
गांव की गलियों में होली का उत्साह चरम पर था। लोग गुलाल उड़ाते, ढोल की थाप पर झूमते, और ठंडाई का आनंद लेते हुए रंगों में सराबोर थे। लेकिन भीड़ में एक ऐसी शख्सियत मौजूद थी, जिसकी असली पहचान सामने आते ही सब कुछ बदलने वाला था। यह कहानी उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के छोटे से गांव पचपेड़ा खुर्द की है, जहां एसपी निधि वर्मा मौजूद थीं। अपनी सख्त छवि के लिए जानी जाने वाली निधि कई अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचा चुकी थीं। लेकिन आज वह वर्दी में नहीं, बल्कि साधारण चूड़ीदार सूट और दुपट्टे में थीं। उनके चेहरे पर गुलाल था, और कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता था कि यह वही एसपी हैं जिनसे बड़े-बड़े माफिया डरते हैं।
निधि गांव की गलियों में घूम रही थीं, होली खेल रही थीं, और माहौल को महसूस कर रही थीं। अचानक वहां दरोगा विक्रम सिंह की एंट्री हुई। विक्रम सिंह इलाके का बेहद चालाक और भ्रष्ट दरोगा था। उसके खिलाफ घूसखोरी, गलत कामों और महिलाओं से दुर्व्यवहार की शिकायतें थीं। लेकिन उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि कोई उस पर हाथ नहीं डाल सकता था।
होली के नशे में धुत विक्रम की नजर एक लड़की पर पड़ी, जो अन्य महिलाओं के साथ रंग खेल रही थी। उसका चेहरा गुलाल से ढका था, लेकिन उसकी चाल-ढाल बाकी गांव की औरतों से अलग लग रही थी। विक्रम धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ा। उसने पहले हल्के अंदाज में रंग लगाने की कोशिश की, फिर मौका पाकर उसका हाथ पकड़ लिया और धीमे से फुसफुसाया, “कहीं बाहर से आई लगती हो। चाहो तो तुम्हारे लिए सब कुछ आसान कर सकता हूं। राजा साहब तुम्हें खोने नहीं देंगे।”
निधि के कानों में यह शब्द पड़े, और उनके अंदर गुस्से की लहर दौड़ गई। लेकिन वह चुप रहीं। वह देखना चाहती थीं कि यह आदमी कितनी हद तक जा सकता है। विक्रम ने आगे बढ़कर उनका हाथ पकड़ा और कहा, “होली है मैडम जी, ऐसे नखरे क्यों? राजा साहब का दिल आ गया है तुम पर। एक बार हां कर दो, फिर देखो मजा।”
निधि ने हल्के से मुस्कुराकर कहा, “अच्छा? और अगर मना कर दूं?” विक्रम हंसा और कहा, “जो राजा चाहता है, वह पाकर ही रहता है। चलो, एक ठंडाई तो मेरे साथ पी ही लो।”
निधि ने जानबूझकर भीड़ से थोड़ा अलग जाकर पेड़ के पास खड़े होकर विक्रम को और उकसाने दिया। जैसे ही वह करीब आया, निधि ने उसे जोरदार थप्पड़ जड़ दिया। अचानक सन्नाटा छा गया। रंग खेलते लोग ठहर गए। दरोगा विक्रम सिंह का चेहरा तमाम हो चुका था।
विक्रम गुस्से में चीखा, “साली, जानती भी है किससे पंगा ले रही है?” निधि ने ठंडे लहजे में जवाब दिया, “अब तू जानना चाहता है कि मैंने तुझे थप्पड़ क्यों मारा?” उन्होंने अपने दुपट्टे से छोटा वॉकी-टॉकी निकाला और एक कोड वर्ड कहा, “ब्लैक फॉल्कन एक्टिवेट।”
भीड़ में से पांच-छह लोग आगे बढ़े। यह पुलिस अफसर थे। विक्रम के होश उड़ गए। उसने भागने की कोशिश की, लेकिन एसपी निधि ने उसकी कॉलर पकड़ ली। गांव वाले अब तक स्तब्ध थे। फिर निधि ने उसके खिलाफ सबूत पेश किए। विक्रम के मोबाइल से कई छिपे हुए वीडियो, घूसखोरी के रिकॉर्ड, और बड़े नेताओं के साथ बातचीत के प्रमाण मिले। यह मामला सिर्फ छेड़छाड़ का नहीं था, बल्कि एक बड़े तस्करी रैकेट का हिस्सा था।
एसपी निधि ने स्पेशल ऑपरेशन शुरू किया। विक्रम का कनेक्शन महिला तस्करी गैंग से जुड़ा था। जांच में पता चला कि गैंग का सरगना एक रसूखदार नेता था। निधि ने होली मिलन समारोह में उसे पकड़ने का प्लान बनाया। ऑपरेशन सफल रहा, और विक्रम सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया।
पूरे गिरोह को उजागर कर ताश के पत्तों की तरह बिखेर दिया गया। गांव की महिलाओं ने एसपी निधि को नायक की तरह सम्मानित किया। होली का त्योहार अब न्याय और समानता का प्रतीक बन चुका था। निधि ने समाज में बदलाव लाने का संकल्प लिया और अपने गांव को सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनाने में जुट गईं।
यह कहानी उन सभी लोगों की है जो अन्याय के खिलाफ खड़े होते हैं और समाज को बेहतर बनाने का प्रयास करते हैं। होली अब सिर्फ रंगों का नहीं, बल्कि उम्मीद और बदलाव का त्यौहार बन चुकी थी।