रेलवे स्टेशन पर भिखारी का अंग्रेजी सुन कर पुलिस

महाराष्ट्र के नागपुर रेलवे स्टेशन पर एक प्लेटफॉर्म पर एक डस्टबिन रखा है। उसके पास एक व्यक्ति खड़ा है, जिसकी हालत देखकर लगता है कि वह भिखारी है। उसके बाल लंबे, उलझे और गंदे हैं, और कपड़े फटे-पुराने व मैले हैं। वह डस्टबिन के आसपास घूमता है और उसके अंदर से खाने का सामान ढूंढता है। कभी-कभी वह डस्टबिन से खाली बोतलें निकालकर उनमें बचा हुआ लिक्विड पीने की कोशिश करता है। इस सबको एक रेलवे पुलिस का जवान दूर से खड़ा होकर देख रहा है, जिसकी ड्यूटी वहीं लगी है।

प्लेटफॉर्म पर एक व्यक्ति असहाय अवस्था में दिखता है। जैसे ही एक पुलिसकर्मी उसकी हालत देखता है, वह तुरंत रेलवे कैंटीन पर जाता है और वहां से पानी की एक बोतल खरीदकर उस व्यक्ति को देता है। वह व्यक्ति बोतल लेकर एक ही बार में पूरा पानी पी जाता है। इसके बाद, वह पुलिसकर्मी का धन्यवाद करते हुए कहता है, “थैंक यू सो मच, सर।” पुलिसकर्मी जब उसके मुंह से यह शब्द सुनता है और इतनी अच्छी अंग्रेजी में उसे बोलते हुए देखता है, तो वह हैरान रह जाता है और गहरी सोच में पड़ जाता है। उसके मन में विचार आता है कि शायद यह व्यक्ति कोई सीबीआई अधिकारी है, जो किसी केस को सुलझाने के लिए इस तरह का भेष बनाए हुए है।

लेकिन जब वह उस व्यक्ति के शरीर को ध्यान से देखता है तो ऐसा लगता है जैसे वह पिछले तीन-चार महीनों से भूखा है। इसके बाद वह खुद को रोक नहीं पाता और उस व्यक्ति से पूछता है, “अरे भाई, तुम कौन हो जो इतनी अच्छी अंग्रेजी बोल लेते हो?” उस व्यक्ति ने जवाब दिया, “मेरा नाम रणबीर सिंह है और मैं फलानी जगह का रहने वाला हूं। मैंने ग्रेजुएशन किया है और इसीलिए मैं इतनी अच्छी अंग्रेजी बोल सकता हूं।”

यह सुनकर पुलिस वाला उससे पूछता है, “अगर तुमने ग्रेजुएशन की है और पढ़े-लिखे हो, तो फिर इस हालत में यहां क्यों हो?” रणबीर ने जवाब दिया, “इसके पीछे एक लंबी कहानी है, जिसे सुनाने में थोड़ा समय लगेगा।” यह सुनकर पुलिस वाला उसे स्टेशन के रेस्ट रूम में ले गया। वहां पहुंचकर उसने रणबीर के लिए खाना मंगवाया। रणबीर बैठकर खाना खाने लगा। खाने के बाद पुलिस वाला बोला, “अगर तुम्हें फ्रेश होना है तो हो सकते हो। इसके बाद मैं तुम्हारी पूरी कहानी सुनना चाहूंगा।”

अब पुलिस वाले के मन में रणबीर की कहानी जानने की जिज्ञासा और बढ़ गई थी। रणबीर ने खाना खत्म किया और फिर अपनी कहानी शुरू की। उसने बताया, “हमारे परिवार में बस मैं और मेरी मां हैं। मेरे पिता का देहांत कई साल पहले किसी बीमारी के चलते हो गया था। अब मैं ही अपनी मां का ख्याल रखता हूं। यह कहानी 2 साल पहले की है, यानी 2022 की, जब मैं अपनी मां के साथ गांव में रहता था। मैंने ग्रेजुएशन कर लिया था और मेरी मां मेरी शादी की राह देख रही थी। वह मन ही मन बहुत खुश थी। सोचती थी कि जब मेरी शादी होगी तो घर में एक बहू आ जाएगी और परिवार में एक सदस्य और बढ़ जाएगा।”

