
दोस्तों, एक बार की बात है, जब एक एसडीएम साहब अपनी सरकारी गाड़ी में अपनी पत्नी के साथ सफर कर रहे थे। रास्ते में सड़क के किनारे उन्हें एक महिला द्वारा चलाया जा रहा सब्जी का ठेला दिखाई दिया। एसडीएम साहब ने उस महिला की ओर गौर से देखा और तुरंत अपनी गाड़ी रुकवाई। वे नीचे उतरकर उस महिला की ओर बढ़े।
जैसे ही वह महिला उन्हें अपनी ओर आते देखती है, वह घबराकर अपना चेहरा छुपाने लगती है। एसडीएम साहब ने पास जाकर कहा, “सोनम, मैंने तुम्हें पहचान लिया है। चेहरा छुपाने की जरूरत नहीं है।” यह सुनते ही वह महिला, जिसका नाम सोनम था, हाथ जोड़कर माफी मांगने लगी और फूट-फूटकर रोने लगी।
अब सवाल यह है कि वह महिला कौन थी और एसडीएम साहब के सामने इस तरह रोने का कारण क्या था? इन दोनों के बीच आखिर ऐसा क्या रिश्ता था, जिससे यह दृश्य देखने को मिला? आइए, इस कहानी की गहराई को जानने के लिए आगे बढ़ते हैं।
दोस्तों, यह एक सच्ची घटना उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद के एक गांव की है, जहां सोनम नाम की एक लड़की रहती थी। सोनम बेहद खूबसूरत थी और उसे अपनी खूबसूरती पर काफी घमंड था। जब भी वह अपनी सहेलियों के साथ घूमने जाती, अक्सर कहती, “मुझसे शादी करने के लिए कोई राजकुमार आएगा और मेरी सुंदरता के कारण मुझसे शादी करेगा।”
सोनम कॉलेज की पढ़ाई कर रही थी और समय धीरे-धीरे बीत रहा था। जैसे-जैसे समय गुजरता गया, सोनम की उम्र बढ़ने लगी और उसके माता-पिता उसकी शादी के बारे में सोचने लगे। सोनम के पिता और उसका बड़ा भाई मिलकर उसके लिए एक उपयुक्त लड़के की तलाश करने लगे।
कुछ समय बाद, उन्हें संदीप नाम का एक लड़का मिला। संदीप दिखने में साधारण था, लेकिन वह पढ़ा-लिखा और संस्कारी था। वह अपने माता-पिता की इज्जत करना अच्छे से जानता था। जब सोनम के पिता और भाई ने संदीप से बातचीत की, तो उन्होंने उसके स्वभाव को बहुत अच्छा पाया। संदीप एक सम्मानजनक परिवार से था और उसकी सोच और व्यवहार ने सोनम के पिता को काफी प्रभावित किया। इसलिए उन्होंने सोनम की शादी संदीप से तय कर दी।
शादी तय करने के बाद, जब सोनम के पिता घर लौटे तो सोनम ने उनसे पूछा, “पापा, आपने जो लड़का मेरे लिए चुना है वह कैसा है? क्या वह सुंदर है? क्या वह मेरे लायक है? क्योंकि हमारी जोड़ी अच्छी दिखनी चाहिए। मैं जितनी खूबसूरत हूं, उतना ही खूबसूरत मेरा दूल्हा भी होना चाहिए।”
सोनम की यह बात सुनकर उसके पिता उसे समझाते हुए बोले, “बेटा, सूरत इतनी मायने नहीं रखती। मैंने जो लड़का तुम्हारे लिए चुना है, वह लाखों में एक है। एक अच्छे जीवन साथी के लिए सुंदरता से ज्यादा उसके विचार, मान-सम्मान और तुम्हारी इज्जत करना जरूरी है।”
सोनम अपने पिता की इन बातों को सुनकर थोड़ी मायूस हो गई।
