SP साहब की गाड़ी खराब होने पर उन्होंने जिस ट्रक मे लिफ्ट ली उस ट्रक में केद थी लड़कियां

दोस्तों क्या हुआ जब एसपी विवेक राज सरकारी बैठक से लौट रहे थे अचानक उनकी सरकारी गाड़ी एक सुनसान हाईवे पर खराब हो गई फिर जो हुआ देखकर आप सभी हैरान रह जाएंगे दोस्तों आज की यह कहानी एसपी विवेक राज सिंह हैं जो मध्य प्रदेश के एक छोटे जिले में पदस्थ थे देर रात एक सरकारी बैठक से लौट रहे थे अचानक उनकी सरकारी गाड़ी एक सुनसान हाईवे पर खराब हो गई चालक ने बताया कि में समस्या है और इसे ठीक करने में वक्त लगेगा चारों तरफ घना अंधेरा था रात का समय था विवेक ने सोचा कि किसी ट्रक या गाड़ी से लिफ्ट ली जाए तभी उन्होंने दूर से एक भारी ट्रक आता देखा

उन्होंने हाथ देकर ट्रक को रुकने का संकेत दिया। ट्रक ड्राइवर पहले थोड़ा हिचकिचाया, लेकिन जब उसने एएसपी साहब की सरकारी वर्दी देखी, तो तुरन्त ट्रक रोक दिया।
“साहब, कहां जाना है?” ड्राइवर ने पूछा।
“बस शहर तक छोड़ दो,” विवेक ने जवाब दिया।
“ठीक है, बैठिए,” ड्राइवर ने कहा और ट्रक में चढ़ने का इशारा किया।

जैसे ही विवेक ट्रक में बैठे, उन्होंने महसूस किया कि ट्रक के पिछले हिस्से से हल्की-हल्की सिसकियों की आवाज आ रही थी। अंधेरे में उन्हें यह समझने में थोड़ा समय लगा कि ये आवाजें किसकी हैं।
“क्या लाद रखा है पीछे?” विवेक ने संदेह भरे लहजे में पूछा।

ड्राइवर और क्लीनर एक-दूसरे की ओर देखने लगे।
“साहब, बस सामान है—कपड़े और कुछ फर्नीचर,” ड्राइवर ने जवाब दिया।

लेकिन विवेक को कुछ अजीब महसूस हुआ। उन्होंने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और टॉर्च ऑन कर ट्रक के अंदर झांकने की कोशिश की। तभी क्लीनर ने तेजी से ट्रक का पर्दा गिरा दिया।

एएसपी विवेक राज सिंह को ट्रक में कुछ गड़बड़ होने का अंदेशा हो गया था। ट्रक के पिछले हिस्से से आती सिसकियों की आवाज ने उनकी बेचैनी बढ़ा दी थी। ड्राइवर और क्लीनर के हावभाव से साफ हो गया था कि वे कुछ छिपाने की कोशिश कर रहे थे। विवेक ने सख्त लहजे में कहा, “पीछे क्या है, मुझे देखना है। ट्रक रोको।”

ड्राइवर घबरा गया और क्लीनर की तरफ देखने लगा, जैसे इशारों में कुछ समझाने की कोशिश कर रहा हो। विवेक की सख्त आवाज सुनकर ट्रक रोकना पड़ा। जैसे ही ट्रक रुका, विवेक नीचे उतरे और मोबाइल की टॉर्च जलाकर ट्रक के पिछले हिस्से की ओर बढ़े। पर्दा उठाते ही उनका दिल धक से रह गया।

अंदर करीब 15 लड़कियां डरी-सहमी हुई बैठी थीं। उनकी आंखों में डर और बेबसी साफ दिखाई दे रही थी। कुछ के कपड़े फटे हुए थे, कुछ रो रही थीं, और कुछ इतनी सहमी हुई थीं कि हिलने की भी हिम्मत नहीं कर पा रही थीं। यह नजारा देख विवेक का गुस्सा चरम पर पहुंच गया।

ड्राइवर और क्लीनर सन्न खड़े थे। घबराते हुए ड्राइवर बोला, “साहब, हम तो बस गाड़ी चला रहे हैं। हमें नहीं पता इसमें क्या है।” विवेक ने तुरंत फोन निकाला और स्थानीय थाने को कॉल किया।