रणबीर ने आगे कहा, “एक दिन मैं अपने गांव से शहर गया।” उसकी आंखों में पुरानी यादें उमड़ पड़ी थीं। पुलिस वाला उसकी हर बात ध्यान से सुन रहा था, उसकी हर बात में दिलचस्पी और सहानुभूति के साथ। रणबीर ने बताया, “मेरा गांव शहर से लगभग 8 किलोमीटर दूर है। एक दिन…”

मुझे घर के लिए कुछ सामान की जरूरत थी, इसलिए मैं शहर के बाजार में एटीएम से पैसे निकालने गया। पैसे निकालने के बाद मैं गांव लौटने के लिए सवारी का इंतजार करने लगा। मैं गांव के रास्ते पर खड़ा था और किसी बाइक, ऑटो, या कार का इंतजार कर रहा था। मैंने कई गाड़ियों को रुकने का इशारा किया, लेकिन कोई नहीं रुकी। तभी मुझे एक गाड़ी आती हुई दिखी। मैंने हाथ देकर उसे रुकने का इशारा किया। गाड़ी रुक गई और मैंने उनसे लिफ्ट मांगी। उन्होंने मुझे गाड़ी में बैठने का इशारा किया।

गाड़ी में बैठते समय मैंने उनसे कहा कि मुझे थोड़ी आगे जाकर अपने गांव के पास उतरना है। जब मैं गाड़ी में बैठा, तो मैंने देखा कि उसमें तीन लोग थे। वे एक अजीब भाषा में बात कर रहे थे, जो ना हिंदी थी और ना ही अंग्रेजी। मुझे वह भाषा बिल्कुल समझ नहीं आ रही थी। वे बैठे-बैठे कुछ खा भी रहे थे, और फिर उन्होंने खाने की चीजों में से कुछ मेरी तरफ इशारा करते हुए बढ़ाया।

मैंने थोड़ा सा खा लिया। जैसे ही मैंने वह खाया, थोड़ी देर में मुझे अजीब सा महसूस होने लगा और फिर अचानक से मैं बेहोश हो गया। जब मेरी आंखें खुलीं, तो मैंने खुद को एक गंदी और बदबूदार टॉयलेट में बंद पाया। वहां से बहुत ही बुरी दुर्गंध आ रही थी। मैं समझ नहीं पा रहा था कि मुझे कहां लाकर बंद कर दिया गया है। मेरे पास ना वह पैसे थे जो मैंने एटीएम से निकाले थे, ना मोबाइल फोन, और ना ही कोई पहचान पत्र।

मैं घबराकर चिल्लाने लगा, “मुझे बाहर निकालो! मैं यहां कहां बंद हूं?” लेकिन कोई जवाब नहीं आया। जब मैंने और जोर से शोर मचाया, तो कुछ देर बाद एक व्यक्ति बाहर से आया। उसने…

दरवाजा खुला। मुझे देखते ही वह आदमी आगबबूला हो गया और गुस्से में मुझ पर टूट पड़ा। उसने बिना किसी चेतावनी के मुझ पर हमला कर दिया और बेरहमी से मेरी पिटाई शुरू कर दी। वह तब तक मुझे मारता रहा, जब तक मैं दर्द से बिलखने नहीं लगा। रणबीर की आंखों में उस खौफनाक पल की छवि अभी भी ताजा थी। पुलिस वाला उसकी कहानी सुनते हुए गंभीर मुद्रा में सोच में डूबा हुआ था।

रणबीर ने उससे संवाद करने की कोशिश की, लेकिन वह व्यक्ति किसी ऐसी भाषा में बात कर रहा था जिसे रणबीर बिल्कुल भी समझ नहीं पा रहा था। आखिरकार रणबीर थककर चुप हो गया। वह आदमी दरवाजा बंद करके वहां से चला गया, और रणबीर को अकेला छोड़ दिया। रणबीर बेहद परेशान था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह कहां है और ये लोग कौन हैं, जिनकी भाषा भी उसकी समझ से परे है। वह इन्हीं सवालों में उलझा हुआ था कि अचानक वही टॉयलेट का दरवाजा फिर से खुला।