तभी सोनम का भाई उसे उस लड़के की तस्वीर दिखाता है। जैसे ही सोनम फोटो देखती है, वह चेहरा झुका लेती है और उसकी मायूसी बढ़ जाती है। उसे लगता है कि लड़का दिखने में कुछ खास नहीं है। वह सोचने लगती है, “इस लड़के के साथ मेरी शादी कैसे होगी? मैं इसके साथ अपनी जिंदगी कैसे बिताऊंगी?” सोनम इन विचारों से बेहद परेशान हो जाती है। तभी उसका भाई उसे समझाते हुए कहता है, “देखो बहन, यह लड़का पढ़ा-लिखा है और सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा है। कुछ महीनों या सालों के अंदर वह सरकारी नौकरी में लग जाएगा। इसके बाद तुम्हारी जिंदगी खुशहाल हो जाएगी और तुम्हें किसी चीज की कमी नहीं होगी।”
लेकिन सोनम अभी भी उस लड़के की सूरत को लेकर परेशान थी और उससे शादी नहीं करना चाहती थी। गांव के माहौल में लड़कियों को अपनी मर्जी से शादी करने की आजादी कम ही मिलती है। वहां की लड़कियां अपने माता-पिता और घरवालों के फैसलों का ही पालन करती हैं। सोनम भी इसी स्थिति में थी। उसने अपने पापा और भाई के सामने अपनी नाराजगी जाहिर नहीं की और चुपचाप शादी के लिए तैयार हो गई।
धीरे-धीरे समय बीतता गया और सोनम की शादी का दिन नजदीक आ गया। शादी की तैयारियां जोरों पर थीं। सोनम अपने कमरे में बैठी दुल्हन का जोड़ा पहनकर तैयार हो रही थी। घर में खुशियों का माहौल था। रिश्तेदारों का आना-जाना लगा हुआ था और चारों ओर हंसी-खुशी की बातें हो रही थीं। कुछ समय बाद बारात भी दरवाजे पर आ गई। दूल्हे का स्वागत पूरे मान-सम्मान के साथ किया गया।
अब वह पल आ गया था जब जयमाला की रस्म होनी थी। सोनम दुल्हन की तरह तैयार होकर स्टेज पर पहुंची। उसने भारी शादी का जोड़ा पहना हुआ था और चेहरे पर हल्की मायूसी साफ नजर आ रही थी। स्टेज पर पहुंचने के बाद सोनम की नजर पहली बार अपने दूल्हे पर पड़ी। उसे देखकर उसके मन में तरह-तरह के विचार आने लगे।
जब जयमाला की रस्म शुरू होती है और दोनों के हाथों में वरमाला दी जाती है, तब अचानक सोनम स्टेज पर ही लड़के को देखकर गुस्से में आ जाती है। वह वरमाला डालने से मना कर देती है और कहती है, “पिताजी, मैं इस लड़के से शादी नहीं करूंगी। फोटो में तो लड़का ठीक-ठाक लग रहा था, लेकिन सामने से यह बिल्कुल भी सही नहीं लग रहा। यह लड़का बहुत काला है और मैं इससे शादी नहीं करूंगी, चाहे मेरी जान ही क्यों न चली जाए। अगर आप लोग मुझ पर जबरदस्ती करेंगे और मेरी शादी इससे करवाएंगे, तो देख लीजिए।”
सोनम की इस बात से पूरा माहौल तनावपूर्ण हो जाता है। रिश्तेदार और मेहमान हैरान रह जाते हैं। उसके पिताजी और भाई उसे समझाने की कोशिश करते हैं, लेकिन सोनम अपनी जिद पर अड़ी रहती है। वह अपने फैसले पर अटल थी कि वह इस लड़के से शादी नहीं करेगी क्योंकि उसके लिए बाहरी रूप-रंग ज्यादा मायने रखता था।
यह उस समाज का एक सच्चा चेहरा है, जहां कई बार बाहरी सुंदरता को अंदरूनी गुणों से ज्यादा महत्व दिया जाता है। ऐसे हालात में क्या होता है, यह जानने के लिए कहानी को आगे बढ़ाते हैं।