“मैं एएसपी विवेक राज बोल रहा हूं। तुरंत हमारी लोकेशन पर पुलिस फोर्स भेजो। एक ट्रक में लड़कियों की तस्करी हो रही है।”

ड्राइवर को अब समझ आ गया था कि वह बच नहीं सकता। उसने ट्रक स्टार्ट कर भागने की कोशिश की, लेकिन विवेक ने झपटकर चाबी निकाल ली। “अब कोई नहीं भागेगा!” उनकी गरजती आवाज गूंज उठी। लड़कियों की हालत देखकर उनका खून खौल रहा था।

उन्होंने लड़कियों से पूछा, “तुम्हें कहां ले जा रहे थे?” लेकिन ज्यादातर लड़कियां इतनी सदमे में थीं कि कुछ बोल ही नहीं पा रही थीं। एक लड़की, जो शायद सबसे हिम्मती थी, कांपती आवाज में बोली, “हमें कहीं बाहर ले जाया जा रहा था। हमें जबरदस्ती उठाया गया।” इतने में दूर से पुलिस की गाड़ियों की लाल-नीली बत्तियां चमकने लगीं। गाड़ियां तेजी से ट्रक के पास आकर रुकीं और इंस्पेक्टर अर्जुन वर्मा दौड़ते हुए आए।

“सर, यह क्या मामला है?” अर्जुन ने पूछा। विवेक ने इशारा करते हुए कहा, “देख लो खुद और इन दोनों को गिरफ्तार कर लो।” पुलिस ने ड्राइवर और क्लीनर को दबोच लिया। लेकिन तभी क्लीनर हंसने लगा।

“साहब, हमें पकड़कर क्या मिलेगा? हम तो सिर्फ मोहरे हैं। असली खेल तो किसी और का है।”

विवेक ने उसे घूरते हुए पूछा, “किसका खेल? कौन है इसके पीछे?”

क्लीनर की हंसी और तेज हो गई। “यह जानकर आपके होश उड़ जाएंगे, साहब।” उसकी रहस्यमयी हंसी ने एसपी विवेक राज सिंह की बेचैनी बढ़ा दी थी। उन्होंने तुरंत इंस्पेक्टर अर्जुन वर्मा को आदेश दिया, “इसे थाने ले चलो और सख्ती से पूछताछ करो।”

विवेक ने आदेश दिया, लेकिन तभी क्लीनर ठहाका लगाकर बोला, “साहब, हमें तो पकड़ लिया लेकिन असली खिलाड़ी तक पहुंच पाओगे क्या?”

विवेक की आंखों में गुस्सा था, लेकिन वह संयम से बोले, “देखते हैं किसका नाम निकलता है।”

थाने पहुंचकर इंस्पेक्टर अर्जुन वर्मा और उनकी टीम ने ड्राइवर और क्लीनर से कड़ी पूछताछ की। कुछ ही घंटों में ड्राइवर टूट गया और उसने सब उगल दिया।

“साहब, इस धंधे के पीछे जिले के ही बड़े नेता का हाथ है। नाम है विधायक रणवीर सिंह।”

यह सुनते ही विवेक का माथा ठनका। रणवीर सिंह एक ताकतवर नेता था, जिसके ऊपर पहले भी कई आरोप लगे थे लेकिन कभी कोई सबूत नहीं मिला।

“और लड़कियों को कहां ले जाया जा रहा था?” विवेक ने कड़े स्वर में पूछा।

“साहब, इन्हें नेपाल बॉर्डर के पार ले जाकर बेच दिया जाता। हर महीने दो-तीन ट्रक ऐसे ही भेजे जाते हैं।”

विवेक को समझ आ गया था कि यह सिर्फ एक ट्रक नहीं था बल्कि मानव तस्करी का एक बड़ा रैकेट था। उन्होंने तुरंत लड़कियों के मेडिकल चेकअप और सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया। इसके बाद उन्होंने एक खतरनाक योजना बनाई।

विवेक ने इंस्पेक्टर अर्जुन वर्मा को बुलाया और कहा, “मैं खुद विधायक से मिलूंगा, लेकिन बिना किसी शक के।”