इस बार उस आदमी के हाथ में एक इंजेक्शन था। उसने रणबीर को इंजेक्शन लगाया, और रणबीर तुरंत बेहोश हो गया। जब रणबीर को होश आया, तो शाम का समय हो चुका था। उसने खुद को एक खाली, अजीब से कमरे में बंद पाया। उसे भूख लग रही थी। उसने जोर-जोर से दरवाजा पीटते हुए कहा, “मुझे भूख लगी है। खाने के लिए कुछ दे दो!” उसकी आवाज सुनकर बाहर मौजूद लोग दरवाजा खोलते हैं।

लेकिन वे लोग रणबीर की भाषा नहीं समझ पा रहे थे, और रणबीर भी उनकी बातों को नहीं समझ सका। इस कारण वे लोग गुस्से में आकर रणबीर को फिर से पीटने लगे और उसका मुंह बंद कर दिया। रणबीर सहमा हुआ कमरे में चुपचाप बैठा रहा। थोड़ी देर बाद दरवाजा फिर से खुला और उसके लिए थोड़ा सा खाना लाया गया। रणबीर ने वह खाना खा लिया, लेकिन उसकी हालत डर से खराब हो रही थी।

वह बार-बार सोच रहा था कि आखिर वह कहां है और यहां कैसे पहुंच गया। यह सब किसी बुरे सपने जैसा लग रहा था, लेकिन जो कुछ उसके साथ हो रहा था, वह सब हकीकत थी। रणबीर को लग रहा था कि यह भयावह स्थिति कभी खत्म नहीं होगी। थोड़ी देर बाद दरवाजा फिर से खुला…

दरवाजा खुलता है और वही व्यक्ति एक और इंजेक्शन लेकर रणबीर के पास आता है। वह उसे नशे का इंजेक्शन लगा देता है। इंजेक्शन लगते ही रणबीर पूरी तरह बेहोश हो जाता है और कमरे के ठंडे फर्श पर बेसुध पड़ा रहता है। अगली सुबह सूरज की पहली किरण के साथ ही कुछ लोग वहां आते हैं और रणबीर को जबरदस्ती उठाकर अपने साथ ले जाते हैं। वे उसे एक कंस्ट्रक्शन साइट पर ले जाते हैं, जहां उसके जैसे कई और लोग पहले से मौजूद थे। वहां पहुंचने के बाद रणबीर को भी उन सभी के साथ काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। उन लोगों की कड़ी निगरानी में सभी मजदूर काम कर रहे थे ताकि कोई भागने की कोशिश न कर सके। रणबीर ने धीरे-धीरे यह महसूस करना शुरू किया…

लिया कि वहां बाकी सभी लोग भी शायद इसी तरह लाए गए थे। दिन में वह वहां मजदूरी करता और शाम होते ही उसे फिर से उसी कमरे में लाकर एक और इंजेक्शन देकर सुला दिया जाता। इस तरह दिन पर दिन बीतते रहे। काम करते हुए रणबीर को लगभग दो साल हो चुके थे। इस दौरान जो इंजेक्शन उसे दिए जा रहे थे, उनका असर अब धीरे-धीरे कम होने लगा था।

दो साल के भीतर रणबीर यह समझ चुका था कि अगर वह चुपचाप और बिना किसी विरोध के काम करता रहे तो लोग उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देंगे। अब उसे यह भी मालूम हो गया था कि अगर वह शोर मचाएगा या विरोध करेगा, तो ही वे लोग उसे पीटेंगे। इसलिए उसने चुपचाप उनके अनुसार काम करना शुरू कर दिया था। इसी वजह से लोग अब उस पर कम ध्यान देने लगे थे।

जैसे-जैसे इंजेक्शन का असर कम होने लगा, एक रात रणबीर की आंखें अचानक खुल गईं। जब उसकी आंखें खुलीं, तो उसने देखा कि जिस कमरे में उसे बंद किया गया था, उसका दरवाजा खुला हुआ था और बाहर लोग गहरी नींद में सोए हुए थे। यह अवसर देख रणबीर ने चुपके से वहां से निकलने का फैसला किया। अब उन लोगों के पास और भी नए लोग थे, जिन पर वे ज्यादा ध्यान दे रहे थे और उन्हें नियंत्रित करने में व्यस्त थे। वे यह सोच रहे थे कि रणबीर अब उनके पास स्थाई रूप से रहेगा, लेकिन रणबीर ने इस मौके का फायदा उठाया और वहां से भाग निकला।