जब सोनम ने शादी करने से साफ-साफ इंकार कर दिया, तो दूल्हा और उसके पिताजी बेहद मायूस हो गए। दूल्हा, जो कि समझदार और पढ़ा-लिखा था, चुपचाप सोनम की बातों को सुनता रहा और कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वह जानता था कि जबरदस्ती किसी रिश्ते में बंधने का कोई फायदा नहीं होता। उसके पिताजी ने सोनम के पिताजी से कहा, “आपने हमें पहले नहीं बताया था कि आपकी बेटी को इस बात से दिक्कत हो सकती है कि हमारा बेटा सांवला है और बहुत सुंदर नहीं है।”
सोनम के पिताजी और भाई ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन सोनम अपनी जिद पर अड़ी रही। वह अपने पिताजी की किसी बात को मानने को तैयार नहीं थी। दूल्हे के पिताजी ने यहां तक कह दिया, “बेटा, देखो घर पर बारात आई है तो शादी कर लो। बाद में जो होगा, वह देखा जाएगा।”
लेकिन सोनम ने किसी की भी बात नहीं मानी और शादी करने से साफ इंकार कर दिया।
दूल्हा और उसके परिवार वाले इस असहज स्थिति से बेहद परेशान हो गए, लेकिन उन्होंने समझदारी से स्थिति को संभाला और चुपचाप वहां से चले गए। इस घटना ने दोनों परिवारों के बीच तनाव पैदा कर दिया और शादी का माहौल एकदम से खराब हो गया। सोनम का यह फैसला उसकी जिंदगी में आगे क्या मोड़ लेगा, यह जानने के लिए हमें आगे की कहानी को देखना होगा।
सोनम का भाई और उसके पिता, दोनों उस पर जोर जोर से दबाव डालने लगे। वे कहने लगे, “आज तुम्हें शादी करनी ही पड़ेगी। यह हमारी इज्जत का सवाल है। अगर तुम आज शादी नहीं करोगी, तो हमारी बहुत बदनामी हो जाएगी।” इस तरह सोनम को उस दिन समझाया जा रहा था। तभी गांव के कुछ लोगों ने पुलिस को फोन कर दिया और सूचना दी कि शादी में झगड़ा हो गया है और लड़की शादी नहीं करना चाहती है।
कुछ ही समय में पुलिस मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने सोनम के पिता और भाई को समझाया, “अगर लड़की शादी करने के लिए राजी नहीं है, तो आप जबरदस्ती उसकी शादी नहीं करा सकते। यह उसका अधिकार है और यह अधिकार उसे कानून ने दिया है।” सोनम के पिता और भाई लाचार हो गए और मजबूरी में दूल्हे को अपनी बारात वापस ले जानी पड़ी।
जब दूल्हा अपनी बारात लेकर गांव से बाहर निकल रहा था, तभी उसी गांव का एक गरीब किसान दूल्हे के पिता के पास आया और बोला, “अगर आपको ऐतराज ना हो, तो मैं आपसे कुछ बात करना चाहता हूं। अगर आप बुरा नहीं मानेंगे, तो मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूं।” दूल्हे के पिता ने निराशा में कहा, “अब सब कुछ बर्बाद हो गया है। अब बचा ही क्या है? इससे ज्यादा हमारी बदनामी क्या हो सकती है? बताओ, क्या बात है।”
किसान ने कहा, “साहब, हमारी एक बेटी है। वह ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं है, लेकिन बड़ों की इज्जत करना बहुत अच्छे से जानती है। घर का सारा काम कर लेगी, खाना बना देगी और आपके लड़के को बहुत खुश रखेगी। वह आपकी सेवा करेगी और आपकी इज्जत भी करेगी। अगर आप लोग बुरा नहीं मानेंगे, तो आप हमारी बेटी से शादी करके बारात लेकर जा सकते हैं। हम बहुत गरीब हैं, पैसे या दान तो नहीं दे पाएंगे, बस अपनी बेटी को ही आपको दे सकते हैं।”
