
DM. बनते ही लड़की ने अपने पद का घमंड छोड़, समाज में एक नई मिसाल पेश की। वह सीधे उस विकलांग व्यक्ति के घर पहुंची, जो झोपड़ी में रहता था। उसकी सादगी और साहस ने हर किसी का दिल जीत लिया। लड़की ने बिना किसी हिचकिचाहट उससे पूछा, “क्या तुम मुझसे शादी करोगे?”
कहानी में, एक लड़की जब कलेक्टर बनती है, तो वह अपनी सरकारी गाड़ी लेकर एक बड़े बंगले के सामने रुकती है। गाड़ी से उतरकर वह दरवाजे की घंटी बजाती है। अंदर से एक बुजुर्ग व्यक्ति बाहर आता है और पूछता है, “बेटी, तुम कौन हो और किससे मिलना चाहती हो?” कलेक्टर एक नाम बताती है, लेकिन बुजुर्ग कहते हैं, “वे लोग तो यहां से बहुत पहले चले गए हैं, और मुझे नहीं पता कि अब वे कहां रहते हैं।” यह सुनकर कलेक्टर उदास हो जाती है, गाड़ी में बैठती है और वहां से चली जाती है।
दोस्तों, क्या आप जानना चाहते हैं कि आखिर वे लोग कौन थे, जिनके बारे में कलेक्टर साहिबा इतनी जानने को उत्सुक थीं? और उनके न मिलने से वे इतनी मायूस क्यों हो गईं? चलिए, इस दिलचस्प कहानी की शुरुआत करते हैं।
उत्तर प्रदेश के एक जिले में एक कॉलेज था, जहां रोहन नाम का एक लड़का पढ़ाई करता था। रोहन के पिता एक बड़े व्यापारी थे और उनके पास अरबों की संपत्ति थी। रोहन के लिए पैसे की कभी कमी नहीं थी। वह अपनी आलीशान गाड़ी से कॉलेज आता-जाता और दोस्तों के साथ खूब मस्ती करता।
एक दिन, जब रोहन क्लास में बैठा था, उसकी नजर अपनी क्लास की एक लड़की, प्रिया, पर पड़ी। प्रिया एक साधारण परिवार से थी। उसके पिता सरकारी स्कूल में शिक्षक थे, लेकिन प्रिया पढ़ाई में बहुत होशियार थी।
एक दिन, जब टीचर क्लास में सवाल पूछ रहे थे, प्रिया ने जवाब देने के लिए हाथ उठाया। उसी पल, रोहन की नजरें उस पर ठहर गईं। प्रिया बेहद सुंदर थी, और रोहन पहली ही नजर में उससे प्यार कर बैठा। अब वह हर वक्त यही सोचने लगा कि किसी तरह उससे बात करने का मौका मिले।
छह महीने तक रोहन क्लास में चुपचाप प्रिया को देखता रहा। फिर एक दिन, जब प्रिया कैंटीन में अकेली बैठी थी, रोहन ने हिम्मत जुटाई और उसके पास जाकर बातचीत शुरू की। प्रिया को रोहन के बारे में पता था कि वह अमीर घर से है, इसलिए वह पहले से ही सतर्क थी। उसे डर था कि कहीं रोहन उसका गलत फायदा न उठाए।
जब रोहन ने अपने दिल की बात प्रिया से कही, तो प्रिया को लगा कि उसकी शंका सही है। उसे यकीन हो गया कि रोहन झूठ बोल रहा है और उसका भरोसा तोड़ सकता है।
उसने मना कर दिया और कहा, “रोहन, मेरे पिता बहुत गरीब हैं। हम तुम्हारे जैसे लोगों के आस-पास भी नहीं ठहरते। हमारा इस तरह बात करना भी ठीक नहीं है। अगर मेरी बदनामी हुई, तो बहुत कुछ बर्बाद हो जाएगा।” यह कहकर प्रिया वहां से चली गई। रोहन उदास हो गया। उसे लगा कि प्रिया ने उसे गलत समझा।
वह प्रिया का भरोसा जीतने की कोशिश करने लगा। कॉलेज में वह दूसरों की मदद करता, जूनियर्स की रक्षा करता। यह सब देखकर प्रिया धीरे-धीरे प्रभावित होने लगी। फिर दोनों के बीच बातचीत शुरू हुई। एक दिन रोहन ने दोबारा अपने प्यार का इजहार किया, और इस बार प्रिया ने उसे स्वीकार कर लिया। उसने कहा, “ठीक है रोहन, मैं भी तुमसे प्यार करती हूं। हम साथ रहेंगे।”
इसके बाद, दोनों कॉलेज में एक-दूसरे के साथ वक्त बिताने लगे। उनकी मोहब्बत की बात पूरे कॉलेज में फैल गई। ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद, रोहन ने प्रिया से कहा, “अब हमें शादी कर लेनी चाहिए।”
प्रिया ने जवाब दिया, “रोहन, बात तो ठीक है, लेकिन तुम्हारे घरवाले नहीं मानेंगे। मेरे पिता एक साधारण शिक्षक हैं और तुम्हारे पिता एक अरबपति।”