अब रणबीर सोचने लगा कि वह कहां जाए, क्योंकि वह इस अजनबी जगह से बिल्कुल भी परिचित नहीं था। जैसे ही वह वहां से भागा, उसने पागलों की तरह इधर-उधर दौड़ना शुरू कर दिया। लेकिन जगह उसे पूरी तरह से अजनबी लग रही थी। चारों ओर ऐसे बोर्ड नज़र आ रहे थे, जिन पर किसी अजनबी भाषा में कुछ लिखा हुआ था, जिसे वह समझ नहीं पा रहा था।

धीरे-धीरे वह एक ट्रेन की पटरी के पास पहुंच गया। रणबीर ने सोचा कि ट्रेन की पटरी पर चलते हुए शायद वह किसी स्टेशन तक पहुंच सके और वहां से कोई ट्रेन पकड़कर अपने इलाके तक जा सके। वह पटरी पर चलने लगा, क्योंकि यही उसे अपनी मुक्ति का एकमात्र रास्ता नजर आ रहा था।

पढ़ा-लिखा होने के बावजूद रणबीर के पास कोई ठोस योजना नहीं थी। उसे अचानक ट्रेन की पटरी का अनुसरण करने का विचार आया। वह पटरी के साथ चलता रहा और आखिरकार एक स्टेशन तक पहुंच गया। स्टेशन पर पहुंचते ही उसे एहसास हुआ कि वह भारत के किसी ऐसे हिस्से में आ गया है, जहां की भाषा और बोली पूरी तरह से अलग थी। वहां के लोग भी उसे अजनबी लग रहे थे। स्टेशन पर उसकी भाषा बोलने वाला कोई नहीं मिला, जिससे उसकी बात कोई समझ नहीं पा रहा था।

यह सब देखकर रणबीर ने फैसला किया कि वह यहां से ट्रेन पकड़कर अपने इलाके वापस जाने की कोशिश करेगा। लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे, जो उसके लिए एक बड़ी चुनौती बन गई। बिना पैसे के रेल यात्रा करना उसके लिए बेहद मुश्किल था। फिर भी उसने तय किया कि उसे इस अजनबी और खतरनाक जगह से निकलना होगा। उसे डर था कि अगर उन लोगों को पता चला कि वह भाग गया है, तो वे उसे ढूंढने के लिए जरूर आएंगे। यदि वे उसे दोबारा पकड़ लेते, तो उसका क्या हाल होता, यह सोचकर वह और ज्यादा चिंतित हो गया।

रणबीर ने हिम्मत जुटाई और एक ट्रेन में चढ़ने का निर्णय लिया। ट्रेन में उसने खुद को छिपाने के लिए कई तरीके अपनाए। वह कभी टॉयलेट में सोता, तो कभी सीट के नीचे छुप जाता। जैसे-तैसे उसने सफर जारी रखा। जब भी उसे भूख लगती, वह किसी स्टेशन पर उतरकर वहां के फूड स्टॉल से कुछ खाने का जुगाड़ करता। वह खाने की तलाश में इधर-उधर भटकता और किसी को इस बात का पता नहीं चलने देता कि वह बिना टिकट यात्रा कर रहा है।

एहसास हुआ कि वह एक बेहद कठिन परिस्थिति में है। अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए रास्ता तलाशते हुए, रणबीर धीरे-धीरे नागपुर रेलवे स्टेशन तक पहुंच जाता है। स्टेशन पर पहुंचने के बाद उसे भूख का एहसास होता है। वह स्टेशन के पास एक डिब्बे के पास गया और उसमें रखी चीजों से कुछ खाने की कोशिश करने लगा। डिब्बे में रखी कोल्ड ड्रिंक की बोतलें देखकर उसने उनमें बची हुई कोल्ड ड्रिंक पीने की कोशिश की।

यह दृश्य देखकर एक रेलवे पुलिस का जवान, जो पास से गुजर रहा था, ठिठक गया। उसकी आंखों में आंसू आ गए। वह रणबीर के पास जाकर उसकी पूरी कहानी सुनता है। रणबीर की आपबीती सुनकर जवान को गहरा दुख होता है। रणबीर की स्थिति इतनी दर्दनाक थी कि पुलिस वालों के दिल में भी संवेदना जाग उठी।