रात के अंधेरे में विवेक अपने साधारण कपड़ों में विधायक रणवीर सिंह के फार्म हाउस पहुंचे। उनके साथ कुछ पुलिसकर्मी भी थे।

लेकिन सादे लिबास में जैसे ही उन्होंने अंदर कदम रखा, सामने बैठे विधायक ने तंज कसते हुए कहा, “अरे एसपी साहब, रात को हमारे गरीब खाने में कैसे?” विवेक मुस्कुराते हुए बोले, “बस ऐसे ही सोचा कुछ मीठा-तीखा हो जाए।” रणवीर सिंह हंसते हुए बोला, “आप बहुत सीधे हैं साहब। दुनिया में रहना है तो थोड़ा सिस्टम समझिए।”

विवेक ने गहरी नजरों से उसे देखा और गंभीर स्वर में बोले, “सिस्टम समझ ही रहा हूं। ट्रक में मिली 15 लड़कियों के बारे में क्या ख्याल है?” यह सुनते ही विधायक के चेहरे से हंसी गायब हो गई। उसने गंभीर स्वर में पूछा, “आप क्या कहना चाहते हैं?”

विवेक ने फोन निकाला और प्ले बटन दबाया। ड्राइवर की रिकॉर्डिंग कमरे में गूंज उठी, “साहब, इस धंधे के पीछे रणवीर सिंह है।” विधायक का चेहरा सफेद पड़ गया। उसने गरजते हुए कहा, “आपके पास कोई ठोस सबूत नहीं है, एएसपी साहब।”

विवेक ने जेब से एक कागज निकाला और टेबल पर फेंक दिया। “यह रहा गैर-जमानती वारंट। बाहर पूरी पुलिस फोर्स खड़ी है। अब बच सकते हो तो बच लो।” रणवीर सिंह ने बंदूक निकालने की कोशिश की, लेकिन तभी इंस्पेक्टर अर्जुन वर्मा और उनकी टीम अंदर घुसी और उसे धर दबोचा।

अगले दिन पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विधायक रणवीर सिंह और उसके गुर्गों की गिरफ्तारी का खुलासा किया। एसपी विवेक चौहान के साहसिक फैसले से एक बड़े मानव तस्करी गिरोह का पर्दाफाश हुआ। लड़कियों को सरकारी देखभाल में रखा गया और उन्हें उनके परिवार तक पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू हुई।

राज्य सरकार ने विवेक को सम्मानित किया। उन्होंने प्रण लिया कि जब तक वह प्रशासन में हैं, ऐसे अपराधियों को मिटाकर ही रहेंगे। रणवीर सिंह की गिरफ्तारी के बाद पूरे जिले में हड़कंप मच गया। राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ गई। कुछ नेता उसकी गिरफ्तारी को साजिश बताने लगे तो कुछ चुप्पी साध गए। लेकिन विवेक को इन सबकी परवाह नहीं थी। उसके लिए सबसे जरूरी था न्याय और उन मासूम लड़कियों का भविष्य।

इस पूरे रैकेट की जड़ तक पहुंचने के प्रयास में इंस्पेक्टर अर्जुन वर्मा ने बताया कि पूछताछ के दौरान रणवीर सिंह ने किसी “शाह जी” का नाम लिया था। “शाह जी कौन हैं?” विवेक ने सख्ती से पूछा। रणवीर सिंह ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया, “जिस दिन तुम शाह जी तक पहुंचोगे, तुम्हें समझ आ जाएगा कि असली ताकत किसके पास है।”

विवेक को एहसास हुआ कि यह मामला जितना दिख रहा था, उससे कहीं अधिक गंभीर और व्यापक था। उसने तुरंत राज्य सरकार से स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की सहायता मांगी। एसटीएफ की टीम ने जिले में सक्रियता बढ़ा दी।

इसी बीच पुलिस को बॉर्डर एरिया में एक गुप्त अड्डे की जानकारी मिली, जहां लड़कियों को नेपाल ले जाने से पहले छिपाया जाता था। विवेक ने अपनी टीम के साथ उस स्थान पर छापेमारी का निर्णय लिया।

क्या विवेक शाह जी तक पहुंच पाएगा? क्या यह गिरोह पूरी तरह से खत्म होगा?

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