रोहन ने उसे भरोसा दिलाया, “नहीं, ऐसा कुछ नहीं होगा। मैं अपने घरवालों से बात कर लूंगा।”
घर जाकर रोहन ने अपने पिता से कहा, “पिताजी, मैं कॉलेज में प्रिया नाम की एक लड़की से प्यार करता हूं और उससे शादी करना चाहता हूं।”
पिता ने यह सुनकर मन ही मन बहुत कुछ सोचा। वे अमीर थे और उनके भीतर घमंड भी था। लेकिन उन्होंने रोहन से सीधे कुछ नहीं कहा। बस बोले, “ठीक है बेटा, मैं किसी दिन जाकर बात कर लूंगा। मुझे उनका पता दे देना।”
रोहन यह सुनकर खुश हो गया। उसने कमरे में जाकर प्रिया को फोन किया और सारी बात बताई। यह सुनकर प्रिया भी भावुक हो गई।
दोस्तों, रोहन ने प्रिया से कहा, “पिताजी शादी के लिए तैयार हो गए हैं। वे कह रहे हैं कि किसी दिन तुम्हारे घर आएंगे और शादी की बात करेंगे।”
यह सुनकर प्रिया बहुत खुश हुई। उसने अपने पिता को रोहन के बारे में बताया। पिता ने कहा, “बेटी, समाज वाले तो तरह-तरह की बातें करेंगे। लेकिन जब तुम उससे प्यार करती हो तो मुझे इस शादी से कोई ऐतराज नहीं।”
कुछ दिनों बाद, रोहन के पिता अपनी लग्जरी कार में बैठकर सीधे प्रिया के घर पहुंचे। प्रिया का घर दूसरे जिले में, एक गरीब इलाके में था। घर ठीक-ठाक था, लेकिन रोहन के पिता के बंगले के सामने कुछ भी नहीं।
जैसे ही रोहन के पिता प्रिया के घर में घुसे, उन्होंने अंदर का सामान देखा और उनका माथा ठनक गया। लेकिन प्रिया ने अपने पिता को पहले ही बता दिया था कि रोहन के पिता आज आने वाले हैं, इसलिए वे पूरी तैयारी में थे।
प्रिया के पिता ने उनका स्वागत किया और चाय-नाश्ते के साथ बैठाया। नाश्ते के दौरान, रोहन के पिता ने बातचीत शुरू की, लेकिन जल्द ही उन्होंने अपनी अमीरी का दिखावा करते हुए कहा, “तुम्हारी बेटी को मेरे बेटे से कहना होगा कि वह उससे प्यार नहीं करती। इसके लिए चाहे जितने पैसे ले लो, लेकिन मेरे बेटे की शादी तुम्हारी बेटी से नहीं हो सकती।” यह सुनकर प्रिया के पिता हैरान रह गए। वह सोच रहे थे कि रोहन के पिता शादी की बात करने आए हैं, लेकिन यह तो रिश्ता तोड़ने और अपनी हैसियत दिखाने आए थे।
आहत होकर प्रिया के पिता ने जवाब दिया, “साहब, हमारे पास आपके जितना पैसा नहीं है। अगर आप हमें अपने पैसे से खरीदना चाहते हैं, तो यह मुमकिन नहीं। फिर भी, अगर आपको इस रिश्ते से दिक्कत है, तो मैं अपनी बेटी को समझा दूंगा कि वह इस रिश्ते के बारे में भूल जाए।”
यह सारी बातचीत प्रिया अंदर बैठी सुन रही थी। उसे सब समझ आ गया और वह रोने लगी। उधर, रोहन के पिता ने कहा, “धन्यवाद कि आपने मेरी बात मान ली।” इसके बाद वह अपनी गाड़ी में बैठकर चले गए। प्रिया पूरी तरह टूट गई।
उसका पिता उसके पास आया और समझाया, “बेटी, ये अमीर लोग हैं। जब बाप में इतना अहंकार है, तो बेटे में भी होगा। तुम उसे मना कर दो कि तुम उससे शादी नहीं कर सकती।” प्रिया, जो रोहन को ढाई साल से जानती थी, पिता की बात और रोहन के पिता का व्यवहार सच मानने लगी। उसने रोहन को फोन किया और कहा, “मुझे भूल जाओ।”
रोहन ने हैरानी से पूछा, “प्रिया, ऐसा क्या हुआ? हम ढाई साल से एक-दूसरे को जानते हैं। कम से कम वजह तो बताओ।” लेकिन प्रिया ने कुछ नहीं बताया। उसने बस इतना कहा, “आज के बाद मुझे फोन मत करना। मैं तुम्हें नहीं जानती और तुम मुझे नहीं जानते।” यह कहकर उसने फोन काट दिया।
रोहन को कुछ समझ नहीं आया। थोड़ी देर बाद जब उसके पिता घर लौटे, तो उसने उनसे पूछा, “पिताजी, वहां ऐसा क्या हुआ कि प्रिया ने मुझसे शादी से मना कर दिया?”
