश एकदम से उन्हें सलूट मारता है और कहता है हां मैडम बताइए क्या काम है इसके बाद आस्था जो कलेक्टर साहिबा थी कहती हैं तुम कल मेरे ऑफिस में आओ मुझे तुमसे कुछ बात करनी है इतना कहकर आस्था वहां से चली जाती है अयांश इस बात को सोच सोच कर हैरान रहता है कि आस्था इतनी बड़ी कलेक्टर कैसे बन गई आखिर ऐसा क्या हुआ था
इसके बाद अयांश उस गांव के अंदर जाता है जहां पर आस्था पहले रहती थी और उनके बारे में पता करने की कोशिश करता है पूछताछ के बाद उसे आस्था की पूरी कहानी समझ में आ जाती है उसे पता चलता है कि जब आस्था का तलाक हो गया था तो उन्होंने दूसरी शादी नहीं की इसके बजाय उन्होंने अपनी पढ़ाई लिखाई पर ध्यान दिया और मेहनत करके कलेक्टर बनकर दिखाया गांव के लोग उनकी इस संघर्ष भरी कहानी को जानते और सराह दे थे इसी वजह से अयांश को यह सब जानकारी आसानी से मिल जाती है इन सब बातों को सोचकर अयांश बहुत ज्यादा हैरान हो जाता है इसी हैरानी में वह अगले दिन कलेक्टर साहिबा से मिलने के लिए उनके ऑफिस चला जाता है वहां पहुंचकर वह बाहर इंतजार करता है तभी आस्था उसे अंदर बुलाती है अयांश जैसे ही केबिन के अंदर जाता है उसके पास शब्द ही नहीं होते कि वह अपनी गलती के लिए माफी मांग सके या यह कह सके कि उससे जो कुछ भी हुआ वह बहुत बड़ी गलती थी आस्था उसकी हालत देखकर सब समझ जाती हैं और उसे बैठने के लिए कहती हैं अयांश सहमते हुए जाकर कुर्सी पर बैठ जाता है उसके बाद दोनों के बीच बातचीत शुरू होती है बातचीत की शुरुआत आस्था करती है और सबसे पहले आस्था अयांश का धन्यवाद करती है
अब जैसे ही कलेक्टर साहिबा ने अयांश का धन्यवाद किया तो वह एकदम से हैरान हो जाता है वह सोचने लगता है मैंने तो इसे तलाक दे दिया था इसे काफी बुरा भला कहा था और इस पर हाथ भी उठाया था फिर यह मेरा धन्यवाद क्यों कर रही है वह आखिर पूछ ही लेता है आस्था तुम मेरा धन्यवाद क्यों कर रही हो आस्था मुस्कुराते हुए जवाब देती है देखो अयांश अगर तुम उस समय मुझे परेशान नहीं करते और यह याद नहीं दिलाते कि मैं अनपढ़ और घमंड में डूबी हुई हूं तो शायद आज मैं इस पोस्ट को हासिल नहीं कर पाती तुम्हारी कठोर बातें और व्यवहार ही मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा बने मैंने ठान लिया था कि मैं खुद को साबित करके दिखाऊंगी यह बात सुनकर अयांश एकदम से हक्का बक्का रह जाता है वह सोचता है कि आस्था के साथ उसने इतना बुरा किया फिर भी वह उसे धन्यवाद दे रही है और हर चीज को सकारात्मक नजरिए से देख रही है अयांश खुद को रोक नहीं पाता और आस्था के सामने फूट फूट कर रोने लगता है वह कहता है आस्था मुझे माफ कर दो मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई मैंने तुम्हें तलाक देकर अपनी ही जिंदगी खराब कर ली अगर मैं तुम्हें तलाक नहीं देता तो मेरी जिंदगी आज और भी बेहतर हो सकती थी आस्था थोड़ी गंभीर होकर पूछती है वह कैसे अयांश जवाब देता है