पुराने जमाने में जब किसी की बारात वापस चली जाती थी, तो गांव के लोग इसी तरीके से मदद करते थे। उस लड़की से शादी करवाकर बारात को विदा कर दिया गया। दूल्हे के पिता को यह बात बहुत अच्छी लगी क्योंकि उन्होंने शादी में इतना खर्चा किया था और रिश्तेदार भी आए थे। अगर शादी नहीं होती, तो उनकी इज्जत का क्या होता? इस तरह संदीप और उस लड़की की शादी हो गई। शादी के बाद संदीप उस लड़की को लेकर विदा होकर अपने घर चला गया।
इस बीच, सोनम ने अपनी शादी तोड़ने के दो महीने बाद इलाहाबाद चली गई और वहां एक प्राइवेट नौकरी करने लगी। यहां सोनम की मुलाकात एक लड़के से हुई जिसका नाम विशाल था। जब सोनम ने पहली बार विशाल को देखा, तभी उसे पहली नजर में ही वह पसंद आ गया। वह बार-बार विशाल को देखा करती थी और धीरे-धीरे विशाल को भी ऐसा लगने लगा कि सोनम उससे प्यार करती है।
विशाल, सोनम को देखने के बहाने ढूंढने लगा। वह सोनम के चारों ओर बाइक लेकर घूमता रहता था। एक साल के बाद सोनम और विशाल के बीच अच्छी दोस्ती हो गई और दोनों एक-दूसरे से प्यार करने लगे। सोनम सोच रही थी कि अच्छा हुआ उसने संदीप से शादी नहीं की, वरना उसकी जिंदगी बर्बाद हो जाती। उसे यह भी लगता था कि जैसा लड़का उसे जीवन में चाहिए था, वैसा ही विशाल उसे मिल गया है।
अब उसकी जिंदगी हंसी-खुशी गुजर जाएगी, ऐसा वह सोच रही थी। लेकिन सोनम नहीं जानती थी कि विशाल वह नहीं था जो वह समझ रही थी। विशाल लड़कियों के साथ मौज-मस्ती करता था, जुआ खेलता था, उसका अवैध संबंध भी था। वह शराब पीता था और पढ़ा-लिखा भी नहीं था।
हालांकि विशाल की एक खासियत थी कि वह जब भी सोनम से मिलने आता, नशे की हालत में नहीं होता और हमेशा एक अच्छे लड़के के रूप में उसके सामने पेश आता। सोनम ने धीरे-धीरे विशाल के साथ समय बिताना शुरू कर दिया। दो साल बाद, उसने अपने माता-पिता से बातचीत की और विशाल से शादी करने का प्रस्ताव रखा।
जब सोनम के माता-पिता को पता चला कि वह अपनी मर्जी से शादी करना चाहती है, तो उन्होंने उसे मना नहीं किया। वे जानते थे कि उसकी पहली शादी टूट चुकी है और अगर इस बार भी उन्होंने उसे रोका, तो उनकी बेटी की शादी फिर से टूट सकती है। इसी सोच के चलते उन्होंने सोनम की इच्छा के खिलाफ नहीं गए और उसकी शादी विशाल से तय कर दी।
विशाल दिखने में बेहद आकर्षक था, अच्छे कपड़े पहनता था और महंगी गाड़ियों में घूमता था। यह सब देखकर सोनम को वह पसंद आने लगा और उसने विशाल से शादी कर ली। शादी के बाद सोनम विशाल के साथ बहुत खुश थी और सोच रही थी कि उसने संदीप से शादी नहीं की, क्योंकि वह उसकी जिंदगी बर्बाद कर सकता था।
लेकिन सोनम यह नहीं जानती थी कि उसकी जिंदगी संदीप के साथ नहीं, बल्कि अब विशाल के साथ बर्बाद होने वाली थी। उसे इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था।
दोस्तों, सोनम की शादी के छह महीने बीत चुके थे, लेकिन उसे अभी तक यह पता नहीं था कि उसका पति, विशाल, नशे का आदि है और शराब पीता है। विशाल ने अपनी आदतें इतनी चालाकी से छिपा रखी थीं कि वह कभी घर पर शराब पीकर नहीं आता था। जब भी उसे मौज-मस्ती करनी होती थी या किसी गलत काम में शामिल होना होता था, वह होटल बुक करता था और वहां जाकर अपनी हरकतें करता था।