पिता ने जवाब दिया, “बेटा, मैं तेरी शादी उस घर में नहीं करवा सकता। वे लोग हमसे बहुत छोटे और गरीब हैं। हमारी उनसे कोई बराबरी नहीं। उसे भूल जा। यही सही है।”
यह सुनकर रोहन गुस्से में बोला, “पिताजी, ऐसा नहीं हो सकता। मैं उससे प्यार करता हूं और उसी से शादी करूंगा।”
पिता ने सख्ती से कहा, “मैं नहीं चाहता कि तुम उससे शादी करो। अगर तुमने ऐसा किया, तो मैं इस दुनिया से चला जाऊंगा।”
यह सुनकर रोहन असमंजस में पड़ गया। एक तरफ ढाई साल का प्यार था, तो दूसरी तरफ उसका पिता, जिसने उसे पाला-पोसा। सोचने के बाद रोहन बोला, “ठीक है पिताजी, अगर आप नहीं चाहते कि मैं उससे शादी करूं, तो नहीं करूंगा। लेकिन यह भी सुन लीजिए, उसके सिवा मैं किसी और से शादी नहीं करूंगा। जीवनभर अकेला रहूंगा।”
यह सुनकर पिता को धक्का लगा, लेकिन उन्होंने सोचा कि शायद यह रोहन का टूटे दिल का असर है। उन्होंने कहा, “ठीक है, शादी मत करना, लेकिन उस घर में तेरा रिश्ता नहीं हो सकता।”
रोहन के जीवन में अचानक से सब कुछ बदल गया। वह दिनभर कमरे में बंद रहता, किसी से बात नहीं करता और दोस्तों से मिलना-जुलना भी छोड़ चुका था। पहले जहाँ वह दोस्तों के साथ मस्ती करता था, अब उसकी जिंदगी में जैसे खालीपन आ गया था।
रोहन के पिता अपने बेटे की इस हालत को देखकर चिंतित हो गए। उन्होंने सोचा कि क्यों न उसकी शादी प्रिया से करा दी जाए। लेकिन उनके भीतर का घमंड बार-बार उन्हें रोक देता। उन्होंने कई बार रोहन को समझाने की कोशिश की, लेकिन रोहन उनकी बात सुनने को तैयार नहीं था।
इसी तरह तीन साल बीत गए। इन तीन सालों में न तो रोहन ने प्रिया से संपर्क किया और न ही उसे पूरी तरह भुला पाया। पिता उसे जबरदस्ती सामाजिक कार्यक्रमों में ले जाने की कोशिश करते, लेकिन रोहन का मन कहीं नहीं लगता। वह चुपचाप वहां से लौट आता।
एक दिन, ऐसा ही एक फंक्शन था। कार्यक्रम से लौटते समय गाड़ी में पिता और रोहन के बीच बहस होने लगी। पिता ने रोहन को डांटते हुए कहा, “तेरे इस व्यवहार से हमें बहुत तकलीफ होती है। मैंने तुझे बचपन से पाला है, और तू मेरी बात नहीं मानता।”
रोहन ने वही जवाब दिया जो पहले भी देता आया था। बहस बढ़ती गई, और मां उन्हें शांत कराने का प्रयास करती रही। इसी बीच पिता का ध्यान सड़क से हट गया और गाड़ी का भीषण एक्सीडेंट हो गया।
जब रोहन को होश आया, उसने देखा कि उसके पैर में गंभीर चोट थी। मां की मौत हो चुकी थी और पिता आखिरी सांसें ले रहे थे। रोहन ने पिता को बचाने की कोशिश की, लेकिन पिता ने रोका और कहा, “बेटा, मेरा समय पूरा हो गया है। मैं अब नहीं बचूंगा। जाने से पहले एक बात कहना चाहता हूं। मैंने हमेशा सोचा कि तेरी शादी प्रिया से होनी चाहिए, लेकिन अपने घमंड के कारण कह नहीं पाया। अब मैं चला जाऊंगा, और मेरा घमंड भी मेरे साथ चला जाएगा। उससे शादी कर ले।”