तुमसे तलाक देने के बाद मैंने एक पढ़ी लिखी लड़की से शादी कर ली जैसा माता-पिता ने कहा था लेकिन वह वैसी बिल्कुल भी नहीं निकली जैसी मुझे उम्मीद थी उसने जीना हराम कर दिया है अयांश अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहता है और मैं उसे चाहकर भी तलाक नहीं दे सकता क्योंकि वह बार-बार तरह-तरह के केस मुझ पर करने की कोशिश करती है वह मुझे धमका रहती है और कहती है कि अगर मैंने इधर-उधर कुछ भी किया तो मेरी नौकरी भी चली जाएगी और मेरे माता-पिता को भी घर में चैन से नहीं रहने देगी इतना कहते हुए अयांश फिर से फूट फूट कर रोने लगता है यह देखकर आस्था उसे चुप कराती है और शांत स्वर में कहती हैं कोई बात नहीं अयांश जो कुछ भी होता है वह ऊपर वाला हमारे भाग्य में लिखता है इसमें हमारे हाथ में कुछ नहीं होता शायद तुम्हारे भाग्य में वही महिला थी इसलिए तुमने मुझे तलाक दिया और उससे शादी कर ली आस्था की बात सुनकर अयांश अपने आंसुओं को पोचता है और हिचकते हुए पूछता है आस्था तुमने अब तक शादी क्यों नहीं की आस्था गहरी सांस लेते हुए जवाब देती है मैं शादी करना चाहती थी अयांश लेकिन तुम्हारी बातें मुझे शादी नहीं करने देती थी बार-बार तुम्हारे वह शब्द याद आते थे जो तुम कहां करते थे अनपढ़ है गंवार है इन्हीं बातों ने मुझे सोचने पर मजबूर किया कि अगर मुझे शादी करनी है तो उससे पहले मुझे खुद को साबित करना होगा इसलिए मैंने तय किया कि सबसे पहले मैं पढ़ लिखकर एक सरकारी नौकरी हासिल करूंगी और उसके बाद ही शादी के बारे में सोचूंगी इन बातों को कहकर आस्था आगे कहने लगती है खैर छोड़ो इन बातों को इनमें तो काफी समय लग जाएगा लेकिन याद रखना अयांश जिंदगी में कभी भी अगर तुम्हें मेरी जरूरत हो तो बेहिचक मुझे फोन कर सकते हो आज मैं जो भी हूं तुम्हारी बदौलत हूं अगर तुमने मुझे ताने नहीं मारे होते तो शायद मैं कभी भी इस पोस्ट को हासिल नहीं कर पाती यही कारण था कि मैंने तुम्हें यहां बुलाया थोड़ी देर रुककर आस्था ने कहा तुम भले ही मेरे बारे में कुछ भी सोचो लेकिन मैं तुम्हारे बारे में हमेशा अच्छा ही सोचती हूं तुम्हारी वजह से आज मेरी जिंदगी सफल हो गई है यह कहकर आस्था अयांश को वहां से जाने के लिए कह देती है अयांश मायूस सा होकर वहां से निकल जाता है शाम को आस्था अपने पिता से बात करती है और कहती हैं पिताजी आज मेरी मुलाकात अयांश से हुई पिता हैरान होकर पूछते हैं बेटी वह क्या कह रहा था तब आस्था अपने पिता को सारी बातें विस्तार से बताती हैं यह सब सुनने के बाद पिता को अपनी बेटी पर गर्व महसूस होता है उन्हें इस बात पर खुशी होती है कि उनकी बेटी ने उस व्यक्ति को भी धन्यवाद कहा जिसने उसके साथ इतना बुरा किया था इसके बाद कुछ दिन ऐसे ही बीतते हैं आस्था अपने काम में व्यस्त रहती है एक दिन अचानक से आस्था के पिता का फोन उसके पास आता है और वह कहने लगते हैं बेटी तुम्हारे लिए एक रिश्ता आया है वह लड़का तुमसे शादी करना चाहता यह सुनकर आस्था तुरंत मना कर देती है और कहती हैं नहीं पिताजी मैं किसी से शादी नहीं करना चाहती लेकिन तभी उनके पिता बताते हैं बेटी वह लड़का और कोई नहीं वही अयांश है जिसने तुम्हें तलाक दिया था यह सुनकर आस्था हैरान रह जाती है और कहती हैं पिताजी अयांश ने तो मुझसे कहा था कि उसकी शादी हो चुकी है और उसकी पत्नी उसे बहुत परेशान करती है