धीरे-धीरे, इसी तरह एक साल गुजर गया। इस दौरान सोनम ने एक सुंदर बच्चे को जन्म दिया। हालांकि, अब सोनम को थोड़ा-बहुत शक होने लगा था कि विशाल शराब पीने का आदी है। फिर भी उसने इस बारे में कुछ नहीं कहा, यह सोचकर कि शायद वह कभी-कभार ही शराब पीता होगा।
समय बीतने के साथ, विशाल की हरकतें बढ़ती चली गईं। अब वह सोनम के सामने ही शराब पीकर आने लगा और अन्य लड़कियों से खुलेआम बातें करने लगा। जब सोनम ने उसे इस बारे में टोका, तो विशाल उसे डांट देता और धमकी देता कि अगर उसने कुछ कहा तो वह उसे मारकर घर से बाहर निकाल देगा। यह सुनकर सोनम को गहरा सदमा लगा। उसने सोचा कि उसने अपनी मर्जी से शादी की थी, लेकिन विशाल का ऐसा बर्ताव कभी उसकी उम्मीदों में नहीं था।
सोनम अक्सर कहती थी कि वह जितनी सुंदर थी, उतना ही सुंदर विशाल भी था। उसने सोचा था कि उसका पति उसकी सुंदरता की कद्र करेगा और उसकी इज्जत करेगा। लेकिन शादी के एक साल बाद, विशाल पूरी तरह बदल चुका था। सोनम को धीरे-धीरे यह भी पता चल गया कि विशाल के कई लड़कियों के साथ अवैध संबंध हैं।
इसी कारण से सोनम और विशाल के बीच लगातार झगड़े होने लगे। इस तरह लड़ते-लड़ते एक और साल गुजर गया, और सोनम ने एक और बच्चे को जन्म दिया। अब सोनम की शादी को तीन साल हो चुके थे, लेकिन उसकी हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही थी। वह खुद को पूरी तरह मजबूर और बेबस महसूस करने लगी थी। सोनम विशाल को छोड़कर भी नहीं जा सकती थी और अपनी परेशानियां अपने माता-पिता से भी साझा नहीं कर सकती थी, क्योंकि उसने अपनी मर्जी से शादी की थी। उसे डर था कि उसके माता-पिता उसे ताने देंगे और कहेंगे, “तुमने अपनी मर्जी से शादी की है, तो यह तुम्हारी जिम्मेदारी है।”
इस डर के कारण सोनम ने अपने दुख और तकलीफें खुद ही सहने का निर्णय लिया। धीरे-धीरे घर में झगड़े और तनाव बढ़ते गए। विशाल और भी ज्यादा तनावग्रस्त रहने लगा और शराब का सेवन बढ़ा दिया। इस वजह से घर में रोज लड़ाई-झगड़े होते रहे। स्थिति यहां तक बिगड़ गई कि विशाल के पास इतने पैसे भी नहीं बचे कि वह अपने बच्चों की देखभाल कर सके या उनकी दवाइयों का खर्च उठा सके। सोनम की जिंदगी बुरी तरह से बिगड़ चुकी थी।
तभी सोनम ने अपने बच्चों के भविष्य को देखते हुए विशाल से अलग होने का निर्णय लिया। उसे लगा कि इस तरह की जिंदगी उसके बच्चों को नुकसान पहुंचाएगी और वह इस सबसे बाहर निकलना चाहती थी। दो बच्चों के साथ किसी भी महिला के लिए जीवन मुश्किल हो जाता है, और सोनम की भी यही हालत हो गई थी। आखिरकार, वह ससुराल छोड़कर इलाहाबाद में एक किराए के कमरे में रहने लगी।