रेलवे पुलिस का जवान रणबीर से पूछता है, “क्या तुम्हें अपने घर का नंबर याद है?” रणबीर थोड़ी देर चुप रहता है और फिर जवाब देता है, “मेरा फोन मेरे घर पर था, लेकिन उन लोगों ने वह फोन मुझसे छीन लिया। अब मैं उस नंबर को याद नहीं कर सकता। मेरी मां भी अनपढ़ है, वह भी मुझे नंबर याद नहीं दिला सकती।” लेकिन थोड़ी देर सोचने के बाद रणबीर को अपने ससुराल के लड़के का नंबर याद आ जाता है।

यह सुनकर रेलवे पुलिस का जवान अपना फोन निकालता है और उस नंबर को डायल करने की कोशिश करता है। रात का समय हो चुका था। कॉल लगने पर रणबीर के ससुराल के लड़के, गौरव, ने फोन उठाया। पुलिस वाला गौरव से पूछता है, “क्या आप रणबीर सिंह को जानते हैं?” गौरव जवाब देता है, “हां साहब, वह मेरा भाई है। काफी दिनों से वह गायब था। हमने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट भी पुलिस में दर्ज करवाई थी। अब आप उसके बारे में क्यों पूछ रहे हैं?”

पुलिस वाला गौरव को बताता है कि नागपुर रेलवे स्टेशन पर एक व्यक्ति मिला है, जो खुद को रणबीर सिंह बता रहा है। इसके बाद वह फोन रणबीर को देता है ताकि…

रणबीर और गौरव की बातचीत शुरू होती है, लेकिन फोन पर बात करना मुश्किल होता है, जिससे उन्हें एक-दूसरे को समझने में समय लगता है। तभी पुलिस अधिकारी वीडियो कॉल करता है, और इस माध्यम से दोनों भाई एक-दूसरे को देख पाते हैं। गौरव कुछ देर तक ध्यान से देखने के बाद धीरे-धीरे पहचानता है कि यह वास्तव में उसका भाई रणबीर सिंह है। वह तुरंत पुलिस अधिकारियों को पुष्टि करता है, “हां साहब, यह मेरा भाई रणबीर सिंह ही है।”

इसके बाद दोनों भाई एक-दूसरे से बातें करने लगते हैं। इस दौरान रणबीर की आंखों से आंसू छलक पड़ते हैं, और गौरव की आंखें भी नम हो जाती हैं। इतने सालों बाद अपने भाई को देखकर दोनों भावुक हो जाते हैं। उनके आंसू इस बात का प्रतीक थे कि जिस व्यक्ति को परिवार ने दो साल पहले मृत मान लिया था, वह वापस लौट आया था। रणबीर की वापसी ने परिवार में खुशी की लहर दौड़ा दी।

अगले दिन पुलिस रणबीर को उसके घर ले जाती है। जैसे ही वह घर पहुंचता है और अपनी मां से मिलता है, उसकी मां उसे देखकर फूट-फूट कर रोने लगती है और तुरंत उसे गले से लगा लेती है। वह पुलिस अधिकारियों के पैरों में गिरकर कहती है, “साहब, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कि आप मेरे बेटे को वापस ले आए।”

कुछ आवश्यक कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद रणबीर सिंह अपनी मां के साथ घर लौट आता है। उसने अपने जीवन को फिर से पटरी पर लाने का साहस दिखाया और धीरे-धीरे अपने पुराने जीवन में रम गया।

जब यह खबर पूरे गांव में फैली, लोग रणबीर से मिलने और उसकी कहानी जानने के लिए आने लगे। हर कोई यह जानने को उत्सुक था कि इन दो सालों में रणबीर किन परिस्थितियों से गुजरा और वह किस तरह से वापस लौट आया।

रणबीर ने गांव वालों को अपनी पूरी आपबीती सुनाई। उसने बताया कि किस तरह उसे अजनबियों ने बंधक बना लिया, कैसे वह उनके चंगुल से निकलने में कामयाब हुआ, और किस तरह उसने अपनी जिंदगी को दोबारा शुरू किया। वह सभी को यह समझाता है कि किसी भी अजनबी के जाल में ना फंसे और हमेशा सतर्क रहें। अपने अनुभवों से वह सभी को सावधान करता है और यह सीख देता है कि किसी भी परिस्थिति में उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए।