फिर यह सब कैसे पिता शांत स्वर में कहते हैं बेटी उसने तुमसे झूठ बोला था उसने अभी तक कोई भी शादी नहीं की है अयांश के पिता यहां आए थे और उन्होंने मुझे पूरी सच्चाई बताई दरअसल जब तुम दोनों का तलाक हुआ था तो उसके कुछ दिनों बाद तक अयांश गुस्से में था लेकिन उसके बाद अयांश अपने किए गए फैसले पर पछताने लगा बार-बार वह आस्था को याद करता और याद करके फूट-फूट कर रोता उसके माता-पिता ने भी उसे कई बार शादी करने के लिए कहा लेकिन उसने साफ मना कर दिया और कह दिया मैं किसी और से शादी नहीं करूंगा अब जब अयांश की मुलाकात आस्था से हो गई थी तो उसे लगा कि वह दोबारा उसके साथ शादी कर सकता है चाहे इसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े वह माफी मांगने और अपनी गलतियों को सुधारने के लिए पूरी तरह तैयार था पिता ने सारी बातें आस्था को समझाई और कहा बेटी वह सच में अपने किए पर पछता रहा है और तुम्हारे साथ नई शुरुआत करना चाहता है यह सब सुनकर आस्था कुछ देर तक सोच विचार करती रही आखिरकार उसने कहा ठीक है बाबू जी आप मेरी उसी से शादी करवा दीजिए और उसे बता दीजिए कि मैं शादी के लिए तैयार हूं इसके बाद आस्था और अयांश की दोबारा से शादी हो जाती है शादी के बाद दोनों खुशी खुशी जीवन व्यतीत करने लगते हैं एक दिन शादी के बाद अयांश आस्था से पूछता है आस्था तुम ने इतनी आसानी से इस शादी के लिए हां क्यों कर दी मैंने तो तुम्हारे साथ बहुत गलत किया था आस्था मुस्कुराकर जवाब देती है अयांश शादी जिंदगी में एक बार होती है और मैंने सोचा जब एक बार मेरी शादी हो चुकी थी तो क्यों ना उसी इंसान के साथ शादी की जाए जो अब अपनी गलती समझ चुका है और दोबारा शादी के लिए राजी है वैसे भी मैंने अपनी जिंदगी की शुरुआत तुम्हारे साथ ही की थी यह अलग बात है कि हमारे बीच झगड़े हुए और उन झगड़ों के कारण हमें एक दूसरे से काफी समय तक दूर रहना पड़ा लेकिन अब मैं चाहती हूं कि हम अपनी जिंदगी को दोबारा मिलकर सही तरीके से शुरू करें तो दोस्तों यह कहानी थी एक लड़की की जिसे अनपढ़ और गंवार कहकर तलाक दे दिया गया था लेकिन उसने हार नहीं मानी और अपनी किस्मत अपने हाथों से लिख डाली यह कहानी हमें सिखाती है कि हालात चाहे जैसे भी हो मेहनत और लगन से सब कुछ बदला जा सकता है आप आस्था के बारे में क्या कहना चाहेंगे और अयांश के बारे में आपकी क्या राय है अपनी राय कमेंट सेक्शन में जरूर लिखें और इसे दूसरों के साथ सांझा करें दोस्तों इस कहानी को बताने का मेरा उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत
करना या किसी को ठेस पहुंचाना नहीं है बल्कि मैं आप सभी को प्रेरित और जागरूक करना चाहता हूं कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी कठिन क्यों ना हो इंसान अपने दम पर उन्हें बदल सकता है अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो तो हमारे website को शेयर जरूर करें ऐसी और प्रेरणादायक कहानियों के लिए जुड़े रहे जहां भी रहिए सतर्क रहिए सुरक्षित रहिए बहुत-बहुत धन्यवाद