सोनम को समझ आ गया कि उसे अपने बच्चों की परवरिश के लिए काम करना होगा। इसलिए उसने जहां वह रहती थी, उसी कमरे के पास सड़क के किनारे सब्जी का ठेला लगाना शुरू कर दिया। रोज उसे 500 से 1000 रुपये की कमाई हो जाती थी, जिससे वह अपने और अपने बच्चों का खर्च आसानी से चला लेती थी। इसी कमाई में से कुछ पैसे वह बैंक में भी जमा करने लगी। ठेला लगाकर सब्जी बेचते हुए तीन महीने ही हुए थे कि अचानक सोनम को पता चला कि वह लड़का, जिससे उसकी पहली शादी तय हुई थी और जिसे उसने मना कर दिया था, अब एसडीएम बन चुका है।
यह सुनकर सोनम अपनी किस्मत को कोसने लगी और सोचने लगी कि काश उसने उस दिन अपने पिता की बात मान ली होती। संदीप, जो अब एसडीएम बन चुका था, अपनी पत्नी को सरकारी गाड़ी में लेकर कहीं जा रहा था। रास्ते में ट्रैफिक जाम हो गया, तो उसने गाड़ी साइड में लगा दी। संदीप इधर-उधर देखने लगा और कुछ खाने का सोच रहा था। तभी उसकी नजर एक ठेले पर सब्जी बेच रही एक महिला पर पड़ी। वह महिला कोई और नहीं बल्कि सोनम थी।
संदीप पहले तो थोड़ी देर के लिए उलझन में पड़ गया कि यह वही सोनम है, जिससे उसकी शादी कभी तय हुई थी, या फिर कोई और। लेकिन जैसे ही उसने गौर से देखा, उसे यकीन हो गया कि वह सोनम ही थी। यह देखकर संदीप के दिल में अजीब सी भावना आई। वह सोचने लगा कि कभी वह सोनम से शादी करना चाहता था, लेकिन आज उसकी किस्मत ने उसे एक ऐसे मुकाम पर पहुंचा दिया है, जहां वह एक बड़ी सरकारी पद पर है और सोनम ठेले पर सब्जी बेचने को मजबूर हो गई है।
संदीप के मन में कई विचार आने लगे। कभी वह सोनम के साथ एक जिंदगी का सपना देखता था, लेकिन आज उनकी जिंदगियां पूरी तरह से अलग दिशा में चल रही थीं। सोनम ने भी संदीप को देखा, लेकिन उसने नजरें चुरा लीं। वह समझ गई कि यह वही संदीप है, जिससे उसने कभी शादी करने से मना कर दिया था। अब वह अपनी किस्मत पर पछता रही थी, लेकिन वह जानती थी कि पछताने से कुछ नहीं बदलेगा।
संदीप थोड़ी देर और देखता रहा, फिर बिना कुछ कहे अपनी गाड़ी में बैठा और आगे बढ़ गया। सोनम के जीवन में अब एक और कड़वा सच जुड़ चुका था, लेकिन उसने खुद को मजबूत बनाए रखा। वह जानती थी कि उसे अब अपने बच्चों के लिए जीना है और इस नए मोड़ को भी अपनी जिंदगी का हिस्सा मानकर आगे बढ़ना है।
उसे पहचान चुका था। उसने सोनम से कहा, “सोनम, मैंने तुम्हें पहचान लिया है। अब चेहरा छुपाने की जरूरत नहीं है।” यह सुनकर सोनम बेहद परेशान हो गई और हाथ जोड़कर माफी मांगने लगी। उसने कहा, “देखो, उस दिन मैंने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया। मैंने तुम्हारी बहुत बेइज्जती की थी, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। मुझे माफ कर दो। उस समय मुझे समझ में नहीं आया था।” उसकी आंखों में पछतावे के आंसू थे।
संदीप ने उसे शांत करते हुए कहा, “कोई बात नहीं सोनम। हर किसी की अपनी-अपनी जिंदगी होती है और अपने फैसले लेने का अधिकार भी। मैं तुमसे नाराज नहीं हूं।” फिर संदीप ने सोनम से पूछा, “तुम यहां सब्जी क्यों बेच रही हो? मुझे तो सुनने में आया था कि तुम्हारी शादी हो गई थी और वह लड़का अच्छा और संपन्न परिवार से था। ऐसा क्या हुआ कि तुम्हें इस हालात में आना पड़ा?”