अपनी कहानी सुनाते हुए रणबीर ने बताया कि अजनबी गाड़ी में बैठना उसकी सबसे बड़ी गलती थी। उसने सोचा था कि उसका गांव पास ही है, तो कुछ गलत नहीं होगा। लेकिन उन अजनबियों ने उसकी जिंदगी के दो साल बर्बाद कर दिए, जो वह कभी नहीं भूल सकता। रणबीर ने यह भी बताया कि कैसे उसने बिना सोचे-समझे उस गाड़ी में चढ़ने का फैसला किया और यह निर्णय उसके लिए कितना घातक साबित हुआ।

इस कारण रणबीर को दो साल तक दर्द और संघर्ष का सामना करना पड़ा। पुलिस उससे लगातार पूछताछ करती रही ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह कहां गया था और वहां की परिस्थितियां कैसी थीं। हालांकि, रणबीर को ज्यादा कुछ याद नहीं था, लेकिन जो भी बातें उसे याद थीं, उसने पुलिस को बता दीं। पुलिस पूरी कोशिश कर रही थी कि इस केस को सुलझाया जा सके और यह पता लगाया जा सके कि क्या अन्य लोग भी उन अपराधियों द्वारा बंदी बनाए गए थे। यदि ऐसा था, तो उनका उद्देश्य इन लोगों को भी मुक्त कराना था। इस दौरान पुलिस की कार्रवाई जारी थी। वहीं, रणबीर सिंह अपनी मां के साथ अपने घर में खुशी-खुशी जीवन व्यतीत कर रहा था। अब वह…

रणबीर सिंह अक्सर अपनी कहानियां सुनाया करता था, जिनमें हमेशा एक बड़ी सीख छिपी होती थी। यह कहानी रणबीर सिंह की है, जिसे दो साल पहले उसके गांव के पास के शहर से अपहरण कर लिया गया था। दो साल बाद वह अपने परिवार के पास सुरक्षित वापस लौट आया।

यह कहानी केवल रणबीर की कठिन यात्रा नहीं बल्कि एक महत्वपूर्ण संदेश भी देती है—कभी भी किसी अजनबी पर भरोसा न करें और हमेशा सतर्क रहें। अगर रणबीर उस दिन उस अनजान व्यक्ति के साथ गाड़ी में न बैठता, तो उसकी जिंदगी के दो साल बर्बाद नहीं होते।

यह घटना हमें सिखाती है कि अपनी सुरक्षा को हमेशा प्राथमिकता देनी चाहिए। पुलिस ने रणबीर की मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके साहस और समर्पण ने रणबीर को सुरक्षित घर पहुंचाने में मदद की और इस तरह की घटनाओं को रोकने के प्रयास किए।

इस कहानी का उद्देश्य किसी को डराना नहीं है, बल्कि आपको यह सिखाना है कि सतर्कता और सावधानी आपके जीवन को सुरक्षित रख सकती हैं। हर कहानी के पीछे एक संदेश होता है, जिसे समझकर अपने जीवन में लागू करना चाहिए।

रणबीर की कहानी हमें यह सिखाती है कि किसी अजनबी से सावधान रहना और अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना कितना जरूरी है। दोस्तों, कभी भी किसी अनजान व्यक्ति के साथ यात्रा न करें और हमेशा सतर्क रहें। इस कहानी का उद्देश्य किसी को परेशान करना या भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। इसका मकसद आपको जागरूक और सतर्क बनाना है ताकि आप किसी भी खतरे से बच सकें और सुरक्षित रहें।

इस कहानी ने यकीनन आपको सोचने पर मजबूर किया होगा। जीवन में किसी अनजान व्यक्ति से संबंध बनाने से बचें और हमेशा अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता दें। ऐसी और भी जागरूकता भरी कहानियों के लिए हमारी वेबसाइट को जरूर शेयर करें। आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है, तो कृपया अपनी निष्पक्ष राय कमेंट बॉक्स में साझा करें।

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