पिता की बातें सुनकर रोहन की आंखों से आंसू बहने लगे। वह उन्हें बचाने की कोशिश करता रहा। तभी एंबुलेंस पहुंची और रोहन अपने माता-पिता को अस्पताल ले गया। लेकिन डॉक्टर ने थोड़ी देर बाद पिता को मृत घोषित कर दिया।
इस हादसे ने रोहन की जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया। पिता की आखिरी इच्छा ने उसे अपनी गलतियों का अहसास कराया।
रोहन ने प्रिया की बात सुनी और उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। उसने कहा, “मैंने सोचा था कि मेरी हालत देखकर तुम मुझसे दूर हो जाओगी, लेकिन तुमने तो मेरे लिए इतना बड़ा सपना देखा। मैं तुम्हारे लायक नहीं हूं, प्रिया।”
प्रिया ने मुस्कुराते हुए रोहन का हाथ पकड़ा और कहा, “लायक होने का मतलब सिर्फ शारीरिक ताकत नहीं होता, रोहन। असली ताकत दिल और इरादों में होती है। तुम्हारे साथ जिंदगी बिताना मेरा फैसला है, और मैं इसे बदलने नहीं दूंगी।”
रोहन ने अपनी कमजोरियों और डर को प्रिया के प्यार के आगे हार मान लिया। दोनों ने मिलकर एक नई शुरुआत करने का फैसला किया। प्रिया ने रोहन का हौसला बढ़ाया और उसे फिर से अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए प्रेरित किया।
धीरे-धीरे, रोहन ने खुद को संभालना शुरू किया। प्रिया के सहयोग और अपने आत्मविश्वास से उसने अपना व्यापार दोबारा शुरू किया। दोनों ने साथ मिलकर जिंदगी को नई दिशा दी और समाज के लिए एक मिसाल बन गए कि सच्चा प्यार हर मुश्किल को पार कर सकता है।
रोहन ने कहा, “हां प्रिया, मुझे पता है जब तुम कलेक्टर बनी, मैंने तुमसे बात करने की सोची थी। लेकिन जब देखा कि तुम कलेक्टर हो और मैं विकलांग, तो मुझे लगा कि मैं तुम्हारे लायक नहीं हूं। इसलिए मैं चुप रहा।”
यह सुनकर प्रिया भावुक हो गई और रोहन से लिपटते हुए बोली, “रोहन, अब चिंता मत करो। जो हुआ उसे भूल जाओ। मैं तुमसे ही शादी करूंगी।”
प्रिया रोहन को अपने साथ ले गई, उसे एक अच्छे सैलून में ले जाकर तैयार करवाया और फिर अपने पिता से मिलवाया। प्रिया के पिता को इस शादी से कोई आपत्ति नहीं थी। उन्होंने खुशी-खुशी दोनों की शादी करवाई। शादी के बाद प्रिया ने रोहन को अपने साथ रखा और दोनों खुशी-खुशी जीवन बिताने लगे।
प्रिया ने रोहन के लिए एक छोटा सा रोजगार शुरू करवाया। रोहन ने शराब छोड़ दी क्योंकि अब उसकी जिंदगी का दुख खत्म हो चुका था। वह अपनी पत्नी के साथ हंसी-खुशी जीवन जीने लगा।
तो दोस्तों, यह थी एक प्रेरणादायक कहानी। एक लड़के को लड़की से प्यार होता है, लेकिन सामाजिक बाधाओं के कारण उनका रिश्ता टूट जाता है। फिर वक्त एक नया मोड़ लाता है और दोनों का जीवन बदल जाता है।
इस कहानी का उद्देश्य किसी को आहत करना नहीं है, बल्कि आपको प्रेरित करना है ताकि आप इन कहानियों से सीख लेकर समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकें।
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धन्यवाद!
जय हिंद!