सोनम ने एक गहरी सांस ली और अपनी आंखों से आंसू पोंछते हुए संदीप को अपने जीवन की सारी सच्चाई बताई। उसने विशाल की नशे की आदतों, उसके अवैध संबंधों और घर में रोज-रोज होने वाले झगड़ों के बारे में विस्तार से बताया। उसने कहा, “मैंने सोचा था कि शायद वह सुधर जाएगा, लेकिन उसकी आदतें और खराब होती गईं। आखिरकार, मुझे मजबूरी में उसे छोड़ना पड़ा।”
सोनम ने आगे कहा, “मैं अपने मायके भी नहीं जा सकती क्योंकि मैंने अपनी मर्जी से शादी की थी। मुझे डर है कि मेरे घरवाले मेरे बारे में गलत सोचेंगे और मुझे दोष देंगे। इसीलिए बिना किसी को बताए मैं यहां ठेले पर सब्जी बेचकर अपनी जिंदगी गुजार रही हूं और अपने बच्चों की परवरिश कर रही हूं।”
संदीप उसकी कहानी सुनकर हैरान रह गया। उसने सोनम की हालत को समझा और उसकी हिम्मत की तारीफ की। उसने कहा, “इतने कठिन हालात में भी तुम अपने बच्चों का पालन-पोषण कर रही हो, यह बहुत बड़ी बात है।”
संदीप, जो अब एसडीएम बन चुके थे, ने सोनम को सांत्वना देते हुए कहा, “सोनम, अगर तुम्हें किसी भी चीज की जरूरत पड़े तो मुझसे संपर्क करना। मैं तुम्हारी मदद करने की पूरी कोशिश करूंगा।”
संदीप की इन बातों ने सोनम के दिल को थोड़ी राहत दी। हालांकि, उसे पता था कि उसे अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी है, लेकिन संदीप का समर्थन उसे आत्मविश्वास और ताकत दे गया।
संदीप जब अपनी गाड़ी में बैठने लगे, तो उनकी पत्नी ने पूछा, “यह तो सोनम है ना, हमारे गांव की लड़की? वही, जिससे तुम्हारी शादी तय हुई थी?”
संदीप ने कहा, “हां, यह वही सोनम है।” फिर उन्होंने अपनी पत्नी को सोनम की पूरी कहानी बताई—कैसे उसका पति शराबी और बेवफा निकला, और कैसे उसे अपने बच्चों के साथ अकेले रहना पड़ा।
संदीप की पत्नी ने यह सब सुनकर सहानुभूति व्यक्त की। गाड़ी चल पड़ी, और दोनों चुपचाप सोचने लगे कि जिंदगी कितनी अनिश्चित हो सकती है।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में परिस्थितियां चाहे जितनी भी कठिन क्यों न हों, हमें हार मानने के बजाय संघर्ष करना चाहिए। सोनम ने अपनी सुंदरता और घमंड को पीछे छोड़कर अपने बच्चों के लिए जीने की राह चुनी, और यही उसकी असली ताकत थी।
यह समझना आवश्यक है कि केवल चेहरा और रूप-रंग आपकी जिंदगी को सही दिशा नहीं दे सकते। जब भी आप किसी से शादी करें, यह देखना जरूरी है कि वह व्यक्ति हर परिस्थिति में आपके साथ खड़ा रहेगा या नहीं। क्या वह आपकी इज्जत करेगा? यह सबसे अहम बात है।
कोई भी व्यक्ति आपको महंगी गाड़ियों में घुमाए या न घुमाए, अच्छे होटलों में खाना खिलाए या न खिलाए, लेकिन अगर वह आपकी इज्जत करता है, तो वही आपका सच्चा जीवनसाथी है। एक ऐसा पुरुष जो अपनी पत्नी की इज्जत करना जानता है, वह कभी किसी भी महिला के साथ गलत व्यवहार नहीं करेगा।
दोस्तों, इस कहानी का उद्देश्य आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचाना या किसी का दिल दुखाना नहीं था। इसका मकसद आपको जागरूक और सतर्क बनाना है। हमें उम्मीद है कि इस कहानी से आपने कुछ महत्वपूर्ण सीख हासिल की होगी। अगर इस कहानी ने आपको प्रभावित किया हो, तो कृपया हमारी वेबसाइट को शेयर करें। आपकी राय हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है, इसलिए अपनी निष्पक्ष राय कमेंट बॉक्स में जरूर साझा करें। जहां भी रहें, सतर्क और सुरक्षित रहें। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!